आदरणीय अध्यक्ष महोदय और मेरे प्रिय सहयोगियों,
मैं इस बैठक के लिए की गई उत्कृष्ट व्यवस्थाओं और हमें प्रदान किए गए अतिथि सत्कार के लिए अध्यक्ष महोदय के प्रति आभार प्रकट करना चाहूंगा। मुझे कोई संदेह नहीं है कि आपकी सुयोग्य अध्यक्षता में आज सर्वाधिक सफल और सार्थक बैठक आयोजित की जाएगी।
एशिया प्रशांत क्षेत्र में एक दूसरे पर आर्थिक निर्भरता और सहयोग बढ़ने के संकेतों से हमें हार्दिक प्रसन्नता है। वैश्वीकरण से अर्थव्यवस्था की अंत: - ट्यूनिंग एक वास्तविकता बन गई है। एक दूसरे पर ऐसी निर्भरता शांति, सुरक्षा और समृद्धि के हमारे साझा हितों को
पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देती है। परंतु इसके साथ ही गंभीर राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी मुद्दों के बारे में वास्तविक चिंताएं एवं तनाव बना रहता है, जिसका समाधान किए जाने की आवश्यकता है। एआरएफ ऐसे मुद्दों पर द्विपक्षीय वार्ता के लिए एक मंच उपलब्ध
कराता है और भारत को ऐसा विश्वास है कि यह वार्ता रचनात्मक और सार्थक हो सकती है, बशर्ते कि सभी संबंधित पक्षकारों द्वारा प्रतिबद्धता और दृष्टिकोण के साथ इसका संचालन किया जाए।
ऐसे आतंकी समूहों, जिनकी वैश्विक स्तर पर पहुंच है, द्वारा फैलाए जा रहे आतंकवाद के सार्वभौमिक अभिशाप को दूर करने के लिए सभी देशों द्वारा वैश्विक स्तर पर एक व्यापक पहल और सुदृढ़ प्रतिबद्धता तथा इच्छाशक्ति आवश्यक है। आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक व्यवस्था के
लिए एक समग्र रूपरेखा तैयार किए जाने की आवश्यकता है, जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन आयोजित कर शीघ्र निष्कर्ष निकाले जाने की आवश्यकता है। एआरएफ समुदाय के भीतर हमें व्यावहारिक रूप से सहयोग बढ़ाना चाहिए, इसके लिए
हमें अपने सूचना और संसाधनों की पूलिंग करनी चाहिए, यह सहयोग न केवल आतंकी हमलों को रोकने बल्कि आतंकवादियों को गिरफ्तार कर न्याय के कटघरे तक पहुंचाने और आतंकवाद फैलाने के लिए सभी प्रकार की वित्तीय और योजनागत सहायता को बाधित करने के लिए किया जाना चाहिए।
हमें अफगानिस्तान को एक स्थिर, लोकतांत्रिक और जनसंघीय राष्ट्र बनने में किए जा रहे उसके प्रयासों में सहयोग करना चाहिए। इस संधिकाल और परिवर्तन के दौर में विकास और सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान के साथ प्रतिबद्धता से खड़ा होना चाहिए। हम
अफगानिस्तान के इस्लामिक गणराज्य की सरकार द्वारा सभी शस्त्र विरोधी समूहों के साथ शांति वार्ता स्थापित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों का सहयोग करते हैं। परंतु इस प्रक्रिया को व्यापक आधार पर अफगान के नेतृत्व में, अफगान के स्वामित्व में की जाने वाली
समाधान प्रक्रिया के रूप में होना चाहिए जो अफगान के संविधान की रूपरेखा और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार मानकों (रेड लाइन) के अनुरूप हो। इस वार्ता में अफगान समाज के सभी वर्गों और तालिबान सहित सभी शस्त्र विरोधी समूहों को शामिल किया जाना चाहिए। समाधान प्रक्रिया
के अंतर्गत अफगान राष्ट्र और सरकार तथा पिछले एक दशक के दौरान अफगानिस्तान द्वारा की गई राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक प्रगति की असलियत को कमतर नहीं आका जाना चाहिए, जिसके लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सदस्यों ने बड़े उपायों के रूप में अपना अपना योगदान दिया है।
मैं इस अवसर पर इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि भारत की अफगान नीति में पीछे हटने का प्रावधान नहीं है। भारत ने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और पुनर्वास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
