मीडिया सेंटर

भविष्‍य के लिए भारत-फ्रांस: भागीदारी

दिसम्बर 06, 2010

भारत के प्रधान मंत्री के निमंत्रण पर फ्रांस गणराज्‍य के राष्‍ट्रपति ने 4-7 दिसंबर, 2010 तक भारत का कार्यकारी दौरा किया। श्री निकोलस सरकोजी और डा. मनमोहन सिंह के बीच पारस्‍परिक हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्दे पर व्‍यापक और उपयोगी चर्चा हुई।

बहुपक्षवाद, न्‍याय, स्‍वतंत्रता, समानता एवं भ्रातृत्‍व द्वारा प्रेरित अपने साझे विजन एवं मूल्‍यों की पुन: पुष्‍टि करते हुए फ्रांस एवं भारत ने अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया और शांति एवं वैश्‍विक सुरक्षा की दिशा में कार्य करने की अपनी वचनबद्धता की पुन: पुष्‍टि की।

आज जब भारत और फ्रांस के बीच विद्यमान सामरिक भागीदारी 12वें वर्ष में प्रवेश कर रही है, तो फ्रांस के राष्‍ट्रपति और भारत के प्रधान मंत्री ने अंतर्राष्‍ट्रीय मंच पर भारत की उत्‍तरोत्‍तर बढ़ती भूमिका को स्‍वीकार करते हुए भारत-फ्रांस सामरिक भागीदारी को नया संवेग प्रदान करने के अपने संकल्‍प का प्रदर्शन किया।

  • वैश्‍विक एवं क्षेत्रीय चुनौतियां

    फ्रांस और भारत जी-20 को यथासंभव प्रभावी बनाने के लिए मिलकर कार्य करेंगे और अंतर्राष्‍ट्रीय प्रणाली को विश्‍व की समसामयिक चुनौतियों को बेहतर तरीके से प्रतिबिंबित करने योग्‍य बनाने का प्रयास करेंगे। मौद्रिक अस्‍थिरता, प्रमुख बृहत आर्थिक असंतुलन, कृषि खाद्य उत्‍पादों सहित समग्र पण्‍यों के मूल्‍य में आने वाला उतार-चढ़ाव, अवसंरचना सहित अन्‍य क्षेत्रों में विकास का अंतर तथा खाद्य सुरक्षा का अभाव इत्‍यादि ऐसे मुद्दे हैं जिन्‍हें दोनों देश नजरअंदाज नहीं कर सकते। जी-20 आज अंतर्राष्‍ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रधान मंच बन गया है और इसे इस प्रकार का मंच बने रहना चाहिए ताकि सुदृढ़, सतत एंव संतुलित विकास और अंतर्राष्‍ट्रीय आर्थिक प्रणाली की नई आधारशिला रखी जा सके।

    बहुपक्षीय व्‍यापार के संबंध में दोनों देश वर्ष 2011 में दोहा विकास दौर की वार्ताओं का महत्‍वाकांक्षी, व्‍यापक और संतुलित समापन चाहते हैं।

    भारत और फ्रांस ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद सहित समग्र संयुक्‍त राष्‍ट्र प्रणाली में गहन सुधार लाए जाने की आवश्‍यकता को दोहराया जिससे कि इसे समसामयिक विश्‍व के लिए और प्रातिनिधिक बनाया जा सके। फ्रांस ने विस्‍तारित संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को अविलंब अस्‍थाई सदस्‍य बनाए जाने का समर्थन किया।

    अभी-अभी फ्रांस ने जी-20 की अध्‍यक्षता का कार्यभार संभाला है। इसलिए जी-20 तथा वर्ष 2010-11 कार्यकाल के लिए सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्‍यता से इन दोनों निकायों में संयुक्‍त रूप से कार्य करने का ऐतिहासिक अवसर मिला है। दोनों देश जी-20 सहित अन्‍य संगठनों के सदस्‍यों और समूहों के साथ मिलकर कार्य करना चाहेंगे ताकि संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के लिए स्‍पष्‍ट समर्थन प्राप्‍त किया जा सके।

    फ्रांस और भारत वर्ष 2011-12 के दौरान बहुपक्षीय निकायों, विशेषकर संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में अपनी वार्ता और सहयोग को विस्‍तारित करना जारी रखेंगे जिससे कि क्षेत्रीय संकट, आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन तथा सामूहिक विनाश के हथियारों एवं उनकी डिलिवरी प्रणाली के प्रसार जैसे खतरों का मुकाबला किया जा सके और शस्‍त्र नियंत्रण एवं वैश्‍विक निरस्‍त्रीकरण को बढ़ावा दिया जा सके।

