लेखक : एस अयप्पन
भारत - अफ्रीका मंच शिखर बैठक (आई ए एफ एस) विदेश मंत्रालय द्वारा पूर्णतया प्रायोजित
कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य मानव संसाधन तथा कृषि आदि में विकास के लिए उनकी अपनी क्षमता विकसित करने के लिए अफ्रीकी देशों की मदद करके भारत - अफ्रीका सहयोग का विकास करना है। सहयोग को आगे बढ़ाते हुए 2008 में (बॉक्स 1) और
2011 (बॉक्स 2) में आयोजित 2 भारत - अफ्रीका मंच शिखर बैठकों की वजह से सहयोग सुदृढ़ हुआ है। दोनों पक्षों ने कृषि में सहयोग को प्राथमिकता प्रदान की, जो दोनों पक्षों के नेताओं के अनुसार दोनों पक्षों के बीच बहुत समानता को
देखते हुए बहुत संभावना प्रस्तुत करती है। वर्ष 2000 से अफ्रीका की कृषि में आर्थिक एवं तकनीकी सहयोग की दिशा में भारत के कदम को परंपरागत दाताओं से घटते समर्थन की पृष्ठभूमि में भी देखा जाना चाहिए।
बॉक्स 1 :
पहली शिखर बैठक के प्रमुख बिंदु
कृषि और कृषक कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डी ए आर ई) को विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों / भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सम विश्वविद्यालयों में अफ्रीका के छात्रों की कृषि शिक्षा के माध्यम से अफ्रीकी
देशों में क्षमता का निर्माण करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके अनुसरण में अफ्रीका के छात्रों को एम एस सी पी एच डी कार्यक्रमों के लिए विभिन्न भारतीय कृषि विश्विविद्यालयों में प्रवेश दिया जा रहा है। अफ्रीका के छात्रों से इस पहल को बहुत अच्छा रिस्पॉंस मिला
है; वर्ष 2010 में जब इसकी शुरुआत हुई थी तब उसी साल के दौरान विभिन्न पाठ्यक्रमों में 49 छात्रों ने दाखिला लिया और दूसरे साल 57 छात्रों ने दाखिला लिया। इसके अलावा अफ्रीका के वैज्ञानिकों की क्षमता निर्मित करने के लिए भारत में आई ए एफ एस 1 के तहत विभिन्न प्रशिक्षण
कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।
|
दोनों शिखर बैठकों के प्रतिभागियों ने कृषि आधारित बीमारियों के विरुद्ध संघर्ष में निवेश के माध्यम से तथा प्रायोगिक एवं प्रदर्शनकारी परियोजनाओं एवं प्रशिक्षण में शामिल होकर भूमि विकास, जल प्रबंधन, कृषि रोपण, प्रजनन प्रौद्योगिकी, खाद्य सुरक्षा
और कृषि प्रसंस्करण मशीनरी में सहयोग सुदृढ़ करने का निर्णय लिया। 2011 की शिखर बैठक में कृषि की उत्पादकता बढ़ाने और पर्यावरण के संरक्षण के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान विकसित करने के लिए नेताओं के बीच सहमति हुई। इस सहमति का उद्देश्य उनके लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा
का सुनिश्चय करना तथा खाद्यान्न की बढ़ती कीमतों को कम करना था।
बॉक्स 2 :
दूसरी शिखर बैठक के प्रमुख बिंदु
आई ए एफ एस -1 के निर्णयों को लागू करने के लिए विदेश मंत्रालय ने भारत - अफ्रीका संबंध में जोश भरने के लिए दूसरा कदम भी शुरू किया है, जिसके माध्यम से 21वीं शताब्दी में भारत और अफ्रीका के साझीदारों के बीच सुगठित संचार एवं सहयोग के लिए एक नए
