लेखक : मनीश चंद
यह जीवन को परिवर्तित करने वाला चमत्कार है जो प्रौद्योगिकी एवं रचनात्मक राजनय के विंग पर आधारित है। दस साल पहले, एक पथ प्रदर्शक विचार पैदा हुआ था जिसने हजारों अफ्रीकियों के जीवन को परिवर्तित करने तथा परस्पर उत्थान की एक सशक्त साझेदारी में भारत और अफ्रीका
को करीब लाने के लिए प्रौद्योगिकी, ज्ञान और नवाचार का अनुसरण करने का वचन दिया था। वह विचार अब एक पूर्ण विकसित नेटवर्क का रूप ले चुका है जो भारत ने शीर्ष शैक्षिक संस्थाओं एवं सुपर स्पेशियलटी अस्पतालों से उनको जोड़कर हजारों मील दूर रह रहे अफ्रीकियों को टेली-मेडिसीन
एवं टेली-एजुकेशन प्रदान करता है।
इस नेटवर्क का उद्देश्य अफ्रीका के राष्ट्रों को जोड़ने के लिए अचूक एवं एकीकृत सेटेलाइट, फाइबर आप्टिक और वायरलेस नेटवर्क प्रदान करके डिजिटल अंतराल को पाटना है। अखिल अफ्रीकी ई-नेटवर्क के नाम से विख्यात इन नेटवर्क ने अब 48 अफ्रीकी राष्ट्रों को शामिल कर लिया
है भारत एवं उत्थानशील अफ्रीका महाद्वीप के बीच नवाचार एवं विकास पर आधारित साझेदारी का प्रतीक बन गया है।
डिजिटल अंतराल को पाटना
ई-नेटवर्क का विकास घनिष्ठ परामर्श एवं सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा देता है जो विकासशील भारत – अफ्रीका साझेदारी का प्रतीक है। यह विचार भारत के विख्यात वैज्ञानिक डा. ए पी जे अब्दुल कलाम के दिमाग की उपज है, जिसे उन्होंने पहली बार तत्कालीन राष्ट्रपति के रूप
में 16 सितंबर, 2004 को जोहांसबर्ग में अखिल अफ्रीकी संसद में अपने भाषण के दौरान व्यक्त किया था, जिसमें अफ्रीकी देशों के अधिकारियों के अलावा अफ्रीकी संघ के अधिकारियों ने भी भाग लिया था। इस विचार से सभी लोग प्रभावित हुए तथा रिकार्ड समय में कागजी कार्य पूरा
किया गया जिसकी वजह से 2005 की गर्मियों में अखिल अफ्रीका ई-नेटवर्क पर हस्ताक्षर करने के लिए भारत और अफ्रीकी संघ के बीच एक संधि पर हस्ताक्षर हुआ।
11 देशों को शामिल करते हुए परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन तत्कालीन विदेश
मंत्री श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा 26 फरवरी, 2009 को किया गया जो अब भारत के राष्ट्रपति हैं। अगस्त 2010 में लांच किए गए दूसरे चरण के माध्यम से अफ्रीका के 12 और देश इस महत्वाकांक्षी परियोजना की परिधि में शामिल हुए जो बेहतर स्वास्थ्य एवं शिक्षा के माध्यम
से अफ्रीका के लोगों की मुक्ति के एक नए पथ की गाथा लिख रही है। अत्यधिक सुरक्षित क्लोज्ड सेटेलाइट नेटवर्क के माध्यम से अफ्रीकी देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच वी वी आई पी संयोजकता प्रदान करने के अलावा यह परियोजना अफ्रीकी देशों में ई-अभिशासन, ई-वाणिज्य,
