जी-20 समूह
प्रस्तावना
बीस देशों का समूह अथवा जी-20 अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक एवं वित्तीय कार्यसूची के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने का प्रधान मंच है। यह विश्व के सबसे उन्नत एवं उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक मंच पर लाता है।
जी-20 में अर्जेन्टीना, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इण्डोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमरीका शामिल हैं। जी-20 के देश कुल मिलाकर
वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 90 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार के 80 प्रतिशत और वैश्विक जनसंख्या के दो तिहाई भाग का प्रतिनिधित्व करते हैं।
जी-20 के निम्नलिखित उद्देश्य हैं :
क. वैश्विक आर्थिक स्थिरता एवं सतत विकास प्राप्त करने के उद्देश्य से इसके सदस्यों के बीच नीतिगत समन्वय करना;
ख. ऐसे वित्तीय विनियमों को बढ़ावा देना, जिससे जोखिम में कमी आए और भविष्य में आर्थिक संकटों से बचा जा सके; और
ग. एक नई अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय रूपरेखा का सृजन करना।
उद्भव एवं विकास
जी-20 का सृजन 1990 के दशक में अनेक उभरती अर्थव्यवस्थाओं में उत्पन्न वित्तीय संकट के प्रति सकारात्मक अनुक्रिया व्यक्त करने और इस तथ्य को स्वीकार करने के लिए किया गया था कि इनमें से अनेक देशों को वैश्विक आर्थिक चर्चाओं एवं अभिशासन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व
प्राप्त नहीं है।
दिसंबर, 1999 में उन्नत एवं उभरती अर्थव्यवस्थाओं के वित्त मंत्रियों एवं केन्द्रीय बैंक के गवर्नरों की पहली बैठक बर्लिन, जर्मनी में हुई, जिसमें वैश्विक आर्थिक स्थायित्व के लिए विभिन्न मुद्दों पर अनौपचारिक चर्चा की गई। तब से वित्त मंत्रियों एवं केन्द्रीय
बैंक के गवर्नरों की बैठकें प्रति वर्ष होती रही हैं। भारत ने वर्ष 2002 में जी-20 वित्त मंत्रियों एवं केन्द्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक की मेजबानी की थी। वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय एवं आर्थिक संकट का समाधान करने के उद्देश्य से जी-20 को शिखर स्तर तक
उन्नत किया गया।
जी-20 की संगठनात्मक रूपरेखा
जी-20 किसी स्थायी सचिवालय अथवा कर्मचारियों के बिना कार्य करता है। जी-20 की अध्यक्षता इसके सदस्यों में से बारी-बारी से किसी देश द्वारा की जाती है और इसका चयन विभिन्न देशों के क्षेत्रीय समूहों में से किया जाता है। यह अध्यक्षता भूतकाल, वर्तमानकाल एवं भविष्य
के अध्यक्षों के तीन सदस्यीय प्रबंधन दल का एक भाग है, जिसे त्रोइका के रूप में संदर्भित किया जाता है। जी-20 का वर्तमान अध्यक्ष मैक्सिको है, जबकि अगला अध्यक्ष रूस होगा।
जी-20 की तैयारी प्रक्रिया का संचालन सुस्थापित शेरपा एवं वित्त ट्रैकों के जरिए किया जाता है जो शिखर सम्मेलनों में उल्लिखित विषयों एवं प्रतिबद्धताओं की अनुवर्ती कार्रवाई भी तैयार करते हैं। शेरपा ट्रैक विकास, भ्रष्टाचार रोधी एवं खाद्य सुरक्षा जैसे गैर आर्थिक
एवं वित्तीय मुद्दों पर विशेष रूप से बल देता है, जबकि यह जी-20 प्रक्रिया की क्रियाविधि नियमावली जैसे आंतरिक पहलुओं का भी समाधान करता है।
वित्त ट्रैक आर्थिक एवं वित्तीय मुद्दों पर विशेष बल देता है। शेरपा एवं वित्त ट्रैक दोनों ही अनेक विशेषज्ञ कार्यदलों द्वारा संपादित तकनीकी एवं ठोस कार्यों पर आधारित होते हैं। इसके अतिरिक्त वित्त एवं विकास मंत्रियों की संयुक्त बैठकों तथा श्रम, कृषि एवं पर्यटन