वास्तुशिल्प की नींव रखी जाएगी। इस प्रकार विदेश मंत्रालय ने आई ए एफ एस 2 (भारत - अफ्रीका मंच शिखर बैठक 2) शुरू किया। कृषि शिक्षा के माध्यम से क्षमता निर्माण के अलावा डी ए आर ई को अफ्रीका में कुछ केन्द्र स्थापित करने की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है जैसे कि
(क) मृदा, जल, ऊतक परीक्षण प्रयोगशालाएं; (ख) कृषि विज्ञान केन्द्र; और (ग) कृषि बीज उत्पादन सह प्रदर्शन केन्द्र। इन केन्द्रों की स्थापना से संबंधित कार्य विदेश मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया है। अफ्रीका के अनेक देशों ने इन परियोजनाओं के लिए स्थान, भवन आदि
की पहचान कर ली है तथा विद्यमान आधारभूत सुविधाओं का अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञों द्वारा कुछ देशों का दौरा भी कर लिया गया है।
|
भारत विशेष रूप से अनुसंधान एवं ज्ञान में क्षमता निर्माण तथा अनुभव की हिस्सेदारी पर बल दे रहा है। अफ्रीकी देश
अपनी खेती की प्रथाओं में सुधार के तरीकों का किस तरह पता लगा रहे हैं - इसका प्राथमिक ज्ञान हासिल करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आई सी ए आर) के कृषि विशेषज्ञों की टीमें अफ्रीका गई हैं। क्षमता निर्माण कार्यक्रम के तहत अफ्रीकी देशों से 75 छात्रों को भारत
के कृषि विश्वविद्यालयों में हर साल छात्रवृत्तियां प्रदान की जाती हैं। इसके अलावा भारत सरकार ने कृषि एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र में नई संस्थाएं स्थापित करने का प्रस्ताव किया है तथा परस्पर सहमति के आधार पर वैज्ञानिकों, शोध छात्रों, प्रौद्योगिकियों और साहित्य
का आदान प्रदान करने तथा अनुसंधान परियोजनाओं में सहयोग स्थापित करने पर सहमति हुई है।
भारत ने अफ्रीकी कृषि के लिए ऋण की सुविधाएं बढ़ाने की भी प्रतिबद्धता की। भारतीय उप महाद्वीप के बाहर एग्जिम बैंक द्वारा अनुमोदित सबसे बड़ी ऋण सहायता इथोपिया की टिंडाहो चीनी परियोजना (640 मिलियन डालर) के लिए है, जिससे भारतीय निवेश को सुगम बनाने
की भी अपेक्षा है। एग्जिम बैंक ने 2006 में सिंचाई परियोजनाओं के लिए उपकरण के निर्यात के लिए सेनेगल को 27 मिलियन डालर की ऋण सहायता भी प्रदान की। 2011 की शिखर बैठक में प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने कृषि यंत्रीकरण कार्यक्रम के दूसरे चरण के लिए सेनेगल को 160
मिलियन डालर के अनुदान की घोषणा की।
भारत -
अफ्रीका फेलोशिप कार्यक्रम
अफ्रीका में कृषि मानव संसाधन के विकास में सहायता प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने 300 फेलोशिप प्रदान करने की योजना लागू की है (75 फेलोशिप प्रति वर्ष अर्थात 50 मास्टर और 25 पी एच डी) जिन्हें अफ्रीका महाद्वीप के छात्रों / संकाय सदस्यों /
पेशेवरों के लिए चार वर्षों (2010 से 2010) के लिए प्रदान किया जाना है। फेलोशिप कार्यक्रम वर्ष 2010-11 में शुरू हुआ। कार्यक्रम का परिणाम इस प्रकार है:
- कुल 175 उम्मीदवारों (119 मास्टर और 76 पी एच डी) ने विभिन्न भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों / सम विश्वविद्यालयों / शोध संस्थानों में उच्च डिग्री कार्यक्रमों को ज्वाइन किया है।