मनोरंजन, संसाधन मानचित्रण और मौसम विज्ञानी एवं अन्य सेवाओं को सपोर्ट करने के लिए भी सुसज्जित है। भारत का विदेश मंत्रालय इस परियोजना के लिए नोडल मंत्रालय है तथा टेलीकम्युनिकेशन कंसल्टेंट इंडिया लिमिटेड (टी सी आई एल) टर्न की आधार पर इस परियोजना को लागू कर
रहा है।
जीवन बदलना
125 मिलियन डालर की लागत से निर्मित ई-नेटवर्क परियोजना पहले ही साधारण अफ्रीकियों का जीवन परिवर्तित कर चुकी है। नेटवर्क के टेली-एजुकेशन घटक के तहत अफ्रीका से 2000 से अधिक छात्र भारत की शीर्ष श्रेणी के पांच भिन्न-भिन्न विश्वविद्यालयों में अनेक विषयों में जैसे
कि एमबीए, मास्टर इन फाइनांस कंट्रोल, पीजी डिप्लोमा इन आईटी, एमएससी इन आईटी तथा बैचुलर इन फाइनांस एंड इंवेस्टमेंट एनालिसिस में नामांकित किए गए हैं। नियमित टेली-एजुकेशन लाइव सेशन के अफ्रीकी छात्रों से उत्साहवर्धक प्रत्युत्तर प्राप्त हुए हैं। अफ्रीकी डाक्टरों
एवं भारतीय विशेषज्ञों के बीच टेली-मेडिकल परामर्श भी शुरू किए गए हैं। शीर्ष भारतीय सुपर स्पेशियलटी अस्पतालों से भारतीय डाक्टरों द्वारा तकरीबन 700 सतत चिकित्सा शिक्षा (सी एम ई) व्याख्यान दिए गए हैं। अफ्रीकी प्रत्युत्तर से प्रोत्साहित फोकस भारत ने इस
परियोजना के लाभों को अधिकतम करने के उद्देश्य से टेली-मेडिसीन एवं टेली-एजुकेशन माड्यूल में कार्यशालाएं आयोजित करके क्षेत्रीय स्तर पर भी प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव किया है।
ज्ञान की हिस्सेदारी
दक्षिण - दक्षिण सहयोग के ज्वलंत प्रतीक के रूप में इस परियोजना को काफी सराहा गया है जिसमें संपोषणीय विकास के क्षेत्र में नवाचार के लिए प्रतिष्ठित हरमीज पुरस्कार शामिल है। पुरस्कार की घोषणा यूरोपीय रचनात्मक, सामरिक एवं नवाचार संस्थान द्वारा की गई जो एक थिंक
टैंक है तथा यूरोप में एवं दुनियाभर में नवाचार एवं नवीकरण के लिए रणनीतियों को बढ़ावा देता है। 4 साल पहले पेरिस में बैठक के दौरान इस पुरस्कार की घोषणा की गई। सामाजिक बदलाव के साथ प्रौद्योगिकी मिश्रण की परियोजना स्थाई सामाजिक – आर्थिक परिवर्तन लाने के लिए आई
सी टी के प्रयोग की रचनात्मक संभावनाओं को दर्शाती है।
डाक्टर कलाम, जिन्होंने ई-नेटवर्क की संकल्पना प्रस्तुत की, ने नेटवर्क का वर्णन बिल्कुल उपयुक्त ढंग से इस रूप में किया है - ''अंतरराष्ट्रीय सामाजिक जिम्मेदारी का एक माडल’’ और ''एक सुसाध्यकार जिसके अनेक राष्ट्रों एवं समाजों के सामाजिक – आर्थिक विकास
पर सोपानिक प्रभाव हैं।'' हमारे प्रयासों का उद्देश्य मैत्रीपूर्ण राष्ट्रों के बीच हासिल ज्ञान को साझा करना है ताकि ज्ञान समाज के अपने मिशन के साथ भारत पूरी दुनिया में संपोषणीय विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अन्य विकासशील देशों का हाथ पकड़कर चल