    अंतर्राष्‍ट्रीय आतंकवाद एक साझी चुनौती है और इसका मुकाबला मिलजुलकर किए जाने की आवश्‍यकता है। आज यह हमारे द्विपक्षीय सामरिक सहयोग का एक महत्‍वपूर्ण मुद्दा बन गया है।

    अंतर्राष्‍ट्रीय आतंकवाद से संबद्ध व्‍यापक अभिसमय के प्रारूप जैसी संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की पहलकदमियों के लिए बहुपक्षीय स्‍तर पर सीमापार अंतर्राष्‍ट्रीय आतंकवाद की समस्‍या का समाधान किए जाने की आवश्‍यकता है। हमें अंतर्राष्‍ट्रीय आतंकवाद के वित्‍तपोषण तथा धन शोधन का मुकाबला करने के लिए एफएटीएफ जैसे अंतर्राष्‍ट्रीय निकायों के साथ भी मिलजुलकर कार्य करने की आवश्‍यकता है।

    फ्रांस और भारत ने अफगानिस्‍तान में शांति, लोकतंत्र और विकास को बढ़ावा देने के लिए मिलकर कार्य करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्‍टि की।

    फ्रांस के राष्‍ट्रपति और भारत के प्रधान मंत्री ने अफगानिस्‍तान के पुनर्निर्माण और सुरक्षा की दिशा में दोनों देशों द्वारा दिए जा रहे योगदानों का स्‍वागत किया। दोनों देशों ने अफगानिस्‍तान के राष्‍ट्रीय सुरक्षाबलों का पर्याप्‍त विकास किए जाने की आवश्‍यकता के महत्‍व को रेखांकित किया जिससे कि अफगानिस्‍तान अपनी संप्रभुता और स्‍वतंत्रता की रक्षा कर सके।

    उन्‍होंने अफगानिस्‍तान की सीमाओं के बाहर आतंकी गुटों को सुरक्षित आश्रयस्‍थल प्रदान किए जाने तथा इन गुटों द्वारा दुबारा सिर उठाए जाने पर अपनी चिन्‍ता व्‍यक्‍त की।

    उन्‍होंने इस बात पर भी अपनी सहमति व्‍यक्‍त की कि अंतर्राष्‍ट्रीय समुदाय द्वारा दृढ़ता के साथ आतंकवाद का मुकाबला करना चाहिए। दोनों देशों ने अफगानिस्‍तान के पड़ोसी देशों से अफगानिस्‍तान के संदर्भ में रचनात्‍मक दृष्‍टिकोण अपनाने का आह्वान किया जिससे कि क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्‍य में इस देश में स्‍थिरता आए और विकास का मार्ग प्रशस्‍त हो।

    फ्रांस और भारत ने जलवायु परिवर्तन की समस्‍या का प्रभावी मुकाबला करने के लिए द्विपक्षीय और वैश्‍विक स्‍तर पर सहयोग में वृद्धि किए जाने की वचनबद्धता व्‍यक्‍त की।

    दोनों देशों ने बाली कार्ययोजना के अनुसरण में अधिदेशित मुद्दों पर संतुलित प्रचालनात्‍मक निर्णयों के रूप में कानकुन में आयोजित होने वाले सम्‍मेलन में महत्‍वाकांक्षी परिणाम प्राप्‍त करने हेतु मिलकर कार्य करते हुए इस लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने का निर्णय लिया। फ्रांस और भारत ने वर्ष 2008 में स्‍थापित पर्यावरण से संबद्ध द्विपक्षीय कार्यकारी दल की रूपरेखा के अंतर्गत कार्य जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्‍टि की। इस समूह की बैठक वर्ष 2011 की पहली तिमाही में पेरिस में होगी।

    अप्रसार के संबंध में भारत के अक्षुण्‍ण रिकार्ड और वैश्‍विक अप्रसार प्रयासों में बेहतर योगदान करने संबंधी भारत की इच्‍छा को स्‍वीकार करते हुए तथा अंतर्राष्‍ट्रीय अप्रसार व्‍यवस्‍था को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से फ्रांस अंतर्राष्‍ट्रीय अप्रसार पहलकदमियों को बढ़ावा देने में भारत के साथ मिलकर कार्य करना चाहता है। इसके साथ ही भारत एनएसजी, एमटीसीआर, एजी और डब्‍ल्‍यूए जैसी बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्‍यवस्‍थाओं में इन समूहों की प्रक्रियाओं के अनुरूप भारत की पूर्ण सदस्‍यता का समर्थन इस प्रकार करना चाहता है कि इससे इनके उद्देश्‍यों को बढ़ावा मिले।