- 195 उम्मीदवारों में से 78 मास्टर और 27 पी एच डी छात्रों ने अपना कार्यक्रम सफलता के साथ पूरा कर लिया है।
- इस स्कीम के तहत उम्मीदवारों का अधिकतम नामांकन निम्नलिखित देशों से है : नाइजीरिया, इथोपिया और सूडान।
- लिंगवार ब्यौरा दर्शाता है कि भारत - अफ्रीका फेलोशिप स्कीम के तहत 162 पुरुषों और 33 महिलाओं ने भाग लिया।
- तंजानिया से महिलाओं का नामांकन मास्टर कार्यक्रम में पुरुषों की तुलना में अधिक है।
- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आई ए आर आई), नई दिल्ली और तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (टी एन ए यू), कोयंबटूर में उच्च डिग्री कार्यक्रमों की पढ़ाई करने के लिए सबसे अधिक संख्या में अफ्रीकी छात्र आए।
- कृषि अर्थशास्त्र का विषय अफ्रीकी छात्रों के लिए रुचि का सबसे प्रमुख क्षेत्र है।
आई ए एफ एस 1 के तहत भारत - अफ्रीका फेलोशिप कार्यक्रम सफलतापूर्वक चल रहा है तथा ऐसा माना जा रहा है कि भारत सरकार शीघ्र ही भारत - अफ्रीका फेलोशिप कार्यक्रम का नवीनीकरण करेगी। डी ए आर ई ने 15 सितंबर 2015 को भारत में स्थित अफ्रीकी देशों के महामहिम
राजदूतों / उच्चायुक्तों की एक बैठक भी भारत में आयोजित किया था जिसमें कृषि क्षेत्र में सहयोग के अनेक पहलुओं पर चर्चा हुई, जिसमें आई ए एफ एस के तहत प्रस्तावित परियोजनाओं के कार्यान्वयन के तौर तरीके तथा भारत में पढ़ने वाले अफ्रीकी छात्रों को अधिक एवं बेहतर
अवसर प्रदान करना शामिल थे।
12 अक्टूबर 2015 तक की स्थिति के अनुसार स्टेटस
सारणी 1 :भारत
- अफ्रीका फेलोशिप कार्यक्रम नामांकन की स्थिति
|
शैक्षिक वर्ष
|
नामांकित छात्र
|
मास्टर
|
पी एच डी
|
कुल
|
पुरुष
|
महिलाएं
|
कुल
|
पुरुष
|
महिलाएं
|
कुल
|
2010 - 11
|
27
|
7
|
34
|
14
|
1
|
15
|
49
|
2011 - 12
|
16
|
10
|
26
|
16
|
0
|
16
|
42
|
2012 - 13
|
16
|
2
|
18
|
12
|
2
|
14
|
32
|
2013 –
14
|
34
|
5
|
39
|
22
|
4
|
26
|
65
|
2014 –
15
|
2
|
0
|
2
|
3
|
2
|
5
|
07
|
कुल
|
95
|
24
|
119
|
67
|
9
|
76
|
195
|
सारणी 2 :भारत
- अफ्रीका फेलोशिप कार्यक्रम ग्रेजुएशन की स्थिति
|
शैक्षिक वर्ष
|
आई ए एफ एस के तहत डिग्री धारी
|
मास्टर
|
पी एच डी
|
कुल
|
पुरुष
|
महिलाएं
|
|
पुरुष
|
महिलाएं
|
कुल
|
2010 - 11
|
25
|
7
|
32
|
14
|
1
|
15
|
47
|
2011 - 12
|
13
|
9
|
22
|
7
|
0
|
7
|
29
|
2012 - 13
|
9
|
2
|
11
|
5
|
0
|
5
|
16
|
2013 - 14
|
13
|
0
|
13
|
0
|
0
|
0
|
12
|
कुल
|
60
|
18
|
78
|
26
|
1
|
27
|
105
|
सारणी 3 :भारत
- अफ्रीका फेलोशिप कार्यक्रम के तहत नामांकित छात्र
|
सं.
|
स्कॉलर
उत्पत्ति का देश
|
नामांकित उम्मीदवारों की संख्या
|
मास्टर
|
पी एच डी
|
कुल
|
पुरुष
|
महिलाएं
|
कुल
|
पुरुष
|
महिलाएं
|
कुल
|
1
|
बेनिन
|
1
|
0
|
1
|
0
|
0
|
0
|
1
|
2
|
बोत्सवाना
|
3
|
0
|
3
|
0
|
1
|
1
|
4
|
3
|
बुरुंडी
|
2
|
0
|
2
|
1
|
0
|
1
|
3
|
4
|
कैमरून
|
0
|
0
|
0
|
3
|
0
|
3
|
3
|
5
|
कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य
