आर्चिस मोहन द्वारा
हाल के वर्षों में, भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की गुट निरपेक्ष के मूल सिद्धांत पर आधारित विदेश नीति अपनाने के लिए आलोचना की जा रही है, जिसमें से अधिकांश अज्ञानता पर आधारित है या संदर्भ के बिना है। परंतु एक समय ऐसा था जब गुट निरपेक्ष तथा
विश्व के कूटनीतिज्ञ के रूप में नेहरू जी के कद ने एक नैतिक प्राधिकार के साथ नई दिल्ली की रक्षा की जिसने अंतर्राष्ट्रीय मामलों में अपने वजन से ऊपर इसे पंच करने में समर्थ बनाया। जैसा कि विदेश मंत्री श्री सलमान खुर्शीद इस समय कर रहे हैं, उस ऋण को वसूलने के
लिए हमें हंगरी का दौरा करने की आवश्यकता है, जिसका हंगरी के आम नागरिकों की राय में उस भूमिका के लिए हंगरी भारत का ऋणी है जिसे नई दिल्ली ने हंगरी में 1956 की बगावत के दौरान निभाई थी।
हंगरी के लोग आज भी याद करते हैं कि किस तरह से भारत ने मास्को में साम्यवादी शासन के साथ हस्तक्षेप किया था, जिसकी वजह से डा. अर्पाड गोंज के जीवन की रक्षा हो पाई थी। बगावत को निर्दयता से कुचलने एवं उसके नेतृत्व को समूल नष्ट करने के लिए बुडापेस्ट में लाल
सेना के टैंक चक्कर लगा रहे थे। डा. गोंज को बचाने के लिए मास्को से अनुरोध करने के लिए भारत ने कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से काम किया। आगे चलकर उन्होंने 1990 से 2000 तक हंगरी के राष्ट्रपति के रूप में सेवा की तथा वह शीत युद्ध की समाप्ति के बाद हंगरी के पहले
गैर साम्यवादी राष्ट्रपति थे।

बुडापेस्ट में मीडिया वार्ता के दौरान हंगरी के विदेश मंत्री श्री जैनोस मार्टोनी के साथ विदेश मंत्री श्री सलमान खुर्शीद (15 जुलाई, 2013)
विदेश मंत्री श्री सलमान खुर्शीद 14 से 16 जुलाई तक बुडापेस्ट के दौरे पर हैं। हंगरी के राजदूतों के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करने के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया है, जो भारत एवं हंगरी के बीच उच्च स्तर के पारस्परिक विश्वास का प्रतीक है। द्विपक्षीय, क्षेत्रीय
एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्व के सभी मुद्दों पर विचार - विमर्श करने एवं सभी क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर अपने दृष्टिकोणों में निकटता से समन्वय करने के लिए उन्होंने हंगरी के विदेश मंत्री डा. जैनोस मार्टोनी से भी मुलाकात की है।
इस यात्रा के दौरान, श्री सलमान खुर्शीद अक्टूबर में हंगरी के प्रधान मंत्री श्री विक्टर ओरबान की सरकारी यात्रा के लिए भ्रमण कार्यक्रम एवं एजेंडा को अंतिम रूप देंगे, जिससे उम्मीद है कि भारत एवं हंगरी के द्विपक्षीय संबंधों में एक नए मील पत्थर का निर्माण होगा।
उम्मीद है कि दोनों पक्ष अपने द्विपक्षीय सहयोग को और सुदृढ़ करने के लिए अनेक द्विपक्षीय करारों पर हस्ताक्षर करेंगे। विदेश मंत्री महोदय ने हंगरी के प्रधान मंत्री के साथ बैठक की है और अपनी पीढ़ी की सबसे महत्वपूर्ण महिला चित्रकारों में से एक अमृता शेरगिल, जिसकी
मां हंगरी की थी, की जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
शीत युद्ध काल के दौरान भारत और हंगरी के बीच घनिष्ट आर्थिक एवं राजनीतिक संबंध थे। 1980 के दशक में लगभग 200 मिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के साथ भारत हंगरी का एशिया में सबसे बड़ा व्यापार साझेदार था। तथापि, 1990 के बाद के वर्षों में जीवंत आर्थिक सहयोग की
गति को बनाए रखना दोनों पक्षों के लिए कठिन हो गया। द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि तथा हंगरी में भारतीय निवेश के 1.5 बिलियन डॉलर के रिकार्ड स्तर पर पहुंचने से पिछले कुछ वर्षों में इसमें थोड़ा परिवर्तन आना शुरू हो गया है। 2011 में द्विपक्षीय व्यापार 840 मिलियन
