1. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति महामहिम डा. सुसीलो बमबांग युद्धोयोनो
ने 10 से 12 अक्टूबर, 2013 के दौरान इंडोनेशिया के आधिकारिक दौरे पर भारत के प्रधान मंत्री महामहिम डा. मनमोहन सिंह का स्वागत किया। यह महामहिम डा. मनमोहन सिंह द्वारा इंडोनेशिया की पहली द्विपक्षीय यात्रा है; इससे पहले उन्होंने एशियाई
–अफ्रीकी शिखर बैठक तथा 1955 के एशियाई–अफ्रीकी
सम्मेलन के स्वर्ण जयंती संस्मारक बैठक, जिसे अप्रैल, 2005 में बंडुंग में आयोजित किया गया था, के लिए तथा नवंबर, 2011 में 9वीं आसियान
– भारत शिखर बैठक तथा 6वीं पूर्वी एशिया शिखर बैठक के लिए इंडोनेशिया का दौरा किया था। दोनों नेताओं ने 11 अक्टूबर, 2013 को आपसी
हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर व्यापक बातचीत का आयोजन किया।
2. दोनों नेताओं ने यह स्वीकार किया कि भारत और इंडोनेशिया दोनों ही
मैत्रीपूर्ण पड़ोसी हैं तथा दोनों देशों के बीच घनिष्ट ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संपर्क, लोकतंत्र, बहुलवाद एवं विविधता का सम्मान करने की साझी प्रतिबद्धता तथा दोनों ही देश विशाल एवं गतिशील अर्थव्यवस्था के रूप में हैं जहां मजबूत संपूरकताएं एवं साझी चुनौतियां
हैं, इसलिए दोनों देश प्राकृतिक रूप से साझेदार हैं।
3. दोनों नेताओं ने इस बात को नोट किया कि संबंध में विकास को नवंबर,
2005 में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति महामहिम डा. सुसीलो बमबांग युद्धोयोनो की भारत की राजकीय यात्रा के दौरान एक नया बल मिला था तथा जनवरी, 2011 में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति डा. सुसीलो बमबांग युद्धोयोनो की भारत यात्रा के दौरान
‘आने वाले दशक में भारत–
इंडोनेशिया नई सामरिक साझेदारी के लिए विजन’ को परिभाषित करने के लिए एक संयुक्त वक्तव्य को अपनाने के बाद इस संबंध को और प्रोत्साहन
मिला।
4. दोनों नेताओं के बीच मजबूत, बहुपक्षीय सहयोग को इससे से अधिक ऊंचाई
पर ले जाने के उद्देश्य से सामरिक साझेदारी को सुदृढ़ करने के लिए पांच उद्देश्यीय पहल को अपनाने के लिए सहमति हुई।
I. सामरिक भागीदारी
5. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति तथा भारत के प्रधान मंत्री वार्षिक शिखर
बैठकों का आयोजन करने पर सहमत हुए जिसमें बहुपक्षीय कार्यक्रमों के दौरान अतिरिक्त समय में बैठकों का आयोजन शामिल है। उन्होंने मंत्रीस्तरीय एवं कार्य समूह जैसे तंत्रों समेत स्थापित मजबूत वार्ता वास्तुशिल्प के माध्यम से नियमित द्विपक्षीय परामर्श जारी रखने
के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने संयुक्त आयोग की नियमित बैठक बुलाए जाने तथा विदेश कार्यालय परामर्श शुरू किए जाने पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने अपने–
अपने विदेश मंत्रियों को द्विपक्षीय, क्षेत्रीय, बहुपक्षीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर नियमित परामर्श का आयोजन करना जारी रखने तथा सहयोग की गतिविधियों पर समन्वय स्थापित करने का निर्देश दिया। दोनों नेताओं ने इस बात को नोट किया कि शिक्षा, पर्यटन, कोयला, तेल
एवं गैस, कृषि, आतंकवाद की खिलाफत तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर सेक्टोरल संयुक्त कार्य समूह ठीक से काम कर रहे हैं तथा ठोस परिणाम प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने उनसे क्षेत्रगत सहयोग को सुदृढ़ करने के लिए सहमत उपायों को समयबद्ध ढंग से लागू करने पर बल देने का
आग्रह किया।
6. दोनों नेताओं ने संतोष के साथ नोट किया कि दोनों देशों की संसदों
के बीच शिष्टमंडलों के नियमित आदान– प्रदान ने विचारों, अनुभवों एवं सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में सहायता प्रदान की है।
उन्होंने न्यायिक संस्थाओं, चुनाव आयोगों तथा राजनीतिक दलों द्वारा दौरे के नियमित आदान
– प्रदान को प्रोत्साहित किया, जो द्विपक्षीय संबंधों तथा लोकतांत्रिक मूल्यों को और सुदृढ़ करने में योगदान करेंगे। उन्होंने
भारत के केंद्रीय सतर्कता आयोग (सी वी सी) तथा इंडोनेशिया के कोमिसी पेम्ब्रानतासन कोरूप्सी (के पी के) के बीच भ्रष्टाचार से निपटने पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने का स्वागत किया।
7. दोनों नेताओं ने भारत
– इंडोनेशिया प्रख्यात व्यक्ति समूह (ई पी जी) के गठन का तथा एक वर्ष के अंदर भारत–इंडोनेशिया
संबंधों के लिए विजन दस्तावेज 2025 तैयार करने का कार्य सौंपे जाने का स्वागत किया। इस संबंध में, उन्होंने ई पी जी के गठन के लिए सहमत विचारार्थ विषयों का स्वागत किया तथा इस समूह की जल्दी से बैठक बुलाए जाने का निर्देश दिया।
8. दोनों नेताओं ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) तथा इंडोनेशिया
के राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष संस्थान (एल ए पी ए एन) के बीच निरंतर गहन हो रहे सहयोग को स्वीकार किया। उन्होंने एल ए पी ए एन एवं इसरो को वाह्य अंतरिक्ष अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन 2002 को प्रतिष्ठापित करने के लिए एक विस्तृत
दायरे के साथ शांतिपूर्ण प्रयोजनों के लिए वाह्य अंतरिक्ष के अन्वेषण एवं प्रयोग में सहयोग पर अंतर्सरकारी रूपरेखा करार की निष्पत्ति को गति देने तथा एकीकृत बियाक टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एवं कमांड (टी टी सी) स्टेशन के स्वत्व अंतरण पर करार तथा इसरो के उपग्रह एवं
लांच वाहन कार्यक्रम के लिए बियाक टी टी सी सुविधा उपयोग के लिए कार्यान्वयन करार को जल्दी से अंजाम पर पहुंचाने के लिए प्रोत्साहित किया। इंडोनेशिया ने बियाक टी टी सी के और उन्नयन के लिए भारत के प्रस्ताव का स्वागत किया ताकि यह अपने ओसियन सैट एवं रिसोर्स
सैट उपग्रहों से डाटा प्राप्त कर सके, जिनके पास हाइड्रोग्राफी, मौसम की भविष्यवाणी, आपदा प्रबंधन, फसलों की भविष्यवाणी तथा संसाधन मानचित्रण में अप्लीकेशन हैं तथा आसियान–
भारत अंतरिक्ष सहयोग परियोजना के तहत एशिया एवं प्रशांत में अंतरिक्ष विज्ञान प्रौद्योगिकी शिक्षा केंद्र (सी एस एस टी ई ए पी) में इंडोनेशिया के अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम हैं। इसरों और एल ए पी ए एन भारतीय लांच वाहनों का उपयोग करके अंतरिक्ष में इंडोनेशिया
के सूक्ष्म उपग्रहों को भेजने की दिशा में काम करेंगे।
9. दोनों पक्ष शांतिपूर्ण प्रयोजनों के लिए परमाणु ऊर्जा के उपयोग के
संबंध में सहयोग करार को नवीकृत करने पर सहमत हुए।
II.रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग
10. दोनों नेताओं ने इस बात की फिर से पुष्टि की कि क्षेत्रीय शांति एवं
सुरक्षा को बनाये रखने में सांझे हित के साथ सामरिक सांझेदार एवं समु्द्री पड़ोसी के रूप में भारत और इंडोनेशिया को पहले से मजबूत रक्षा सहयोग को और विस्तृत एवं सुदृढ़ करने के लिए निश्चित रूप से काम करना चाहिए। उन्होंने संतोष के साथ इस बात को नोट किया कि रक्षा