    सार्वभौमिक एवं सामान्‍य निरस्‍त्रीकरण के प्रति अपनी साझी वचनबद्धता और अप्रसार व्‍यवस्‍था को बढ़ावा दिए जाने की अपनी इच्‍छा के संबंध में भारत और फ्रांस में नाभिकीय शस्‍त्र संपन्‍न सभी देशों खासकर इस प्रकार के हथियारों का विशाल भण्‍डार रखने वाले देशों के बीच सार्थक बातचीत आरंभ किए जाने की आवश्‍यकता की पुष्‍टि की जिससे कि आस्‍था और विश्‍वास का निर्माण किया जा सके तथा अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍थिरता, शांति एवं सुरक्षा के माहौल को बढ़ावा दिया जा सके। उन्‍होंने आतंकवादियों द्वारा, हथियारों अथवा सामग्रियों तक पहुंच प्राप्‍त करने से जुड़े खतरों में कमी लाने की दिशा में किए जा रहे अंतर्राष्‍ट्रीय सहकारी प्रयत्‍नों का समर्थन किया।

    दोनों देशों ने निरस्‍त्रीकरण सम्‍मेलन में एक ऐसी बहुपक्षीय संधि संपन्‍न किए जाने के लिए तत्‍काल बातचीत करने का समर्थन किया जिसके फलस्‍वरूप परमाणु हथियारों तथा अन्‍य परमाणु विस्‍फोटकों में उपयोग किए जाने के लिए विखंडनीय पदार्थों के उत्‍पादन पर प्रतिबंध लगाया जा सके।

    फ्रांस और भारत ने ईरान के परामणु मुद्दे का समाधान करने के लिए राजनय का उपयोग किए जाने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्‍टि की और ईरान द्वारा अंतर्राष्‍ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी एवं संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के दायित्‍वों को पूरा करने के संबंध में रचनात्‍मक और तात्‍कालिक कदम उठाए जाने की आवश्‍यकता पर चर्चा की।

    भारत और फ्रांस ने कोरियाई प्रायद्वीप की स्‍थिति पर भी चिन्‍ता व्‍यक्‍त की और कोरिया लोकतांत्रिक जन गणराज्‍य से संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद एवं आईएईएबीओजी संकल्‍पों का अनुपालन करने का आह्वान किया।

    फ्रांस और भारत यूरोपीय संघ और भारत के बीच संबंधों को बढ़ावा दिए जाने का समर्थन करना जारी रखेंगे, खासकर तब जब भारत और यूरोपीय संघ स्‍वयं भी सामरिक संबंधों को गहन बनाए जाने की प्रक्रिया में प्रतिबिंबित सहयोग तथा लिस्‍बन संधि को प्रवृत्‍त करने में सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं।

    दोनों देश 10 दिसंबर, 2010 को ब्रसेल्‍स में यूरोपीय संघ-भारत शिखर सम्‍मेलन का आयोजन किए जाने का स्‍वागत करते हैं और पारस्‍परिक रूप से लाभकारी यूरोपीय संघ-भारत व्‍यापक व्‍यापार एवं निवेश करार को संपन्‍न किए जाने हेतु नए सिरे से प्रयास करने का आह्वान करते हैं।
  • भारत-फ्रांस सामरिक भागीदारी

    असैनिक परमाणु ऊर्जा

    दोनों देश परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग से संबद्ध भारत-फ्रांस सहयोग करार तथा परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग से संबद्ध तकनीकी मुद्दों एवं सूचनाओं की गोपनीयता के संरक्षण और इसे संपूरित करने वाले परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग से संबद्ध बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित करारों को 14 जनवरी, 2010 से लागू किए जाने का स्‍वागत करते हैं।

    असैनिक परमाणु ऊर्जा सहयोग के क्षेत्र में अपनी नई, व्‍यापक एवं गतिशील भागीदारी को स्‍वीकार करते हुए फ्रांस और भारत अनुसंधान एवं विकास तथा संयुक्‍त परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं की स्‍थापना करने सहित इससे जुड़े अन्‍य कार्यों में दोनों देशों के बीच सहयोग को और बढ़ावा देने की दिशा में होने वाली प्रगति का स्‍वागत करते हैं।