|
0
|
0
|
0
|
1
|
0
|
1
|
1
|
6
|
मिस्र
|
2
|
1
|
3
|
3
|
1
|
4
|
7
|
7
|
इरिट्रिया
|
1
|
0
|
1
|
1
|
0
|
1
|
2
|
8
|
इथोपिया
|
17
|
2
|
19
|
12
|
2
|
14
|
33
|
9
|
घाना
|
7
|
2
|
9
|
2
|
0
|
2
|
11
|
10
|
कीनिया
|
0
|
1
|
1
|
0
|
0
|
0
|
1
|
11
|
लेसोथो
|
1
|
0
|
1
|
0
|
0
|
0
|
1
|
12
|
लाइबेरिया
|
4
|
1
|
5
|
1
|
0
|
1
|
6
|
13
|
मालावी
|
18
|
1
|
19
|
1
|
0
|
1
|
20
|
14
|
मोजांबिक
|
0
|
0
|
0
|
1
|
0
|
1
|
1
|
15
|
नामीबिया
|
0
|
2
|
2
|
0
|
0
|
0
|
2
|
16
|
नाइजर गणराज्य
|
1
|
0
|
1
|
0
|
0
|
0
|
1
|
17
|
नाइजीरिया
|
14
|
2
|
16
|
18
|
1
|
19
|
35
|
18
|
रवांडा
|
4
|
3
|
7
|
1
|
0
|
1
|
8
|
19
|
सेशेल्स
|
0
|
1
|
1
|
0
|
0
|
0
|
1
|
20
|
सिएरा लियोन
|
1
|
0
|
1
|
1
|
1
|
2
|
3
|
21
|
सोमालिया
|
1
|
0
|
1
|
0
|
0
|
0
|
1
|
22
|
सूडान
|
5
|
3
|
8
|
11
|
2
|
13
|
21
|
23
|
स्वाजीलैंड
|
1
|
0
|
1
|
0
|
0
|
0
|
1
|
24
|
तंजानिया
|
3
|
5
|
8
|
4
|
1
|
5
|
13
|
25
|
युगांडा
|
5
|
0
|
5
|
2
|
0
|
2
|
7
|
26
|
जांबिया
|
3
|
0
|
3
|
1
|
0
|
1
|
4
|
27
|
जिंबाबवे
|
1
|
0
|
1
|
3
|
0
|
3
|
4
|
कुल
|
95
|
24
|
119
|
67
|
9
|
76
|
195
|
सारणी 4 :भारत
- अफ्रीका फेलोशिप कार्यक्रम के तहत पढ़ाई पूरी करने वाले छात्र
|
सं.
|
स्कॉलर
उत्पत्ति का देश
|
पढ़ाई पूरी करने वाले उम्मीदवारों की संख्या
|
मास्टर
|
पी एच डी
|
कुल
|
पुरुष
|
महिलाएं
|
कुल
|
पुरुष
|
महिलाएं
|
कुल
|
1
|
बेनिन
|
1
|
0
|
1
|
0
|
0
|
0
|
1
|
2
|
बोत्सवाना
|
3
|
0
|
3
|
0
|
0
|
0
|
3
|
3
|
बुरुंडी
|
2
|
0
|
2
|
1
|
0
|
1
|
3
|
4
|
कैमरून
|
0
|
0
|
0
|
2
|
0
|
2
|
2
|
5
|
कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य
|
0
|
0
|
0
|
1
|
0
|
1
|
1
|
6
|
मिस्र
|
1
|
1
|
2
|
2
|
0
|
2
|
4
|
7
|
इथोपिया
|
8
|
0
|
8
|
4
|
0
|
4
|
12
|
8
|
घाना
|
2
|
2
|
4
|
0
|
0
|
0
|
4
|
9
|
कीनिया
|
0
|
1
|
1
|
0
|
0
|
0
|
1
|
10
|
लेसोथो
|
1
|
0
|
1
|
0
|
0
|
0
|
1
|
11
|
लाइबेरिया
|
2
|
0
|
2
|
1
|
0
|
1
|
3
|
12
|
मालावी
|
10
|
1
|
11
|
0
|
0
|
0
|
11
|
13
|
मोजांबिक
|
0
|
0
|
0
|
1
|
0
|
1
|
1
|
14
|
नामीबिया
|
0
|
2
|
2
|
0
|
0
|
0
|
2
|
15
|
नाइजर गणराज्य
|
1
|
0
|
1
|
0
|
0
|
0
|
1
|
16
|
नाइजीरिया
|
9
|
1
|
10
|
4
|
1
|
4
|
14
|
17
|
रवांडा
|
3
|
3
|
6
|
0
|
0
|
0
|
6
|
18
|
सिएरा लियोन
|
1
|
0
|
1
|
1
|
0
|
1
|
2
|
19
|
सूडान
|
4
|
2
|
6
|
5
|
0
|
5
|
11
|
20
|
स्वाजीलैंड
|
1
|
0
|
1
|
0
|
0
|
0
|
1
|
21
|
तंजानिया
|
3
|
5
|
8
|
2
|
0
|
2
|
10
|
22
|
युगांडा
|
4
|
0
|
4
|
0
|
0
|
0
|
4
|
23
|
जांबिया
|
3
|
0
|
3
|
1
|
0
|
1
|
4
|
24
|
जिंबाबवे
|
1
|
0
|
1
|
1
|
0
|
1
|
2
|
कुल
|
60
|
18
|
78
|
26
|
1
|
27
|
105
|

एस अयप्पन
सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग तथा महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि भवन, नई दिल्ली - 110001
ईमेल : dg.icar@nic.in