डॉलर पर पहुंच गया था परंतु 2012 में यह घटकर 641.9 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया जिसका प्रमुख कारण भारत को हंगरी की ओर से निर्यात में भारी गिरावट था। व्यापार ऐसा क्षेत्र है जिस पर दोनों पक्ष श्री सलमान खुर्शीद की यात्रा के दौरान विचार - विमर्श करना चाहेंगे।
दोनों देशों ने हंगरी के तत्कालीन प्रधान मंत्री फेरेंक गुरसानी की भारत यात्रा के साथ 2008 में अपने राजनयिक संबंधों की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ मनाया था। पिछले दो दशकों में भारत और हंगरी ने अनेक करारों पर हस्ताक्षर किया है जिसमें वायु सेवा करार, दोहरा कराधान
परिहार करार, द्विपक्षीय निवेश संरक्षण एवं संवर्धन करार, सामाजिक सुरक्षा करार, स्वास्थ्य, कृषि, सूचना प्रौद्योगिकी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा रक्षा में सहयोग पर करार शामिल हैं।
भारत हंगरी में आयुर्वेद को बढ़ावा देने का भी प्रयास कर रहा है, जिसमें स्पा थेरेपी की परंपरा रही है। भारतीय दूतावास ने सितंबर, 2007 में बुडापेस्ट में आयुर्वेद पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और मार्च, 2010 में बुडापेस्ट में ‘ट्रेडिशनल हर्बल मेडिसिनल प्रोडक्ट
डायरेक्टिव एंड इट्स इंपैक्ट ऑन आयुर्वेद इन यूरोप’ पर एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला के आयोजन में मदद की थी।
तुर्की, जिसकी माननीय विदेश मंत्री महोदय सप्ताह के उत्तरार्ध में यात्रा करेंगे, के साथ हंगरी मध्य यूरोप के महत्वपूर्ण देश हैं। मध्य यूरोपीय क्षेत्र में 30 देश आते हैं, तथा इनमें से अनेक देश पहले साम्यवादी देश हुआ करते थे।
पिछले दो वर्षों के दौरान भारतीय विदेश नीति ने इन देशों के साथ, विशेष रूप से पूर्व वार्सा संधि देशों एवं पूर्व यूगोस्लाव देशों के साथ अपने संबंधों को संवारने पर पर्याप्त ध्यान देना शुरू कर दिया है क्योंकि ये देश प्रौद्योगिकीय ज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र
में बहुत आगे हैं। पिछले दो वर्षों में, इन देशों से महत्वपूर्ण मंत्री एवं शिष्टमंडल नई दिल्ली आए हैं, जिसमें स्लोवेनिया एवं पोलैंड शामिल हैं।

29 जनवरी, 2013 को वार्सा में अपनी बैठक से पूर्व पोलैंड के विदेश मंत्री से हाथ मिलाती हुई विदेश राज्य मंत्री सुश्री परनीत कौर
भारत के लिए रूचि के कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में इन देशों की विशेषज्ञता है। उदाहरण के लिए, स्लोवेनिया बिजली संबंधी अपनी आवश्यकता का 70 प्रतिशत परमाणु बिजली से पूरा करता है। भारत भी शांतिपूर्ण प्रयोग के लिए परमाणु ऊर्जा का
उपयोग करने में चेक गणराज्य एवं बुल्गारिया के अनुभवों से सीखने की उम्मीद करता है।
मध्य यूरोप भारत के लिए आर्थिक दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। मध्य यूरोप के देशों के साथ भारत का कुल द्विपक्षीय व्यापार 26649.08 मिलियन डॉलर है। उल्लेखनीय है कि व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में है क्योंकि भारत का कुल निर्यात 15481.15 मिलियन डॉलर
है, जबकि आयात 11168.9 मिलियन डॉलर है। परंतु ये आंकड़े समूची कहानी नहीं बताते हैं क्योंकि ये इनमें से केवल कुछ देशों, जैसे कि तुर्की के साथ भारत के स्वस्थ व्यापार संबंधों पर टिके हैं। इनमें से अधिकांश देशों के साथ भारत का व्यापार बहुत कम है। यह शीत युद्ध
पश्चात काल में उन संबंधों को आगे बढ़ाने में नई दिल्ली की असमर्थता का परिणाम है, जो 1950 के दशक से लेकर 1980 के दशक तक इनमें से अनेक देशों के साथ थे।