    इस संदर्भ में एनपीसीआईएल और एआरईवीए के बीच सामान्‍य रूपरेखा करार पर हस्‍ताक्षर किया जाना एक महत्‍वपूर्ण घटनाक्रम है।

    भारत द्वारा असैनिक परमाणु देयता विधान अधिनियमित किए जाने के उपरान्‍त दोनों देश इस विषय पर विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए तैयार हैं जिससे कि सहयोग के ठोस विकास की उपयुक्‍त रूपरेखा का निर्माण सुनिश्‍चित हो सके।

    फ्रांस की ओर से ''कमीशेरिएट अल इनर्जी अटोमिक एट ऑक्‍स इनर्जीज अल्‍टरनेटिव्‍स-सीईए'' और भारत की ओर से ''परमाणु ऊर्जा विभाग-डीएई'' के बीच 6 दिसंबर को परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए परमाणु विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग करार संपन्‍न किया गया जिसका उद्देश्‍य सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक सामान्‍य रूपरेखा का निर्माण करना है। इसके साथ ही शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में विशिष्‍ट कार्यान्‍वयन करार पर भी हस्‍ताक्षर किए गए।

    सीईए ने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने संबंधी बहुपक्षीय सहकारी प्रयासों में योगदान करने के तरीके के रूप में भारत के वैश्‍विक परमाणु ऊर्जा भागीदारी केंद्र (जीसीएनईपी) के साथ सहयोग करने की अपनी रुचि भी अभिव्‍यक्‍त की।

    आतंकवाद का मुकाबला

    आतंकवाद न सिर्फ दोनों देशों के लोगों और हितों पर हमला करता है बल्‍कि यह विश्‍व के दोनों क्षेत्रों की शांति और स्‍थिरता के लिए भी खतरा है। हम आतंकवाद के सभी स्‍वरूपों की भर्त्‍सना करने और इसका मुकाबला करने के लिए किए जाने वाले सहयोग को गहन बनाने की पुष्‍टि करते हैं।

    25 जनवरी, 2008 को जारी संयुक्‍त वक्‍तव्‍य के बाद से हमने इन खतरों का बेहतर आकलन करने तथा प्रासंगिक जानकारियों का आदान-प्रदान करने के उद्देश्‍य से द्विपक्षीय विचार-विमर्शों एवं आदान-प्रदानों को गहन बनाने पर बल दिया है। आज हमने इस सहयोग को भारत-फ्रांस सुरक्षा संबंधों की एक प्राथमिकता बनाने का निर्णय लिया।

    मुम्‍बई में नवंबर, 2008 माह में किए गए आतंकवदी हमलों को विशेष रूप से ध्‍यान में रखते हुए हम इन अपराधों के साजिशकर्ताओं एवं उनके सहयोगियों पर अभियोजन चलाए जाने और शीघ्र ही उन्‍हें कानून के दायरे में लाने का आह्वान करते हैं।

    आतंकवाद के विरुद्ध अपनी साझी लड़ाई में हम संभव सीमा तक अपने प्रचालनात्‍मक सहयोग में वृद्धि करेंगे और यह सुनिश्‍चित करना चाहेंगे कि यथासंभव पारस्‍परिक विधिक सहायता प्रदान की जाए तथा प्रत्‍यर्पण अनुरोधों पर तेजी से कार्रवाई की जाए।

    दोनों देशों की सरकारें साझी स्‍थितियों का निर्माण करने तथा ठोस पहलकदमियों को बढ़ावा देने में वित्‍तीय कार्यबल जैसे अतर्राष्‍ट्रीय निकायों में किए जाने वाले अपने प्रयासों का समन्‍वय करेंगे।

    आतंकवाद के विरुद्ध अंतर्राष्‍ट्रीय कानूनी रूपरेखा को सुदृढ़ बनाने संबंधी अपने प्रयासों के अनुसरण में हम संयुक्‍त राष्‍ट्र में अंतर्राष्‍ट्रीय आतंकवाद से संबंध व्‍यापक अभिसमय को शीघ्रातिशीघ्र संपन्‍न किए जाने के लिए अपने प्रयासों में वृद्धि करने का संकल्‍प लेते हैं। भारत और फ्रांस सभी देशों को अंतराष्‍ट्रीय आतंकवाद का मुकाबला करने से संबंधित सभी अभिसमयों का भाग बनने के लिए आमंत्रित करते हैं।

