लेखक : मनीष चंद
हनोवर मेस्से जैसा कोई शो नहीं है जिसमें नवीनतम प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के मिश्रण को उद्यमशीलता एवं पटुता के साथ उद्योग एवं उच्च इंजीनियरिंग के विश्व के अग्रणी खिलाडि़यों द्वारा हर साल जर्मनी के इस शहर में एक साथ पेश किया जाता है। इस साल, हनोवर मेस्से में एक विशेष मेहमान - भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी होंगे तथा स्पॉट लाइट भारत के समुत्थान एवं नवीकरण की विकास गाथा पर होगी।
(ब्रिसबेन में 16 नवंबर, 2014 को जी-20 शिखर बैठक के दौरान अतिरिक्त समय में जर्मनी की चांसलर एंजिला मर्केल के साथ बैठक करते हुए प्रधानमंत्री)ऐसा समझा जाता है कि यह एक यादगार शाम होगी, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी और जर्मनी की चांसलर एंजिला मर्केल 12 अप्रैल को हनोवर मेस्से, 2015 का औपचारिक रूप से उद्घाटन करेंगे। 100 से अधिक देशों के उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विश्व के अग्रणी उद्योगपति एवं खिलाड़ी दर्शक दीर्घा में शामिल होंगे। अगले दिन प्रधानमंत्री मोदी नाचते और ढोल बजाते हुए प्रशंसकों की भीड़ के मध्य 7000 वर्ग मीटर में फैले भारतीय पैवेलियन का उद्घाटन करेंगे। आईटी जाइंट इंफोसिस एवं टी सी एस सहित 400 से अधिक भारतीय कंपनियां इस मेले में अपने नवाचारों को प्रदर्शित करेंगी। प्रौद्योगिकी, उद्योग एवं इंजीनियरिंग के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में भारत के 100 से अधिक शीर्ष कारोबारी मुखिया, केंद्र एवं राज्य स्तरीय मंत्री, विभिन्न राज्यों के मुख्य मंत्री उपस्थित होंगे। जर्मनी के लगभग 3000 बिजनस टाइटन इस मेले में भाग लेंगे। श्री मोदी और जर्मनी की चांसलर एक भारत - जर्मनी व्यवसाय शिखर बैठक का भी उद्घाटन करेंगे तथा उम्मीद है कि इसमें भारत की विकास गाथा में जर्मनी का कारोबारी समुदाय अपना उत्साह प्रदर्शित करेगा।
भारत क्यों
नौ साल के अंतराल के बाद भारत हनोवर मेस्से में साझेदार देश है - पिछली बार, यह सम्मान भारत को उस समय मिला था जब तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने 2006 में इस मेले का उद्घाटन किया था। इस साल हनोवर मेस्से में साझेदार देश के रूप में भारत का चयन भारत की विकास गाथा में तथा मेक इन इंडिया अभियान में वैश्विक स्तर पर बढ़ते विश्वास का प्रतीक है।
हनोवर मेस्से 2015 की वेबसाइट पर एक संकल्पना नोट में कहा गया है कि ''भारत की तेजी से विकास कर रही अर्थव्यवस्था, भारत और जर्मनी के उद्यमियों के बीच कई साल से अच्छे संबंध तथा 2006 में हनोवर मेस्से में साझेदार देश के रूप में भारत को आमंत्रित करने के सकारात्मक अनुभव हनोवर मेस्से 2015 में साझेदार देश के रूप में भारत को नामित करने के पीछे प्रमुख कारण हैं।'' यह भी कहा गया है कि ''निश्चित रूप से भारत अपनी विकास अनुकूल सुधार पूर्व नीतियों की वजह से त्वरित विकास के पथ पर अग्रसर है, जबकि यूरोपीय संघ ने भी विकास अनुकूल उपाय के माध्यम से साधारण समुत्थान के साथ मंदी पश्चात युग में कदम रखा है। भारत अपनी मुद्रा के स्थिरीकरण एवं निर्यात संवर्धन एजेंडा के पथ पर ऊँची उड़ान भर रहा है।
मेक इन इंडिया
श्री मोदी भारत को वैश्विक स्तर पर विनिर्माण का केंद्र बनाने के अपने प्रयास में हनोवर में शीर्ष कारोबारी नेताओं से समर्थन प्राप्त करने का प्रयास करेंगे। यह उनके मेक इन इंडिया मिशन के लिए एक बड़ा बूस्ट होगा, जो उनका निजी अनुराग भी है। हनोवर मेस्से 2015 की वेबसाइट पर कहा गया है कि ''इस परिदृश्य में, हनोवर मेस्से में भागीदारी भारत की नवाचारी औद्योगिक एवं कारोबारी उपलब्धियों तथा मेक इन इंडिया अभियान को देखते हुए निश्चित रूप से भारत के लिए एक अच्छा प्रस्ताव है, जिसे विश्व के शीर्ष नेताओं द्वारा भविष्य में भारत के परिवर्तनकारी कारक के रूप में देखा जा रहा है।'' भारत के विदेश सचिव डा. एस. जयशंकर ने कहा है कि ''स्पष्ट रूप से 'मेक इन इंडिया' के लिए और भारत में निवेश के अवसरों के लिए काफी उत्साह है।''
