(अनिधकृत अनुवाद)
माननीय संसद सदस्य श्री सत्यव्रत चतुर्वेदी जी, सचिव (पश्चिम) श्री मधुसूदन गणपति, दक्षिण अफ्रीका में भारत के उच्चायुक्त श्री वीरेन्द्र गुप्ता, हिन्दी शिक्षा संघ की गौटेंग शाखा के संयुक्त निदेशक श्री हीरालाल सेवानाथ तथा प्रिय दोस्तो।
जब दो दिन पहले हम मिले थे तो मैंने आशा व्यक्त की थी कि अपने उदेश्यों को प्राप्त करने में 9वां विश्व हिन्दी सम्मेलन सफल होगा। पिछले दो दिनों के दौरान शैक्षिक सत्रों में, हिन्दी के विभिन्न पहलुओं पर गहन विचार - विमर्श हुआ। सौ से अधिक पेपर प्रस्तुत किए
गए तथा उन सत्रों में हुए विचार - विमर्श एवं सिफारिशों के आधार पर रिपोर्टें प्रस्तुत की गईं। कतिपय कार्य बिन्दुओं को शामिल करते हुए, सम्मेलन के दौरान उजागर किए गए मुद्दों के आधार पर एक संकल्प तैयार किया गया है। अब इन कार्य बिन्दुओं को लागू करने के लिए
हम सबको साथ मिलकर काम करना है।
मुझे यह देखकर बड़ी प्रसन्नता हो रही है कि यह सम्मेलन एक समारोह जैसा रहा जिसमें लेखकों एवं विद्वानों के साथ अन्य लोगों ने भी भाषा के लिए केवल अपने प्यार के कारण लंबी-लंबी यात्रा पूरी करके इसमें भाग लिया। जोहान्सबर्ग, डर्बन, प्रीटोरिया तथा दक्षिण अफ्रीका
के अन्य शहरों से भारतीय मूल के लोग तथा अन्य लोग यहां आए, दक्षिण अफ्रीका एवं भारत के कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया और हिन्दी के विभिन्न पहलुओं पर एक संयुक्त प्रदर्शनी लगाई गई। इन सबसे यह सम्मेलन समारोह, महोत्सव में परिणत हो गया। हमारा
देश महोत्सवों का देश है। प्रत्येक अवसर के लिए महोत्सव होता है; हर क्षेत्र के अपने-अपने महोत्सव होते हैं जो भारतीय संस्कृति में रंग भरते हैं और इसे एक अलग पहचान प्रदान करते हैं। यह सम्मेलन भी किसी महोत्सव से कम नहीं था जिसे आपके मुस्कराते चेहरों ने
और सुन्दर बना दिया। हमारी भाषाओं ने हमेशा दूर दराज के स्थानों पर प्रेम, शांति एवं भाईचारे के संदेश को पहुंचाया है। हमें इस सम्मेलन में इसकी एक झलक देखने का अवसर मिला।
इस सम्मेलन में भारतीय एवं विदेशी विद्वानों को सम्मानित करके हमें बड़ी प्रसन्नता हुई है। मेरा यह विश्वास है कि विदेशी विद्वान अपने-अपने देशों में हिन्दी के प्रसार के लिए निष्ठा के साथ मिलजुल कर काम करेंगे। मैं विद्वानों एवं हिन्दी प्रेमियों को धन्यवाद
देना चाहती हूँ जो इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत, दक्षिण अफ्रीका एवं अन्य देशों से यहां आए हैं।
यह सम्मेलन समाप्त हो गया है किन्तु यह हमारे कार्य का अंत नहीं है। इसके जरिए एक और मील का पत्थर तय किया गया, आगे की यात्रा की यह शुरूआत मात्र है।
मैं एक बार पुन: सम्मेलन के लिए अपना बहुमूल्य समय देकर हमारा उत्साह बढ़ाने के लिए दक्षिण अफ्रीका एवं मॉरीशस के मंत्रियों एवं अधिकारियों का धन्यवाद करना चाहती हूँ।
धन्यवाद,
जोहांसबर्ग
24 सितम्बर, 2012