    दोनों पक्षों ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद संकल्‍प 1267 और बाद के संकल्‍पों द्वारा अलकायदा और तालिबान के विरुद्ध लगाए गए प्रतिबंधों का अनुपालन किए जाने के महत्‍व और इसकी विश्‍वसनीयता बनाए रखने की आवश्‍यकता पर बल दिया।

    सुरक्षा और प्रतिरक्षा

    फ्रांस और भारत रक्षा भागीदारी को सुदृढ़ बनाने की प्रक्रिया को जारी रखने में अपने साझे हित की पुष्‍टि करते हैं, जो हमारी सामरिक भागीदारी की एक महत्‍वपूर्ण आधारशिला है। यह दोनों पक्षों की वैश्‍विक शांति और सुरक्षा की दिशा में कार्य करने की साझी प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

    दोनों देश समुद्री डकैती का मुकाबला करने तथा समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने में अपने सहयोग को जारी रखने और गहन बनाने पर अपनी सहमति व्‍यक्‍त करते हैं।

    फ्रांस और भारत अदन की खाड़ी तथा अन्‍य क्षेत्रों में समुद्री डकैती का मुकाबला करने में सहयोग को गहन बनाए जाने की आवश्‍यकता को स्‍वीकार करते हैं।

    दोनों देश अपनी-अपनी नौसेनाओं (वरुण) तथा वायु सेनाओं (गरुड़) के बीच जारी अभियान का स्‍वागत करते हैं और दोनों सेनाओं के बीच अन्‍य अभियानों के जरिए रक्षा सहयोग को विस्‍तारित करने में अपनी रुचि की पुष्‍टि करते हैं।

    दोनों देश रक्षा उद्योग में संयुक्‍त कार्यक्रमों के लिए जारी प्रयासों और भावी संभावनाओं का स्‍वागत करते हैं जिनमें संयुक्‍त अनुसंधान एवं विकास तथा प्रौद्योगिकी के अंतरण को शामिल किया जाएगा। इस संदर्भ में और पहले कदम के रूप में दोनों देश शीघ्र ही एसआरएसएएम और कावेरी कार्यक्रम का शुभारंभ किए जाने के संबंध में आशावान हैं। मिराज 2000 विमान के उन्‍नयन के संबंध में चर्चाओं को भी शीघ्र ही अंतिम रूप दिए जाने की आशा है।

    अंतरिक्ष सहयोग

    अंतरिक्ष, जो दोनों देशों के बीच वैज्ञानिक सहयोग का एक महत्‍वपूर्ण क्षेत्र है, के क्षेत्र में सहयोग के अनिवार्य स्‍वरूप को स्‍वीकार करते हुए भारत और फ्रांस अपने आदान-प्रदानों के क्षेत्र का विस्‍तार करना चाहते हैं और इस क्षेत्र में अपने संयुक्‍त प्रयासों का और विकास करना चाहते हैं। शांतिपूर्ण प्रयोजनों के लिए अंतरिक्ष के उपयोग से संबंधित विभिन्‍न मुद्दों पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्‍थान (इसरो) और फ्रेंच नेशनल स्‍पेस एजेंसी (सीएनईएस) के बीच हस्‍ताक्षरित रूपरेखा करार की भावना में वे वर्ष 2011 में छोड़े जाने वाले मेघा-ट्रापिक्‍स और सरल उपग्रहों के विकास में हुई प्रगति के लिए दोनों देशों की रक्षा संस्‍थापनाओं की सराहना करते हैं।

    दोनों सरकारें जलवायु परिवर्तन अध्‍ययनों तथा अंतरिक्ष अन्‍वेषणों के लिए भू-पर्यवेक्षण क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने की अपनी वचनबद्धता की पुष्‍टि करते हैं।

    भारत और फ्रांस दोनों देशों के अंतरिक्ष उद्योगों द्वारा पिछले कुछ वर्षों के दौरान पुष्‍पित-पल्‍लवित औद्योगिक सहयोग की उपरिगामी प्रवृत्‍ति को स्‍वीकार करते हैं। वे इस संबंध में हुए वर्ष 2005 में संपन्‍न करार के अनुसरण में संचार उपग्रहों के संयुक्‍त विकास एवं विपणन में आस्‍ट्रियम एवं अंतरिक्ष सहयोग द्वारा प्राप्‍त उपलब्‍धियों का सहर्ष स्‍वागत करते हैं। वे आने वाले वर्षों में संभावनाओं से परिपूर्ण इस सहयोग को जारी रखने का भी स्‍वागत करते हैं।
  • द्विपक्षीय सहयोग