मंत्री वार्ता की शुरूआत तथा संयुक्त रक्षा सहयोग समिति (जे डी सी सी) की बैठकों के नियमित आयोजन तथा दोनों देशों के बीच थलसेना एवं नौसेना के बीच स्थापित स्टाफ वार्ता के नियमित आयोजन से दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग में वृद्धि हुई है। दोनों पक्ष अपनी-अपनी
वायु सेना के बीच आदान-प्रदान बढ़ाने के लिए सहमत हुए जिसमें आवश्यकता के अनुसार स्टाफ वार्ता स्थापना शामिल है। वे सूचना एवं आसूचना की हिस्सेदारी को जारी रखने तथा आदान-प्रदान, प्रशिक्षण एवं संयुक्त अभ्यास, जिसमें विशेष बलों के बीच अभ्यास शामिल है, की बारम्बारता
बढ़ाने पर भी सहमत हुए। उन्होंने दोनों देशों के बीच रक्षा उपकरणों की बिक्री एवं सह-उत्पादन, परस्पर सहमत रक्षा संबद्ध अनुसंधान की गतिविधियों तथा प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण सहयोग की संभावना का पता लगाने का भी निर्णय किया।
11. दोनों पक्ष भारत के यूएन शांति स्थापना केन्द्र (सी एन यू पी के)
तथा संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना पर इंडोनेशियाई शांति एवं सुरक्षा केंद्र (आई पी एस सी) के बीच संबंध स्थापित करने पर सहमत हुए।
12. उन्होंने समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में क्षमता निर्माण एवं सर्वोंत्तम
प्रथाओं के आदान-प्रदान पर घनिष्ठ सहयोग तथा संयुक्त अभ्यास के आयोजन के महत्व पर भी बल दिया। वे हाइड्रोग्राफी, संयुक्त सर्वेक्षण तथा समुद्री क्षेत्राधिकार जागरूकता के क्षेत्रों में विद्यमान सहयोग एवं क्षमता निर्माण में वृद्धि करने पर भी सहमत हुए।
13. दोनों नेताओं ने इस बात को नोट किया कि 2011 में दोनों देशों के बीच
हस्ताक्षरित अपराधिक मामलों में प्रत्यर्पण संधि तथा परस्पर कानूनी सहायता संधि की पुष्टिकरण की प्रक्रिया के पूरा हो जाने से न्यायिक सहयोग सुदृढ़ होगा। दोनों पक्ष सजायाफ्ता व्यक्तियों के अंतरण के मुद्दे पर सहयोग स्थापित करने की संभावना का पता लगायेंगे।
14. वैश्विक आतंकवाद तथा अन्य राष्ट्रपारीय अपराधों से राष्ट्रीय सुरक्षा
के लिए मौजूद साझे खतरों को ध्यान में रखते हुए दोनों नेताओं ने आतंकवाद की खिलाफत, आतंकियों के वित्त पोषण, धन शोधन, हथियारों की तस्करी, मानव तस्करी तथा साइबर अपराध के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को पर्याप्त रूप से बढ़ाने का संकल्प किया। उन्होंने दोनों
देशों के आसूचना एवं कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच संपर्क बढ़ाने तथा एक-दूसरे को जरूरत पड़ने पर इन महामारियों से निपटने में सहायता प्रदान करने के लिए अपनी साझी प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने आंतकवाद की खिलाफत पर संयुक्त कार्य समूह के कार्य की सराहना की,
जिसकी नियमित रूप से बैठक हो रही है। उन्होंने स्वापक पदार्थों, औषधियों, मन: प्रभावी पदार्थों तथा इसके पूर्ववर्तीयों में अवैध व्यापार से निपटने पर एमओयू पर हस्ताक्षर किये जाने का स्वागत किया। उन्होंने दोनों पक्षों की संगत एजेंसियों को साइबर सुरक्षा के
मुद्दे पर वार्ता शुरू करने का निर्देश दिया।
15. दोनों नेताओं ने सुरक्षा सहयोग पर एक व्यापक कार्य योजना तैयार करने
की दिशा में काम करने के लिए अपने-अपने अधिकारियों को निर्देश दिया।
16. दोनों नेताओं ने आपदा प्रबंधन में सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
किए जाने का स्वागत किया, जो अनुभवों एवं सर्वोंत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए नियमित संयुक्त अभ्यास, प्रशिक्षण में सहयोग तथा शिष्टमण्डलों के आदान-प्रदान को संस्थानिक करेगा और इस प्रकार अधिक दक्ष एवं कारगर ढंग से प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की क्षमता
में वृद्धि करेगा।
III. व्यापक आर्थिक साझेदारी
17. दोनों नेताओं ने भारत एवं इंडोनेशिया के बीच व्यापार एवं निवेश के
क्षेत्र में बढ़ते संबंधों पर संतोष व्यक्त किया तथा 2015 तक 25 बिलियन अमरीकी डालर के द्वीपक्षीय व्यापार लक्ष्य को प्राप्त करने का विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने आसियान-भारत सेवा में व्यापार करार तथा आसियान-भारत निवेश करार पर हस्ताक्षर करने के लिए
अगस्त, 2013 में ब्रुनेई में 11वें आसियान आर्थिक मंत्री- भारत परामर्श की बैठक के दौरान आसियान एवं भारत की प्रतिबद्धता का स्वागत किया तथा इस बात को नोट किया कि उस प्रतिबद्धता के अनुसरण में 3 से 6 दिसम्बर, 2013 के दौरान बाली में आयोजित होने वाले 9वें डब्ल्यू
टी ओ मंत्री स्तरीय सम्मेलन के दौरान अतिरिक्त समय में इन करारों पर हस्ताक्षर किये जाएंगे। दोनों नेताओं ने निर्देश दिया कि भारत-इंडोनेशिया व्यापाक आर्थिक सहयोग करार (सी ई सी ए) पर वार्ता जल्दी से शुरू की जाए जिससे आसियान
– भारत मुक्त व्यापार करार सुदृढ़ होगा तथा इसमें अधिक गहराई आएगी।
18. दोनों नेताओं ने इच्छा व्यक्त की कि द्वीवार्षिक व्यापार मंत्री
मंच (बी टी एम एफ) की दूसरी बैठक जल्दी से बुलाई जाए तथा ऊर्जा मंच की उद्घाटन बैठक भी जल्दी से बुलाई जाए। इन मंचों से आर्थिक नीतियों पर सतत वार्ता मार्ग प्रशस्त होना चाहिए ताकि व्यापार एवं निवेश से जुड़ी बाधाओं को दूर किया जा सके।
19. दोनों नेताओं ने 10 अक्टूबर, 2013 को जकार्ता में भारत
–इंडोनेशिया सी ई ओ मंच के लिए दोनों पक्षों के प्रख्यात व्यापारिक घरानों के बीच बैठक का स्वागत किया। उन्होंने सी ई ओ मंच
से नियमित रूप से वार्ता का आयोजन करने तथा नेताओं को द्वीपक्षीय व्यापार एवं निवेश के संबंधों को और सुदृढ़ करने के उपायों पर अपनी स्पष्ट एवं रचनात्मक सलाह प्रदान करने का आग्रह किया।
20. दोनों नेता व्यवसाय दर व्यवसाय एम ओ यू के कार्यान्वयन की कारगर
ढंग से निगरानी करने, एक दूसरे की राष्ट्रीय अवसंरचना विकास योजनाओं में निवेश में सहायता प्रदान करने, जिसमें पी पी मोड में अवसंरचना विकास शामिल है, तथा भारत, इंडोनेशिया या तीसरे देशों में संयुक्त निवेश के लिए विशिष्ट परियोजनाओं की पहचान करने के लिए एक उच्च
स्तरीय कार्यबल का गठन करने पर सहमत हुए। उन्होंने संगत मंत्रालयों, एजेंसियों, अनुसंघान संघों तथा थिंक टैंक को विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु एवं मझौले उद्यमों पर बल देते हुए नियमित रूप से सेमिनार, कार्यशाला तथा व्यवसायी ज्ञानार्जन दौरा आयोजित करने पर साथ मिलकर
काम करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने संगत मंत्रालयों से एक दूसरे के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग के क्षेत्र में निवेश के लिए अनुकूल रूपरेखा उपलब्ध कराने के लिए सड़क, राजमार्ग एवं परिवहन क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर वार्ता की गति तेज करने का आग्रह
किया।
21. दोनों नेताओं ने इस बात पर भी बल दिया कि दोनों देशों के बीच व्यापार
में सहायता प्रदान करने के लिए मानकों पर द्वीपक्षीय सहयोग आवश्यक है। इस संबंध में इंडोनेशिया की राष्ट्रीय मानकीकरण एजेंसी (बी एस एन) तथा भारतीय मानक ब्यूरो (बी एस आई) को मानकीकरण एवं पुष्टि मूल्यांकन सहयोग पर एक एम ओ यू की दिशा में काम की गति तेज करनी
चाहिए। भारत और इंडोनेशिया दोनों ही ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की साझी आकांक्षा के साथ ऊर्जा दक्षता प्रौद्योगिकी, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने में सहयोग करने के लिए सहमत हुए।
22. खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में विद्यमान चुनौतियों को ध्यान में रखते
हुए दोनों नेताओं ने कृषि पर संयुक्त कार्य समूह तथा मछली पालन पर संयुक्त तकनीकी समिति की सिफारिशों को समग्र ढंग से लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने निर्देश दिया कि कृषि उत्पादों, मछली एवं मछली उत्पादों के लिए परस्पर पहुंच की सुविधा प्रदान
करने के लिए कदम उठाएं जाएं तथा संयुक्त अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास, क्षमता निर्माण तथा वैज्ञानिकों के आदान-प्रदान के क्षेत्र में सहयोग का आह्वान किया।
23. दोनों नेताओं ने स्वास्थ्य सहयोग पर एम ओ यू पर हस्ताक्षर किये
जाने का स्वागत किया जो समान स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में घनिष्ठ सहयोग का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने दोनों पक्षों को फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में परस्पर लाभपद्र सहयोग का विस्तार करने के लिए भी दोनों पक्षों को निर्देश दिया। उनके बीच इस बात पर
सहमति हुई कि दोनों देश जेनेरिक दवाओं के क्षेत्र में घनिष्ठ सहयोग का निर्माण करेंगे। इस बात को नोट करते हुए कि दोनों ही देश गरीबी उन्मूलन, बाल संरक्षण, महिला सशक्तीकरण, पर्यावरण संरक्षण तथा शहरीकरण से संबंधित मुद्दों जैसी विकास की समान चुनौतियों का सामना
कर रहे हैं, उन्होंने इन चुनौतियों से निपटने के लिए विचार विमार्श जारी रखने का दोनों पक्षों से आह्वान किया।
24. दोनों नेताओं ने दोनों देशों की जनता के लिए खाद्य सुरक्षा के महत्व
पर बल दिया तथा वे खाद्य सुरक्षा तंत्र, अनुसंधान एवं विकास तथा अंतर्राष्ट्रीय निकायों में ठोस कदम उठाने के लिए एक दूसरे के साथ तथा अन्य साझेदारों के साथ काम करने पर सहमत हुए।
25. दोनों देताओं ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सहयोग सुदृढ़
करने के महत्व पर जोर दिया तथा निर्देश दिया कि सहयोग कार्यक्रम को जल्दी से जल्दी अंतिम रूप दिया जाए और सहयोग के सहमत क्षेत्रों, जैसे कि जैव प्रौद्योगिकी, समुद्र, कृषि, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य एवं दवा, ऊर्जा, आपदा प्रबंधन, वैमानिकी एवं
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में ठोस सहयोग के लिए रोडमैप विकसित किया जाए।
26. व्यापार एवं पर्यटन में वृद्धि के लिए संयोजकता के महत्व को स्वीकार
करते हुए दोनों नेताओं ने बैटिक एयर द्वारा सीधी उड़ान शुरू करने तथा जेट एयरवेज एवं गरूण इंडोनेशिया के बीच कोड साझेदारी सेवाओं के लिए सहमति का स्वागत किया। उन्होंने सार्वजनिक–
निजी साझेदारी के माध्यम से निवेश समेत पत्तन विकास परियोजनाओं में निजी क्षेत्र के निवेश तथा सीधे पोत परिवहन लिंक को बढ़ावा देने को भी प्रोत्साहित किया।
27. दोनों नेताओं ने मौसम विज्ञान, जलवायु विज्ञान के अलावा जलवायु परिवर्तनीयता
एवं परिवर्तन, भूभौतिकी तथा तटवर्ती संकटों की जल्दी से चेतावनी तथा संबंधित मुद्दों के क्षेत्र में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों के विकास के माध्यम से तथा समयबद्ध ढंग से कारगर ढ़ग से आपदा जोखिम प्रबंधन समुदाय का सृजन करके सहयोग को बढ़ावा देने के लिए
एक संयुक्त कार्यसमूह की स्थापना करने के लिए सहमति को नोट किया। दोनों पक्ष पर्यावरण संरक्षण तथा जैव विविधता के परिरक्षण के क्षेत्र में घनिष्ठ सहयोग के लिए द्वीपक्षीय रूप से तथा आसियान रूपरेखा के अंदर भी काम करने के लिए सहमत हुए।
IV. सांस्कृतिक एवं जन दर जन संपर्क
28. दोनों नेताओं ने सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रम के अंतर्गत कला, संस्कृति,
संगीत एवं नृत्य के संवर्धन के माध्यम से घनिष्ठ ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संबंधों को और सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता की। युवाओं पर तथा पर्यटन को बढ़ावा देने में फिल्मों के प्रभाव एवं लोकप्रियता को स्वीकार करते हुए दोनों पक्ष निर्माण एवं निर्माण पश्चात गतिविधियों
में दोनों देशों के फिल्म उद्योग के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करने पर सहमत हुए।
29. भारत एवं इंडोनेशिया में जो युवाओं की अधिक आबादी है उसका उपयोग करने
के लिए दोनों नेताओं ने शिक्षा एवं मानव संसाधन विकास में निवेश के महत्व को रेखांकित किया। दोनों पक्ष संकाय सदस्यों के आदान प्रदान, शिक्षक प्रशिक्षण में सुविधा प्रदान करने, शिक्षा पर संयुक्त कार्य समूह की रूपरेखा के अंतर्गत दोहरे डिग्री कार्यक्रम के लिए विश्वविद्यालय
दर विश्वविद्यालय सहलग्नता को संस्थानीकृत करने के लिए काम करने पर सहमत हुए। वे इंडोनेशिया के विश्वविद्यालयों में भारतीय अध्ययन के लिए चेयर तथा भारत के विश्वविद्यालयों में इंडोनेशियाई अध्ययन के लिए चेयर स्थापित करने पर सहमत हुए। वे पर्यटन एवं अतिथि सत्कार
के क्षेत्र में अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति प्रदान करने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यात्रा लेखकों एवं टूर आपरेटरों के लिए परिचय दौरे को बढ़ावा देने पर सहमत हुए। वे अल्प अवधि के प्रशिक्षण तथा नियमित डिग्री पाठ्यक्रम के लिए एक दूसरे के देशों द्वारा छात्रों
को प्रस्तुत छात्रवृत्तियों की संख्या बढ़ाने पर भी सहमत हुए।
30. इंडोनेशिया ने भारतीय पक्ष द्वारा अकेह में निर्मित व्यावसायिक प्रशिक्षण
केंद्र के उद्घाटन की सराहना की तथा पपुआ में एक अन्य व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने के लिए भारत की पेशकश का गर्मजोशी से स्वागत किया।
31. दोनों नेताओं ने उत्कृष्टता के अंतर्राष्ट्रीय संस्थान के रूप में
नालंदा विश्वविद्यालय के महत्व पर जोर दिया तथा नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना पर समझौता ज्ञापन का समर्थन करने संबंधी पूर्वी एशिया शिखर बैठक के निर्णय का स्वागत किया। इंडोनेशियाई पक्ष ने नालंदा विश्वविद्यालय के विकास से जुड़ने की अपनी इच्छा व्यक्त
की।
32. लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एल बी एस एन ए ए),
भारत तथा राष्ट्रीय लोक प्रशासन संस्थान (एन आई पी ए), इंडोनेशिया ने दोनों देशों के बीच सिविल कर्मचारियों के सतत प्रशिक्षण विनिमय को संस्थानीकृत करने के लिए एक एम ओ यू पर हस्ताक्षर किया।
33. दोनों पक्ष कोचों, खिलाड़ियों, विशेषज्ञों तथा संगत सरकारी एजेंसियों