से संबद्ध मंत्रिस्तरीय बैठकों जैसी अनेक मंत्रिस्तरीय बैठकों के आयोजन के आधार पर कार्यसूची की विषयवस्तु का विकास किया जाता है।
जी-20 शिखर सम्मेलन
अब तक छ: जी-20 शिखर सम्मेलनों का आयोजन किया जा चुका है। पहले शिखर सम्मेलन की मेजबानी
नवंबर, 2008 में वाशिंगटन में अमरीकी राष्ट्रपति द्वारा की गई, जिसका उद्देश्य वैश्विक वित्तीय संकट के प्रति समन्वित अनुक्रिया का विकास करना था। प्रथम शिखर सम्मेलन में नेताओं ने वैश्विक आर्थिक एवं वित्तीय संकट के कारणों
पर चर्चा की और निम्नलिखित तीन मुख्य उद्देश्यों के आसपास एक कार्य योजना को कार्यान्वित करने पर अपनी सहमति व्यक्त की :
- वैश्विक विकास की बहाली
- अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली का संवर्धन और
- अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं में सुधार।
अप्रैल, 2009 में लंदन में आयोजित दूसरे शिखर सम्मेलन में ऋण एवं विकास प्रक्रिया को बहाल करने के लिए 1.1 ट्रिलियन अमरीकी डालर के प्रोत्साहन
पैकेज का प्रावधान किया गया और साथ ही वित्तीय स्थिरता मंच (जिसे बाद में 'वित्तीय स्थिरता बोर्ड' अथवा एफएसबी का नाम दिया गया) और बैंकिंग पर्यवेक्षण से संबद्ध बेसल समिति (बीसीबीएस), संरक्षणवादी प्रवृत्तियों (व्यापार, निवेश और सेवाओं सहित) के विरुद्ध प्रतिबद्धता
की पुनरावृत्ति और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं में सुधार के प्रतिबद्धता पर विशेष बल दिया गया।
सितंबर, 2009 में पिट्सबर्ग में आयोजित तीसरे शिखर सम्मेलन
में जी-20 को अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के 'प्रधान मंच' के रूप में नामित किया गया। पिट्सबर्ग शिखर सम्मेलन के प्रमुख निष्कर्षों में निम्नलिखित शामिल थे: पारस्परिक मूल्यांकन प्रक्रिया (एमएपी) अथवा 'समकक्ष समीक्षा', जिसकी सह-अध्यक्षता भारत द्वारा
की जाती है, के जरिए अत्यधिक उतार-चढ़ाव के चक्रों पर रोक लगाने वाली ठोस बृहत आर्थिक नीतियों के जरिए '21वीं सदी में ठोस, सतत एवं संतुलित विकास की रूपरेखा' को बढ़ावा देना;
अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष में कोटे की कम से कम 5 प्रतिशत हिस्सेदारी को अत्यधिक प्रतिनिधित्व प्राप्त देशों से अल्प प्रतिनिधित्व प्राप्त देशों अर्थात गतिशील उभरते बाजारों एवं विकासशील देशों को हस्तांतरित करने के जरिए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं
में सुधार की दिशा में निर्णय लेना;अल्प प्रतिनिधित्व प्राप्त विकासशील एवं संक्रमणकालीन देशों के लिए कम से कम तीन प्रतिशत मताधिकार की वृद्धि करने हेतु विश्व बैंक के लिए एक गतिशील फार्मूला स्वीकार करना; और यह सुनिश्चित करना कि विश्व बैंक तथा क्षेत्रीय
विकास बैंकों (आरडीबी) के पास वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हों।
'पुनरुत्थान एवं नई शुरुआत' विषय के अंतर्गत
जून, 2010 में टोरंटो में आयोजित चौथे शिखर सम्मेलन में 'ठोस, सतत एवं संतुलित विकास की रूपरेखा' तथा विभिन्न देशों के समूहों द्वारा एमएपी (अथवा समकक्ष समीक्षा) को शामिल करते हुए पहले चरण के कार्यों को पूरा करने पर विशेष