    आर्थिक एवं व्‍यापारिक आदान-प्रदान का विकास

    फ्रांस और भारत हाल के वर्षों में अपने द्विपक्षीय आर्थिक आदान-प्रदान के उत्‍कृष्‍ट विकास का स्‍वागत करते हैं। दोनों देश विमान लीजिंग, उपग्रह प्रमोचन, बायोमीट्रिक प्रौद्योगिकी, ऊर्जा तथा शहरी परिवहन के लिए वर्ष 2011 के उत्‍तरार्ध में हस्‍ताक्षरित संविदाओं का स्‍वागत करते हैं।

    द्विपक्षीय आदान-प्रदानों और निवेशों के विकास की संभावना के प्रति जागरूक रहते हुए तथा विश्‍व की दो अग्रणी अर्थव्‍यवस्‍थाओं के बीच विद्यमान गतिशीलता द्वारा उपलब्‍ध कराए गए अवसरों के प्रति आश्‍वस्‍त होते हुए दोनों सरकारें आर्थिक मंदी के बावजूद वर्ष 2008-2012 की अवधि के दौरान अपने व्‍यापारिक आदान-प्रदान को दुगुना करने के लक्ष्‍य को दुहराती हैं।

    इसके अतिरिक्‍त यूरोपीय संघ-भारत व्‍यापक व्‍यापार और निवेश करार के फलस्‍वरूप होने वाले आदान-प्रदानों के उदारीकरण, असैनिक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में जारी सहयोग और विमानन उद्योग संविदाओं की बहाली के साथ ही दोनों पक्ष दोनों देशों के बीच व्‍यापारिक संबंधों को खासा प्रोत्‍साहन मिलेगा।

    फ्रांस और भारत एक दूसरे देशों में किए जाने वाले निवेशों में वृद्धि तथा कार उद्योग, भवन सामग्री, विद्युत उपकरण, सार्वजनिक जल उपयोगिताओं एवं रेल परिवहन जैसे क्षेत्रों में भारत आस्‍थानी फ्रांसीसी कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर किए गए निवेश का स्‍वागत करते हैं। दोनों देश फ्रांस में भारतीय निवेश की संभावनाओं का भी स्‍वागत करते हैं।

    वे द्विपक्षीय व्‍यापार को बढ़ावा देने में निजी क्षेत्र की भागीदारी का स्‍वागत करते हैं और भारत-फ्रांस मुख्‍य कार्यकारी मंच से सहयोग के नए मार्गों की पहचान करने तथा दोनों देशों के बीच व्‍यावसायिक वातावरण के निर्माण को सुकर बनाने में निर्णायक भूमिका निभाने का आह्वान करते हैं।

    कृषि एवं खाद्य प्रसंस्‍करण क्षेत्र में सहयोग भारत और फ्रांस दोनों देश रियायती, स्‍वास्‍थ्‍यकर, उच्‍च गुणवत्‍ता आधारित एवं स्‍थाई खाद्य उत्‍पादों की आवश्‍यकता को पूरा करने में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्‍करण क्षेत्र के रणनीतिक महत्‍व को स्‍वीकार करते हैं।

    विशेष रूप से वे व्‍यापक सहयोग, जिसमें खाद्य उत्‍पादों से संबंधित संभारतंत्रीय व्‍यवस्‍थाएं, वितरण क्षेत्र तथा कृषि खाद्य अनुसंधान शामिल हैं, के भाग के रूप में कृषि उत्‍पादों के आदान-प्रदान को दुगुना करने और इसे संतुलित बनाने की इच्‍छा व्‍यक्‍त करते हैं।

    दोनों पक्ष कृषि से संबद्ध भारत-फ्रांस कार्यकारी दल के जरिए दोनों देशों के बीच किए जा रहे सहयोग पर संतोष व्‍यक्‍त करते हैं। भावी सहयोग के लिए निर्धारित क्षेत्रों में पश्‍च फसल कटाई प्रबंधन क्षमताएं (अर्थात शीतगृह, भंडारण ...), वाइन/वाइनयार्ड, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण तथा आदान-प्रदान कार्यक्रम, मवेशी पहचान तथा डेयरी मवेशी प्रजातियों में सुधार इत्‍यादि शामिल हैं।

    सतत विकास (नगर आयोजना, परिवहन, आवास) क्षेत्र में सहयोग

    दोनों पक्षों ने भारतीय और फ्रांसीसी संस्‍थागत ढांचों तथा व्‍यावसायिक भागीदारियों के बीच सहयोग को और बढ़ावा देने के लिए मानकों, सर्वोत्‍तम प्रथाओं एवं क्षमता निर्माण के क्षेत्र में द्विपक्षीय आदान-प्रदान जारी रखने की अपनी उपलब्‍धता व्‍यक्‍त की।

    मानव संसाधन आदान-प्रदान के क्षेत्र में सहयोग

    25 जनवरी, 2008 और 30 सितंबर, 2008 की संयुक्‍त घोषणाओं के अनुसरण में लोगों से लोगों के बीच सम्‍पर्कों तथा मानव संसाधनों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की प्रक्रिया के महत्‍व को दोहराते हुए फ्रांस और भारत प्रवासन के क्षेत्र में घनिष्‍ठ सहयोग करने के अपने सहयोग की पुष्‍टि करते हैं जिसका उद्देश्‍य उपलब्‍ध अवसरों के आधार पर एक दूसरे देशों में छात्रों, व्‍यवसायिकों तथा कुशल कामगारों के वैध एवं सुव्‍यवस्‍थित प्रवासन को बढ़ावा देना, राष्‍ट्रीयता की पहचान किए जाने के उपरान्‍त दोनों देशों के अवैध प्रवासनों को एक दूसरे देश में वापस भेजना तथा अनियमित आप्रवासन की समस्‍या का समाधान करना है।

    नवंबर, 2009 में हुई आरंभिक वार्ताओं, जिसमें प्रवासियों के संबंध में व्‍यापक दृष्‍टिकोण के अंतर्गत प्रवासन के संबंध में एक द्विपक्षीय भागीदारी करार संपन्‍न किए जाने हेतु बातचीत आरंभ हुई, का स्‍वागत करते हुए दोनों पक्षों ने फ्रांस द्वारा प्रस्‍तुत पाठ के प्रारूप के आधार पर दोनों देशों के बीच शीघ्र ही इससे संबंधित वार्ताएं आरंभ किए जाने का स्‍वागत किया।

    विश्‍वविद्यालयी एवं वैज्ञानिक सहयोग

    यह सुनिश्‍चित करने के लिए कि मानव संसाधन का आदान-प्रदान अनुसंधान, शिक्षा और संस्‍कृति सहित द्विपक्षीय सहयोग के सभी क्षेत्रों में किया जाए, दोनों पक्षों ने इस दिशा में किए जाने वाले प्रयासों को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्‍टि की। उन्‍होंने फ्रांस में अध्‍ययन करने वाले भारतीय छात्रों और भारत में अध्‍ययन करने वाले फ्रांसीसी छात्रों की संख्‍या में उत्‍तरोत्‍तर वृद्धि की प्रवृत्‍ति को भी प्रोत्‍साहित किया। फ्रांस तथा भारतीय उच्‍च संस्‍थानों के बीच छात्रों की आवाजाही को बढ़ावा देने के लिए 200 से अधिक रूपरेखा करार संपन्‍न किए गए हैं। ''काई डी ओरसे/इंटरप्राइजेज'' के अंतर्गत स्‍थापित पांच छात्रवृत्‍ति कार्यक्रमों से वर्ष 2006 के बाद से फ्रांस के सर्वोत्‍तम स्‍कूलों और विश्‍वविद्यालयों में 101 भारतीय छात्रों का नामांकन संभव हो पाया है।

    वर्ष 2009 में लगभग 400 छात्रवृत्‍तियां प्रदान की गईं। भारत और फ्रांस छात्रों के द्विपक्षीय आदान-प्रदान में वृद्धि किए जाने का आह्वान करते हैं और भारत में फ्रांसीसी छात्रों तथा फ्रांस में भारतीय छात्रों के शैक्षिक प्रवासों को सुविधाजनक बनाने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त करते हैं।

    फ्रांस और भारत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान (आईआईटी) राजस्‍थान में महत्‍वाकांक्षी सहयोग की शुरुआत करने का समर्थन करते हैं, जिसके फलस्‍वरूप फ्रांसीसी उच्‍च शिक्षा संस्‍थाओं के एक कंसोर्टियम की स्‍थापना की अनुमति मिलेगी और जिसके फलस्‍वरूप सतत विकास एवं हरित परियोजनाओं पर संयुक्‍त भागीदारी की पहल की जा सकेगी।

     

    इस परियोजना से अंतत: पर्यावरण को उद्यमों के दैनिक कार्यकरण में शामिल किया जाना तथा विकेंद्रित सहकारी कार्रवाइयों के जरिए शहरी विरासत का विकास किया जा सकेगा।