भारत विद्युत मशीनों, परिवहन वाहनों, कृषि उत्पादों, चाय, कॉफी भेषज पदार्थों, परिधानों, कंप्यूटर साफ्टवेयर, ज्वेलरी, चमड़ा उत्पादों आदि का निर्यात करता है। यह लोहा एवं इस्पात, मेटल स्क्रैप, परमाणु रिएक्टर, खनिज ईंधन एवं उत्पाद, उर्वरक, स्विस घडि़यों,
ग्लास एवं क्रिस्टल उत्पादों आदि का आयात करता है।
मध्य यूरोप के देशों में निवेश करने वाली प्रमुख भारतीय कंपनियां इस प्रकार हैं : टाटा मोटर्स, इंफोसिस, डा. रेड्डी, विप्रो, बायोकॉन, आदित्य बिरला ग्रुप, टी सी एस, टेक-महिंद्रा एवं ओसवाल ग्रुप आदि। भारत में निवेश करने वाली मध्य यूरोप की प्रमुख कंपनियां इस प्रकार
हैं : नोकिया, सिमेंस, टेलेनॉर, वोल्वो, साब, टाटरा, स्कोडा आटो, विट्कोवाइस, नेस्ले, नोवर्टीज, सुल्जर, स्वारोवर्स्की, हिल्टी, थुस्सेनक्रुप आदि। बुडापेस्ट स्थित भारतीय दूतावास तथा सी आई आई ने नवंबर, 2011 में ‘राइजिंग इंडिया इन सेंट्रल यूरोप’ पर एक सम्मेलन
का आयोजन किया था।
भारत - मध्य यूरोप की क्षमता का अभी तक ज्यादातर दोहन नहीं हुआ है। भारत ने शिखर बैठकों के रूप में अफ्रीका के साथ भागीदारी शुरू की है, ''पूरब की ओर देखो नीति’’ पर बल दिया है तथा ''मध्य एशिया को जोड़ो’’ रणनीति निर्धारित की है। मध्य यूरोप के क्षेत्र में आर्थिक
हितों को आगे बढ़ाने के लिए यह उपयुक्त समय हो सकता है। नार्वे की यात्रा से लौटने के शीघ्र बाद श्री सलमान खुर्शीद की हंगरी और तुर्की की यात्रा से उम्मीद है कि इससे भारत एवं मध्य यूरोप के बीच मजबूत संबंधों का मार्ग प्रशस्त होगा।
मध्य यूरोप : तथ्य पत्रक
मध्य यूरोप के अंतर्गत 30 देश आते हैं।
इनमें से 25 देशों में शासन का संसदीय रूप अपनाया जाता है, 4 देश संवैधानिक राजतंत्र हैं तथा 1 देश राजतंत्रीय सेक्रोडोटल (होली सी) है। इनमें से 18 देश यूरोपीय संघ के सदस्य हैं तथा 8 देश यूरो जोन के सदस्य हैं। 30 देशों में से 17 देश नाटो के सदस्य हैं और 18
देश शेनगेन के सदस्य हैं।
पूर्व साम्यवादी देश इस प्रकार हैं : इस्टोनिया, लातविया, लिथुवानिया, मालदोवा, बुल्गारिया, चेक गणराज्य, हंगरी, पोलैंड, रोमानिया, स्लोवाकिया, अल्बानिया, बोस्निया एवं हर्जेगोविना, क्रोएशिया, मेसीडोनिया, मोंटेनेग्रो, सर्बिया एवं स्लोवेनिया।
स्कैंडेनेविया / नॉर्डिक देश : आइसलैंड, नार्वे, डेनमार्क, स्वीडन एवं फिनलैंड
बाल्टिक राज्य : इस्टोनिया, लातविया एवं लिथुवानिया
वाइसगार्ड राज्य : पोलैंड, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया एवं हंगरी
ईस्टर्न बाल्कन देश : बुल्गारिया, रोमानिया एवं मालदोवा
वेस्टर्न बाल्कन / पूर्व यूगोस्लाव देश : स्लोवेनिया, क्रोएशिया, सर्बिया, बोस्निया एवं हर्जेगोविना, मेसीडोनिया, मोंटेनेग्रो एवं अल्बानिया
अल्पाइन राज्य : आस्ट्रिया, स्विट्जरलैंड और लिचेस्टीन
भूमध्यसागरीय राज्य : यूनान, साइप्रस, माल्टा और तुर्की
होली सी : वेटिकन सिटी
मध्य यूरोप के देशों को कुल क्षेत्रफल - 3667652.5 वर्ग किलोमीटर
सबसे बड़ा देश (क्षेत्रफल की दृष्टि से) - तुर्की (784,000 वर्ग किलोमीटर)
सबसे छोटा देश (क्षेत्रफल की दृष्टि से) - वेटिकन सिटी (0.44 वर्ग किलोमीटर)
सबसे बड़ा देश (आबादी की दृष्टि से) - तुर्की (75.63 मिलियन)
सबसे छोटा देश (आबादी की दृष्टि से) - वेटिकन सिटी (836)
मध्य यूरोप के देशों में रहने वाले भारतीयों की संख्या तकरीबन 1 लाख है।
कुल जी डी पी - 5980.49 बिलियन डॉलर (पी पी पी के आधार पर तकरीबन 6 ट्रिलियन)
सर्वाधिक प्रति व्यक्ति आय - लिचेस्टीन (187390 अमरीकी डॉलर)
न्यूनतम प्रति व्यक्ति आय - मालदोवा (3500 अमरीकी डॉलर)
(ऊपर व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं)