देवी महिला देवी होती है, जिसकी भारत में अधिकांश हिंदू समुदाय द्वारा मूल शक्ति के स्रोत के रूप में पूजा की जाती है, तथा यह भक्ति एवं पवित्रता का प्रतीक मानी जाती है।
इसके बावजूद, इतनी महान परंपरा एवं संस्कृति वाले देश में भारतीय महिलाएं वैश्विक स्तर पर सभी गलत कारणों से समाचार में छाई हुई हैं : यौन उत्पीड़न एवं समाज द्वारा दमन। पिछले दशक में विश्व के हर कोने में सूचना के प्रसार के साथ भारत के बारे में फिल्टर न किए
गए समाचार सभी को उपलब्ध हैं। इसका अभिप्राय यह है कि पिछले दो दशकों में भारत में महिलाओं के विरूद्ध अपराधों पर फोकस रहा है, न कि भारत से ऐसी महिलाओं पर जिन्होंने उपलब्धि हासिल की है।
भारत में महिलाओं पर वैश्विक फोकस में यह परिवर्तन विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र से वैश्विक अपेक्षाओं के कारण है। पूरी दुनिया भारत को एक उभरती महाशक्ति के रूप में देख रही है तथा यदि इसकी आधी आबादी पीछे रहती है, तो इस क्षेत्र में भारत के लिए महाशक्ति बनना असंभव
है।
भारत के जो सबसे शक्तिशाली प्रधान मंत्री रहे हैं उनमें से एक महिला थी। प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने पूरी मजबूती के साथ शासन किया तथा दशकों तक लगभग पूरी तरह
पुरूषों के वर्चस्व वाले मंत्रिमंडल का नेतृत्व किया और भारत को अकाल एवं युद्ध से निकाल कर हरित क्रांति के दौर में डाला जिसने भारतीय कृषि को परिवर्तित कर दिया। कई बर्ष बाद, उनकी पुत्र वधु सोनिया गांधी ने देश में सबसे पुराने राजनीतिक दल की लगाम अपने हाथ में
ली तथा अपने दल को जीत दिलाई परंतु प्रधान मंत्री बनने से मना कर दिया और वस्तुत: अपने निष्ठावान सहयोगी डा. मनमोहन सिंह को प्रधान मंत्री नियुक्त किया। भारत की वर्तमान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जो इस पद का कार्यभार संभालने वाली दूसरी महिला हैं, पहली ऐसी
महिला इंदिरा गांधी थी।
उद्योग जगत में भी हमारे पास अनेक महिला नेता हैं। चेन्नई में जन्मी इंदिरा नूई विश्व की चौथी सबसे बड़ी खाद्य एवं पेय पदार्थ कंपनी पेप्सिको की अध्यक्ष एवं
मुख्य कार्यपालक अधिकारी हैं। फारच्यून मैग्जीन ने 2006 में व्यवसाय में सबसे ताकतवर महिला के रूप में उनका चयन किया। चंदा कोच्चर भारत के सबसे बड़े निजी बैंक आई सी आई सी आई बैंक की सीईओ एवं प्रबंध निदेशक हैं।
खेल जगत में सानिया मिर्जा भारत से अब तक की सर्वोच्च रैंक वाली टेनिस खिलाड़ी हैं जिनकी सिंगल में करियर की सर्वोच्च रैंकिंग 31 तथा डबल्स में 24 है। मैरी कॉम
ने पांच बार वर्ल्ड एमेचर बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती है तथा वह एकमात्र महिला मुक्केबाज हैं जिन्होंने 6 विश्व चैंपियनशिप में से प्रत्येक में पदक जीतने के अलावा एक ओलंपिक पदक भी जीता है। उन्होंने प्रतिस्पर्धी खेल को अपनाने के लिए देश की सैकड़ों लड़कियों
को प्रेरित किया है। इनके जितना ही प्रेरणाप्रद नौजवान साइना नेहवाल भी हैं जो ऐसी पहली भारतीय महिला हैं जिन्होंने ओलंपिक में बैडमिंटन में पदक जीता है।
भारतीय महिला लेखिकाओं जैसे कि अरूंधती राय, जुम्पा लहिरी, अनीता देसाई ने अनेक अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक पुरस्कार तथा वैश्विक स्तर पर आलोचकों की प्रशंसा जीती
है। इसके बाद ऐसी महिलाएं हैं जो कई बार प्रकाश में आए बगैर तथा अथक रूप से समाज के लिए काम करती हैं। मेधा पाटकर ने सामाजिक रूप से दलित लोगों के लिए काम किया है जो बड़ी विकास परियोजनाओं के कारण विस्थापित हो जाते हैं, मदर टेरेसा की सिस्टर्स ऑफ चैरिटी गरीबों
एवं सीमांत लोगों के बीच अथक रूप से काम करती है। इला भट ने सेल्फ इंप्लायड वुमन एसोशिएसन (सेवा) का गठन किया जो ग्रामीण महिलाओं के बीच रोजगार प्रदान करने के लिए काम करता है।
मनोरंजन के क्षेत्र में महिला अचीवर्स की सूची ऐसी है जो कभी समाप्त नहीं होगी : दशकों से बालीवुड के लिए सुनहरी एवं मधुर आवाज की ध्वनि मंगेश्कर एवं आशा भोंसले
से लेकर लोकप्रिय एवं प्रशंसित नायिकाएं जैसे कि शबाना आजमी, मीना कुमारी, ऐश्वर्या राय और फिल्म मेकर जैसे कि मीरा नायर एवं कल्पना लाजमी। ऐसी प्रतिभा का धनी भारतीय फिल्म, विशेष रूप से मुंबई में बनी फिल्मों ने पूरी दुनिया के दर्शकों को मोहित किया है।
हालांकि वर्तमान महिला अचीवर्स की सूची आकर्षक है, ऐसी भारतीय महिलाओं की सूची भी समान रूप से महत्वपूर्ण है जिन्होंने इतिहास में अपना नाम कमाया है। प्राचीन
पाठ दर्शाते हैं कि वैदिक काल (ईसा पूर्व 1750–500) में भारत की महिलाओं की शिक्षा तक पहुंच थी तथा उनको पुरूषों की तरह ही लगभग समान अधिकार प्राप्त थे। रजिया सुल्तान, चांद बीबी, रानी लक्ष्मीबाई ऐसी वीरांगनाएं हैं जिनकी बहादुरी एवं साहस की गाथाएं आज भी सुनाई
जाती हैं। अनेक महिला नेताओं ने स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है तथा अन्य महिलाओं ने तत्कालीन रजवाड़ों में महारानी के रूप में भी शासन किया है।
भारतीय संविधान सभी महिलाओं को समानता की तथा राज्य द्वारा कोई भेदभाव न किए जाने की गारंटी देता है परंतु शीशे की दीवार तोड़ना व्यवहार में एक भंयकर युद्ध है। ग्रामीण भारत में कार्य बल में महिलाओं को अनुपात लगभग 85 प्रतिशत है परंतु शायद ही वे जमीन की मालिक हैं।
शहरी भारत में उनकी उपस्थिति कार्यालयों एवं निर्माण स्थलों पर दिखाई देती है परंतु उनको उनके पुरूष समकक्षों की तुलना में कम भुगतान दिया जाता है। अपने अधिकारों एवं जिम्मेदारियों के बारे में भारतीय महिलाओं में जागरूकता बढ़ने के साथ ही वे अधिक हठधर्मी बनती जा
रही हैं, चुनौती स्वीकार करने के लिए तत्पर तथा अपने पुरूष समकक्षों के साथ कदमताल करने के लिए तैयार हैं। कदम बढ़ाने के लिए तैयार भारत में महिलाओं को देश की सफलता गाथा का अभिन्न अंग बनना होगा।