    वैश्‍विक समृद्धि एवं स्‍थिरता में शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान के अनिवार्य योगदान को स्‍वीकार करते हुए उन्‍होंने फ्रांस-भारत उच्‍च अध्‍ययन केंद्र (सीईएफआईपीआरए) की सफलता का स्‍वागत किया, जो वर्ष 1986 से ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़ी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहा है।

    इन्‍होंने इसके कार्यों को आगे बढ़ाने तथा अन्‍य भागीदारियों का विकास करने के लिए परिकल्‍पित महत्‍वाकांक्षी पहलकदमियों का स्‍वागत किया। वे नवाचारों के क्षेत्र में भारत-फ्रांस सहयोग को संवर्धित करने हेतु अपनी साझी वचनबद्धता को भी दोहराते हैं। उन्‍होंने सौर ताप प्रौद्योगिकी, स्‍वास्‍थ्‍य प्रयोगशालाओं में आईसीटी, ऑटोमोबाइलों के लिए प्रणालियों एवं डिजाइनों तथा एयरोस्‍पेस, रोबोटिक्‍स और नियंत्रण प्रणालियों, कला, संस्‍कृति तथा विरासत जीर्णोद्धार जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान सहयोग का स्‍वागत करते हैं।

    भारत और फ्रांस इस बात को स्‍वीकार करते हैं कि चूंकि 21वीं सदी को ज्ञान की सदी कहा जा रहा है। इसलिए ज्ञान अर्थव्‍यवस्‍था दोनों देशों के बीच का सहयोग दोनों देशों के लिए महत्‍वपूर्ण होगा। विशेषकर सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का लाभ लेना उपयोगी होगा। लोकतंत्र, पारदर्शिता एवं उत्‍तरदायित्‍व को बढ़ावा देने के अपने साझे प्रयासों के आधार पर फ्रांस और भारत सूचनाओं के प्रसार तथा मुक्‍त सरकार से संबंधित पहल को बढ़ावा देना चाहते हैं जिसका उद्देश्‍य राज्‍यों एवं इसके नागरिकों के बीच संबंधों को आधुनिक रूप प्रदान करना है।

    दोनों सरकारें फ्रांसीसी विकास एजेंसी (एएफडी) की कार्रवाइयों का स्‍वागत करती हैं जिनसे नवीकरणीय ऊर्जा एवं ऊर्जा प्रभाविता, सतत वन प्रबंधन एवं जैव विविधता संरक्षण जैसे क्षेत्रों में परियोजनाओं के रियायती वित्‍तपोषण को प्रोत्‍साहित किया जा सकेगा। सतत विकास के क्षेत्र में हमारे सहयोग के एक महत्‍वपूर्ण उपकरण के रूप में आने वाले कुछ वर्षों में एएफडी के हस्‍तक्षेप के स्‍तर में वृद्धि होनी तय है।

    सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान

    फ्रांस और भारत एक दूसरे देश में बोन्‍जोर इंडिया तथा नमस्‍ते फ्रांस जैसे सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन का स्‍वागत करते हैं जिसके परिणामस्‍वरूप भारत और फ्रांस की जनता एक दूसरे के प्रति बेहतर समझबूझ स्‍थापित करने की अपनी इच्‍छा को पूरी कर पा रही है।वे भारत में न्‍यूज चैनल फ्रांस-24 का शुभारंभ किए जाने का स्‍वागत करते हैं। वे पेरिस के 3 एवेन्‍यू डी लोवेंडल में भारतीय सांस्‍कृतिक केंद्र की स्‍थापना की वचनबद्धता की पुष्‍टि करते हैं और इस प्रयोजनार्थ आवश्‍यक व्‍यवस्‍थाओं को अंतिम रूप देने की अपनी इच्‍छा व्‍यक्‍त करते हैं।

    दोनों सरकारें फिल्‍मों के सहनिर्माण से संबद्ध करार पर हस्‍ताक्षर किए जाने का स्‍वागत करती हैं जिससे फिल्‍म उद्योग में भावी संयुक्‍त सहकारी परियोजनाओं को बढ़ावा मिलेगा और इसे सहनिर्माण के संबंध में एक उदाहरण माना जाएगा।

नई दिल्‍ली
06 दिसंबर, 2010

Write a Comment एक टिप्पणी लिखें
टिप्पणियाँ

टिप्पणी पोस्ट करें

  • नाम *
    ई - मेल *
  • आपकी टिप्पणी लिखें *
  • सत्यापन कोड * पुष्टि संख्या