बल दिया गया। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं ने राजकोषीय मजबूती अर्थात वर्ष 2013 तक राजकोषीय घाटे को आधा करने और आंतरिक पुनर्संतुलन के भाग के रूप में वर्ष 2016 तक ऋण स्थायित्व लाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
विकास की प्रक्रिया और पुनरुत्थान को सुदृढ़ बनाने तथा निकास रणनीतियों एवं राजकोषीय मजबूती यानि 'विकास हितैषी राजकोषीय मजबूती' के संदर्भ में अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाने पर भी सहमति हुई। जी-20 की कार्यसूची में पहली बार 'विकास' की बात कही गई, जिसका समाधान एक उच्चस्तरीय
विकास कार्यदल (डीडब्ल्यूजी) के जरिए किया जाएगा।
'संकट के बाद साझा विकास' विषय के अंतर्गत
नवंबर, 2010 में सियोल में आयोजित 5वें शिखर सम्मेलन
की मुख्य बात विकास की नौ आधारशिलाओं अर्थात अवसंरचना (अवसंरचना वित्तपोषण पर एक उच्चस्तरीय पैनल सहित), मानव संसाधन विकास, व्यापार, निजी निवेश एवं नौकरियों के सृजन, खाद्य सुरक्षा, विकास एवं लोचशीलता, घरेलू संसाधन समेकन, ज्ञान के बंटवारे एवं वित्तीय
समावेश के तहत बहुवर्षीय कार्य योजनाओं (एमवाईएपी) में सन्निहित जी-20 विकास कार्यसूची की शुरुआत थी।
केंस में नवंबर, 2011 में आयोजित छठे जी-20 शिखर सम्मेलन
में यूरोजोन/ग्रीक संकट की पृष्ठभूमि में वैश्विक आर्थिक स्थिति की समीक्षा की गई। इसके प्रमुख परिणामों में खाद्य पदार्थों के मूल्यों में उतार-चढ़ाव एवं कृषि पर कार्य योजना सहित पण्य डेरिवेटिव बाजारों का विनियमन, ऊर्जा बाजारों की पारदर्शिता में वृद्धि
तथा विकास के संबंध में उच्च स्तरीय पैनल की अनुशंसाओं एवं एमडीबी कार्य योजना के प्रति समर्थन की अभिव्यक्ति शामिल है। केंस शिखर सम्मेलन के निष्कर्षों के फलस्वरूप एक 'विज्ञप्ति' तथा 'विकास एवं नौकरियों के लिए केंस कार्य योजना' के साथ-साथ 'हमारे साझे भविष्य
का निर्माण: सभी के लाभ हेतु नवीकृत सामूहिक कार्रवाई' शीर्षक से एक घोषणा जारी की गई।
7वां जी-20 शिखर सम्मेलन: मैक्सिको की अध्यक्षता में प्राथमिकताएं
7वें जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन मैक्सिको की अध्यक्षता में लास काबोस, मैक्सिको में 18-19 जून, 2012 को किया जा रहा है। मैक्सिको ने अपनी प्राथमिकताओं के रूप में निम्नलिखित की पहचान की है :
- विकास एवं नियोजन की आधारशिलाओं के रूप में आर्थिक स्थिरीकरण एवं ढांचागत सुधारों को बढ़ावा देना;
- आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय प्रणाली का संवर्धन और वित्तीय समावेश को प्रोत्साहन;
- इस अंतर्संबंधित विश्व में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय ढांचों में सुधार;
- खाद्य सुरक्षा का संवर्धन और पण्यों के मूल्य में उतार-चढ़ाव की समस्या का समाधान करना; और
- सतत प्रगति, हरित विकास को बढ़ावा देना तथा जलवायु परिवर्तन की समस्या का मुकाबला करना;
पिट्सबर्ग रूपरेखा और सियोल विकास सर्वसम्मति की स्थापना के बाद से जी-20 ने स्वीकार किया है कि विकास और वैश्विक आर्थिक मुद्दों का समाधान अलग-अलग नहीं किया जा सकता। आर्थिक प्रगति, गरीबी उन्मूलन एवं रोजगार सृजन के लिए विकास की प्रक्रिया अनिवार्य है। विकासशील
देशों के समाजों के कल्याण हेतु महत्वपूर्ण क्षेत्रों में इन देशों को सहायता करने के लिए बहुक्षेत्रीय प्रयासों के जरिए जी-20 की आर्थिक एवं वित्तीय कार्यसूची को संपूरित करने हेतु शेरपा ट्रैक के अंतर्गत वर्ष 2010 में विकास कार्यदल की स्थापना की गई थी।