के बीच अधिक अत:क्रिया को बढ़ावा देने के लिए तथा खेल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, खेल उद्योग के क्षेत्र में सहयोग समेत युवा एवं खेल मामलों पर ठोस सहयोग में वृद्धि करने पर सहमत हुए।
V.साझी चुनौतियों से निपटने में सहयोग
34. दोनों नेताओं ने दिसम्बर, 2012 में नई दिल्ली में आयोजित आसियान
–भारत संस्मारक शिखर बैठक के दौरान आशियान–
भारत संबंधों को सामरिक साझेदारी के स्तर पर पहुंचाये जाने को याद किया। उन्होंने उस अवसर पर अपनाये गए विजन वक्तव्य को साकार करने की दिशा में काम करने के लिए दोनों देशों की प्रतिबद्धता को दोहराया। दोनों पक्ष आसियान से संबंधित तंत्रों जैसे कि पूर्वी एशिया
शिखर बैठक (ई ए एस), आसियान क्षेत्रीय मंच (ए आर एफ) तथा आसियान रक्षा मंत्री बैठक प्लस (ए डी एम एम +) में घनिष्ठ सहयोग जारी
रखने पर सहमत हुए। उन्होंने दूसरे विस्तारित आसियान समुद्री मंच के परिणामों को भी नोट किया, जो आसियान के क्षेत्रक निकायों को सुदृढ़ करने तथा महत्वपूर्ण समुद्री मुद्दों पर चर्चा करने का मंच है।
35. इंडोनेशियाई मंच ने भारत द्वारा आसियान के लिए भारत के एक राजदूत की
नियुक्ति की घोषणा का स्वागत किया।
36. इस बात को महसूस करते हुए कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अधिकाधिक मात्रा
में वैश्विक आर्थिक समुत्थान की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के महत्वपूर्ण सदस्य के रूप में भारत एवं इंडोनेशिया को इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर साझे एवं सामुहिक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए सर्वसम्मति
स्थापित करने में सहायता के लिए यू एन, यू एन एफ सी सी, डब्ल्यू एम ओ, डब्ल्यू टी ओ तथा जी-20 जैसे मंचों में कारगर ढंग से साथ मिलकर काम अवश्य करना चाहिए।
37. दोनों नेताओं ने इस बात को नोट किया कि हिंद महासागर के क्षेत्र में
फैले दो बड़े देश के रूप में भारत के आस्ट्रलिया का समुद्री सुरक्षा एवं संरक्षा, व्यापार एवं निवेश सुविधा, मत्स्यकी प्रबंधन, आपदा जोखिम कटौती, शैक्षिक एवं विज्ञान तथा प्रौद्यागिकी सहयोग, पर्यटन संवर्धन तथा सांस्कृतिक आदान प्रदान के क्षेत्रों में क्षेत्रीय
सहयोग को बढ़ावा देने में हिन्द महासागर क्षेत्रीय सहयोग परिधि परिसंघ (आई ओ आर ए आर सी) तथा हिन्द महासागर नौसेना संगोष्ठी (आई ओ एन एस) की कारगरता सुनिश्चित करने में बहुत अधिक दाव पर लगा है। उन्होंने 19 सितम्बर, 2013 को नई दिल्ली में हिन्द महासागर पर
भारत – आस्ट्रेलिया–
इंडोनेशिया त्रिपक्षीय ट्रैक-2 वार्ता आरंभ किए जाने का स्वागत किया।
38. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति तथा भारत के प्रधान मंत्री ने दो अग्रणी
उभरते राष्ट्रों के रूप में तथा सामरिक साझेदार के रूप में क्षेत्रीय शांति, प्रगति एवं समृद्धि का सुनिश्चय करने के लिए दोनों देशों के बीच राजनीतिक–सुरक्षा,
आर्थिक एवं सामाजिक–सांस्कृतिक क्षेत्रों में पहले से भी अधिक घनिष्ठ संबंध स्थापित करने की दिशा में काम करने के अपने संकल्प
की मजबूत प्रतिबद्धता को दोहराने के साथ अपनी बैठक समाप्त की।
39. भारत के प्रधान मंत्री महामहिम डॉ. मनमोहन सिंह ने अपनी यात्रा के दौरान
उनके असाधारण रूप से गर्मजोशी पूर्ण स्वागत एवं अतिथि सत्कार के लिए इंडोनेशिया के राष्ट्रपति महामहिम डॉ. सुसिलो बम्बांग युद्धोयोनो का तथा इंडोनेशिया के लोगों का आभार व्यक्त किया तथा सराहना की।
जकार्ता,
11 अक्टूबर, 2013