सके। ज्ञान की हिस्सेदारी एवं कौशल विकास पर अपने फोकस के साथ ई-नेटवर्क परियोजना अफ्रीका के साथ भारत की विकास केंद्रित भागीदारी का प्रतीक बन गई है जो व्यापार, प्रशिक्षण एवं प्रौद्योगिकी अंतरण के तीन बिंदुओं के इर्द-गिर्द घूमती है। क्षमता निर्माण एवं मानव संसाधन
विकास अफ्रीका महाद्वीप के सतत उत्थान में उसके साथ भागीदारी करने के लिए भारत की वृहद सामरिक मंशा के जुड़वें आधार हैं। ज्ञान आधारित समाज बनने की अफ्रीका की ललक में इस वृहद विजन को शामिल करने के साथ ही भारत पूरे अफ्रीका में 100 से अधिक प्रशिक्षण संस्था स्थापित
करना चाह रहा है। इन प्रशिक्षण संस्थाओं के तहत कृषि, ग्रामीण विकास, खाद्य प्रसंस्करण, सूचना प्रौद्योगिकी, व्यावसायिक प्रशिक्षण, अंग्रेजी भाषा केंद्र एवं उद्यमशीलता विकास संस्थान जैसे विविध क्षेत्र शामिल होंगे।
अप्रैल, 2008 में नई दिल्ली में तथा मई, 2011 में अदिस अबाबा में आयोजित
दो भारत – अफ्रीका शिखर बैठकों में भारत ने अफ्रीका महाद्वीप में अनेक विकास परियोजनाओं के लिए 8 बिलियन डालर से अधिक ऋण का वचन दिया। आर्थिक मोर्चे पर द्विपक्षीय संबंधों में तेजी आ रही है तथा व्यापार में कई गुना वृद्धि हुई है जो मुश्किल से दो दशक पहले 1 बिलियन
डालर से भी कम था परंतु अब 60 बिलियन डालर से अधिक हो गया है। यदि भारतीय व्यवसायों में अफ्रीका उत्साह बना रहा, तो दोनों पक्ष 2015 तक 90 बिलियन डालर के द्विपक्षीय व्यापार के लक्ष्य को बहुत आसानी से पार कर सकते हैं। उम्मीद है कि यह बहुउद्देशीय विकास साझेदारी
अपने तहत नई सीमाओं को शामिल करेगी जब नई दिल्ली में इस साल के उत्तरार्ध में भारत – अफ्रीका शिखर बैठक का आयोजन होगा।
अफ्रीकी सपना
अक्सर कहा जाता है कि अफ्रीका संसाधन की दृष्टि से समृद्ध है परंतु इसकी आधे बिलियन प्लस से अधिक आबादी युवा है तथा अपनी नियति का निर्माण खुद करने के लिए अधीर है, इस महाद्वीप को ''जन समृद्ध’’ कहना अधिक उपयुक्त होना चाहिए। अफ्रीका के लोगों की इस असीमित समृद्धि
को भारत ज्ञान उद्योग एवं क्षमता निर्माण में अपनी प्रमाणित शक्ति के दम पर अफ्रीकी सपने को साकार करने के लिए मदद कर रहा है। अखिल अफ्रीका ई-नेटवर्क नवाचारी ढंग से सोचने तथा परिवर्तन की इस यात्रा में अफ्रीका साझेदार बनने के रास्ते को दर्शाया है। ज्ञान एवं नवाचार
के स्थाई नेटवर्क का सृजन करने के लिए हजारों विचार विकसित और आपस में जुड़ने चाहिए जिससे दूरियां कम हों, समावेशी वैश्विक समाज का सृजन हो और अधिक सार्थक जीवन की तलाश में लोग एक दूसरे का साथ दें।
(मनीश चंद इंडिया राइट्स नेटवर्क www.indiawrites.org के मुख्य संपादक हैं, जो एक ई-मैग्जीन तथा अंतरराष्ट्रीय संबंधों, इंडिया स्टोरी एवं उभरती महाशक्तियों पर केंद्रित पत्रिका है। आप ''टू बिलियन ड्रीम्स : सेलिब्रेटिंग इंडिया – अफ्रीका फ्रेंडशिप’’ के संपादक
तथा ''इंगेजिंग विद रिसर्जेंट अफ्रीका’’ के सह संपादक भी हैं)।