डब्ल्यूएमडी प्रौद्योगिकियों का गुप्त रूप से प्रसार हमारे लिए गंभीर चिंता का अन्य क्षेत्र है, जो अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत करता है। आतंकवादियों के हाथ में परमाणु हथियार, सामग्री और प्रौद्योगिकी पहुंचने के जोखिम का समाधान करने
के उद्देश्य से भारत पिछले कई वर्षों से इस संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र संकल्प का नेतृत्व करता रहा है। इस संदर्भ में कोरियाई प्रायद्वीप की स्थिति और हमारे पड़ोसी देशों से किए जा रहे गुप्त प्रसार के लिए डीपीआरके संपर्कों की सावधानीपूर्वक जांच किए जाने की
आवश्यकता है।
भारत ने डीपीआरके द्वारा 12 फरवरी, 2013 को अपनी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन करते हुए परमाणु परीक्षण करने के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है। हमने डीपीआरके से ऐसे कार्यकलापों को रोकने का आवाहन किया है जो क्षेत्र में शांति और स्थिरता पर प्रतिकूल
प्रभाव डालते हैं। हम कोरियाई प्रायद्वीप के परमाणु अप्रसार संबंधी ऐसे लक्ष्य का समर्थन करते हैं, जिसे डीपीआरके ने पृष्ठांकित किया है तथा संगत पक्षकारों के बीच बातचीत की बहाली का भी हम समर्थन करते हैं।
वैश्वीकरण के महत्व और एक दूसरे पर हमारी आर्थिक निर्भरता के लिए एक स्थिर, मैरीटाइम प्रणाली आवश्यक है चाहे व्यापार और वाणिज्य तथा ऊर्जा प्रवाह की आवश्यकताएं कुछ भी क्यों न हों। अत: संचार की समुद्री लेनों की संरक्षा और सुरक्षा सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। पाइरेसी
और स्मगलिंग के परिणामस्वरूप मैरीटाइम सुरक्षा के लिए उत्पन्न गैर राज्य चुनौतियों का द्विपक्षीय वार्ता, पारदर्शिता और निकटतम सहयोग के जरिए समाधान किया जाना चाहिए। निर्बाध आवागमन के अधिकार और अंतर्राष्ट्रीय विधियों के स्वीकार्य सिद्धांतों के अनुसार अन्य
मैरीटाइम अधिकारों का महत्व बढ़ाए जाने और उन्हें सुदृढ़़ करने की भी आवश्यकता है। ये सिद्धांत सभी को स्वीकार होने चाहिए। क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखना व्यापक हित में है और संप्रभुता संबंधी मुद्दों का समाधान संबंधित देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय
विधियों के अनुसार शांतिपूर्वक किया जाना चाहिए। हम बल प्रयोग अथवा बल प्रयोग की धमकियों का विरोध करते हैं। हम आशा करते हैं कि दक्षिणी चीन समुद्री क्षेत्र में विवाद से संबंधित सभी पक्षकार दक्षिणी चीन के समुद्री क्षेत्र में संव्यवहार पर 2002 की घोषणा का अनुपालन
करेंगे और 1982 के यूएनसीएलओएस सहित अंतर्राष्ट्रीय विधियों के अनुसार विवादों का शांतिप्रिय समाधान सुनिश्चित करने के लिए मिलकर कार्य करेंगे। हम सभी संबंधित पक्षकारों से इस चर्चा को आगे बढ़ाने की अपील करते हैं।
एशियाई सुरक्षा वास्तुकला में अब बहुआयामी मंच शामिल हैं, जिनमें कार्यसूची में परिवर्तन करने का भी प्रावधान निहित है। हमारा मानना है कि इन फोरमों में से प्रत्येक का नेतृत्व आसियान द्वारा जारी रखा जाना चाहिए। हम यह भी विश्वास करते हैं कि इन मंचों के अंतर्गत
किए जाने वाले कार्यकलापों का समन्वयन इस ढंग से किया जाना चाहिए ताकि प्रयासों की पुनरावृत्ति को न्यूनतम किया जा सके और आपसी सहयोग एवं सह-अस्तित्व को बढ़ावा दिया जा सके। भारत इन प्रक्रियाओं के प्रति सदा से प्रतिबद्ध रहा है और एआरएफ के साथ एडीएमएम+, विस्तारित
मैरीटाइम फोरम और अन्य फोरमों के अंतर्गत की जाने वाली वार्ताओं में भाग लेगा तथा योगदान देगा।
मैं इस अवसर का लाभ उठाते हुए अपने मित्र और पड़ोसी देश म्यांमार को शुभकामनाएं देना चाहूंगा क्योंकि यह आसियान की तथा 2014 में आयोजित किए जाने वाले एआरएफ की अध्यक्षता स्वीकार करने के लिए तैयारी कर रहा है।
धन्यवाद।
ब्रुनेई
2 जुलाई, 2013