वर्ष 2011 में केंस शिखर सम्मेलन में प्रस्तुत अपनी पहली रिपोर्ट में डीडब्ल्यूजी ने स्पष्ट किया था कि जी-20 विकास कार्यसूची विकास से संबद्ध वर्तमान प्रतिबद्धताओं, खासकर संयुक्त राष्ट्र सहस्त्राब्दि घोषणा का विकल्प नहीं है। जी-20 के अंतर्गत विकास कार्यसूची
को आगे बढ़ाते हुए डीडब्ल्यूजी मैक्सिको ने अवसंरचना, खाद्य सुरक्षा एवं समावेशी हरित विकास को अपनी विकास प्राथमिकताओं के रूप में चुना है।
भारत और जी-20
जी-20 प्रक्रिया में भारत की भागीदारी इस स्वीकारोक्ति के फलस्वरूप हुई कि एक प्रमुख विकासशील अर्थव्यवस्था के रूप में अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक एवं वित्तीय प्रणाली के स्थायित्व में भारत का महत्वपूर्ण हित निहित है।
भारत जी-20 की शुरुआत से ही इसकी शेरपा ट्रैक एवं वित्तीय ट्रैक दोनों तैयारी प्रक्रियाओं में सक्रिय रूप से भागीदारी करता रहा है। प्रधानमंत्री जी ने सभी छह जी-20 शिखर सम्मेलनों में भाग लिया है। जी-20 शिखर सम्मेलनों में भारत की कार्यसूची वित्तीय प्रणाली में
बेहतर समावेशिकता लाने, संरक्षणवादी प्रवृत्तियों से बचने और यह सुनिश्चित करने के आधार पर अभिप्रेरित होती हैं कि विकासशील देशों की विकास संभावनाओं पर किसी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। भारत ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि विश्व समुदाय उभरती
अर्थव्यवस्थाओं को वित्त पोषित करने के लिए धन का पर्याप्त प्रवाह सुनिश्चित करना जारी रखे, जिससे कि उनकी विकास जरूरतें पूरी हो सकें।
भारत ने सियोल शिखर सम्मेलन में जी-20 प्रक्रिया की एक कार्यसूची मद के रूप में विकास को शामिल किए जाने का स्वागत किया और सियोल विकास सर्वसम्मति तथा संबद्ध बहु-वर्षीय कार्य योजनाओं का समर्थन किया। प्रधानमंत्री जी ने विकासशील देशों में अधिदेश बचतों का निवेशों
के रूप में उपयोग किए जाने का आह्वान किया, जिससे न सिर्फ मांग के तात्कालिक असंतुलन बल्कि विकास असंतुलन की समस्या का भी समाधान किया जा सकता है।
भारत ने ठोस, सतत एवं संतुलित विकास की रूपरेखा की स्थापना करने, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय नियामक प्रणालियों को सुदृढ़ बनाने, ब्रेटन वुड्स संस्थाओं में सुधार लाने, व्यापार वित्त को सुविधाजनक बनाने, दोहा कार्यसूची को आगे बढ़ाने इत्यादि के लिए जी-20 विचार-विमर्शों
की गतिशीलता एवं विश्वसनीयता को कायम रखने की दिशा में कार्य किए हैं।
एक स्थिर, समावेशी एवं प्रातिनिधिक वैश्विक आर्थिक एवं वित्तीय प्रणाली की स्थापना करने के लिए भारत जी-20 प्रक्रिया के प्रति कृतसंकल्प है।
जी-20 में भारत की भागीदारी से संबंधित प्रेस विज्ञप्तियां और वक्तव्य
केंस जी-20 शिखर सम्मेलन, नवंबर, 2011
सियोल जी-20 शिखर सम्मेलन, नवंबर, 2010
टोरंटो जी-20 शिखर सम्मेलन, जून, 2010
पिट्सबर्ग जी-20 शिखर सम्मेलन, सितंबर, 2009
लंदन जी-20 शिखर सम्मेलन, अप्रैल, 2009
वाशिंगटन जी-20 शिखर सम्मेलन, नवंबर, 2008
शिखर सम्मेलन घोषणाएं :
वित्तीय बाजारों एवं विश्व अर्थव्यवस्था पर वाशिंगटन जी-20 शिखर सम्मेलन घोषणा

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वित्तीय प्रणालियों के संवर्धन पर लंदन जी-20 शिखर सम्मेलन घोषणा

(136 KB) (English Version)
पिट्सबर्ग जी-20 शिखर सम्मेलन घोषणा

(445 KB) (English Version)
टोरंटो जी-20 शिखर सम्मेलन घोषणा

(523 KB)
सियोल जी-20 शिखर सम्मेलन नेताओं का घोषणा पत्र
केंस जी-20 शिखर सम्मेलन घोषणा