इस साल हनोवर फेयर प्रधानमंत्री मोदी की जर्मनी यात्रा और यूरोप की उनकी यात्रा के अत्यंत महत्वपूर्ण विषयों को रेखांकित करेगा : मेक इन इंडिया, स्मार्ट शहर, कुशल भारत, व्यवसाय एवं प्रौद्योगिकी। ये प्रमुख विषय 14 अप्रैल को बर्लिन में भारत और जर्मनी के नेताओं के बीच वार्ता के दायरे का भी निर्माण करेंगे।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी उस समय कोई नाटक नहीं कर रहे थे जब उन्होंने पिछले साल सितंबर में यह कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों द्वारा आपस में बंधे भारत और जर्मनी एक - दूसरे के लिए बने हैं क्योंकि विनिर्माण एवं अवसंरचना विकास में साझेदारी के माध्यम से औद्योगिक विकास की अगली पीढ़ी को संचालित करने के लिए इन दोनों देशों के पास संपूरक कौशल एवं संसाधन हैं। जर्मनी भारत का सबसे बड़ा आर्थिक साझेदार है तथा यूएस के बाद विश्व में दूसरा सबसे बड़ा प्रौद्योगिकी साझेदार है। चूंकि मोदी सरकार इंडिया स्टोरी के ग्राफ को ऊपर उठाने का प्रयास कर रही है इसलिए उम्मीद की जा सकती है कि जर्मनी उच्च इंजीनियरिंग, आटो मोबाइल एवं हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों सहित प्रौद्योगिकी से संबंधित कई क्षेत्रों में निवेश करेगा और नई पहलों की शुरूआत करेगा। शहरी अवसंरचना एवं शहरी परिवहन को सुदृढ़ करना - जो भारत के 100 स्मार्ट शहरों के मिशन का प्रमुख आयाम है - में भी जर्मनी की ओर से सक्रिय भागीदारी देखने को मिलेगी।
गांधी पावर
उपयुक्त ढंग से, साफ्ट पावर राजनय का भी एक स्थान होगा। सबके लिए समृद्धि एवं विकास के अपने वादे को पूरा करने के लिए वाणिज्य को विचारों एवं मूल्यों के साथ मिश्रण करने की जरूरत होगी। हनोवर में श्री मोदी महात्मा गांधी जी की एक आवक्ष प्रतिमा का अनावरण करने के लिए समय निकालेंगे, जिससे इस साल अनुगूंज में वृद्धि हुई है क्योंकि यह भारत की मुक्ति एवं पुनर्निर्माण के लिए भारत से गांधी जी की वापसी की 150वीं वर्षगांठ है।
भारत के पुनर्निर्माण की इस यात्रा में, जर्मनी जो यूरोप की सबसे ताकतवर अर्थव्यवस्था है तथा इंजीनियरिंग के क्षेत्र में महारथी है, भारत का मनपसंद साझेदार है तथा आने वाले वर्षों तक ऐसा बना रहेगा। भारत के लिए यह उड़ने का समय है और भारत पूरी दुनिया में अपना स्थान फिर से हासिल करने का प्रयास कर रहा है।
(मनीश चंद इंडिया राइट्स नेटवर्क www.indiawrites.org के मुख्य संपादक हैं जो अंतर्राष्ट्रीय मामलों एवं इंडिया स्टोरी पर केंद्रित एक पोर्टल एवं ई जर्नल है)
- इस लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं।
संदर्भ:
हनोवर मेस्से में भारत
हनोवर मेस्से 2015 – भारतीय प्रदर्शक
हनोवर में जर्मनी के विदेश मंत्री द्वारा प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह से मुलाकात पर
सरकारी प्रवक्ता द्वारा ब्रीफिंग नई दिल्ली में 26 मार्च, 2015 को ग्रोथ नेट शिखर बैठक 2015 में विदेश मंत्री की टिप्पणियां प्रधानमंत्री की फ्रांस, जर्मनी एवं कनाडा की आगामी यात्रा पर विदेश सचिव द्वारा मीडिया वार्ता
प्रधानमंत्री की फ्रांस, जर्मनी और कनाडा की आगामी यात्रा पर विदेश सचिव द्वारा मीडिया वार्ता का प्रतिलेखन (8 अप्रैल, 2015)
सचिव (पश्चिम) एवं सरकारी प्रवक्ता द्वारा मीडिया वार्ता का प्रतिलेखन (25 मार्च, 2015)
प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह और जर्मनी की चांसलर डा. एंजेला मर्केल का संयुक्त प्रेस सम्मेलन, हनोवर