संयुक्त राष्ट्र महासभा का वर्तमान सत्र 18 सितंबर को शुरू हुआ। इस वर्ष शिष्टमंडल प्रमुखों द्वारा संबोधन सहित सामान्य विचार - विर्मश 25 सितंबर से 1 अक्टूबर तक हो रहा है। विदेश मंत्री 1 अक्टूबर को सवेरे सामान्य विचार विर्मश को संबोधित करेंगे। वह कल न्यूयार्क
पहुंच रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा का वर्तमान सत्र ऐसे समय में आयोजित हो रहा है जब पूरी दुनिया को निरंतर आर्थिक एवं वित्तीय अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है तथा मध्य पूर्व एवं उत्तरी अफ्रीका क्षेत्र भी निरंतर परिवर्तन की स्थिति में है। महासभा के इस सत्र के दौरान
भारत सक्रियता से ऐसे उपायों पर जोर देगा जिनका उद्देश्य अनेकवाद को सुदृढ़ करते हुए यह सुनिश्चित करना है कि विकासशील देशों के हित एवं सरोकार इन प्रयासों के आधार हों। भारत के प्रयासों का एक प्रमुख भाग विकास को संयुक्त राष्ट्र की प्राथमिकताओं के केंद्र बिंदु
के रूप में बनाए रखने की दिशा में केंद्रित होगा।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 67वें सत्र के दौरान, हमारा प्रयास यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित होगा कि 2015 पश्चात विकास एजेंड़ा में गरीबी उन्मूलन तथा समावेशी विकास पर बल दिया जाना जारी रहे। हम विकास के गुरूत्व का सुनिश्चय करते हुए तथा विकासशील देशों के पर्यावरणीय
एवं सामाजिक सरोकारों का जिक्र करते हुए रियो + 20 में कल्पित अंतर सरकारी प्रक्रिया में संपोषणीय विकास के लक्ष्यों के विकास पर भरपूर बल देंगे। हम वित्तीय रणनीति को शीघ्र कार्यान्वित करने तथा संपोषणीय विकास की सहायता के लिए प्रौद्योगिकी के अंतरण के लिए तंत्र
निर्मित करने का भी प्रयास करेंगे।
हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार की प्रक्रिया में आज तक की प्रगति को समेकित करने की दिशा में काम करेंगे ताकि इन सुधारों को जल्दी साकार किया जा सके। इस संबंध में हम सुरक्षा परिषद के सुधारों पर अंतर सरकारी वार्ता में सदस्यों के साथ सक्रियता से शामिल
होने और इसकी सदस्यता की स्थाई एवं अस्थाई दोनों श्रेणियों में परिषद के शीघ्र विस्तार की उम्मीद करते हैं। कल, मैंने जी 4 मंत्री स्तरीय बैठक में भाग लिया जहां हमने पिछले साल में हुई प्रगति का जायजा लिया तथा इस बात पर विचार किया कि इस महासभा में प्रक्रिया
को कैसे आगे बढ़ाया जाए। हम अधिक राजनीतिक संवेग शामिल करने तथा सुधार प्रक्रिया को गति देने के लिए साथ मिलकर काम करने पर सहमत हुए।
हम आतंकवाद के विरूद्ध सक्रिय अभियान की आवश्यकता पर जोर देना जारी रखेंगे तथा अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक अभिसमय शीघ्र अपनाने की दिशा में काम करेंगे। आतंकवाद की खिलाफत पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की समिति के अध्यक्ष के रूप में हम सभी सदस्य
राज्यों से आग्रह करेंगे कि वे आतंकवाद के विरूद्ध शून्य सह्यता का सुनिश्चय करें और सभी रूपों एवं अभिव्यक्तियों के आतंकवाद को रोकने एवं उसका सामना करने के लिए तत्काल कदम उठाएं। हम आतंकवाद विरोधी समिति की नवंबर 2012 में होने वाली विशेष बैठक में आतंकवाद के
वित्त पोषण के मुद्दे पर बल देने का प्रस्ताव करते हैं।
लंबे समय से चली आ रही अपनी नीति के अनुसार हम राजीव गांधी कार्य योजना में यथा निर्धारित, समयबद्ध ढंग से सार्वभौमिक, भेदभाव रहित, चरणबद्ध एवं सत्यापनीय परमाणु निरस्त्रीकरण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता पर बल देना जारी रखेंगे।
भारत सोमालिया के समुद्री तट पर जलदस्युता की समस्या का सामना करने को उच्च प्राथमिकता देता है। अडेन की खाड़ी में अपनी जलदस्युता रोधी कार्यवाहियों को जारी रखते हुए हम अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आग्रह करेंगे कि वे जलदस्युओं द्वारा बंधक बनाए जा रहे नाविकों की
गंभीर समस्या तथा उनके द्वारा एवं उनके परिवारों द्वारा सामना की जारी परिणामी मानवीय समस्याओं पर ध्यान दें। भारत सितंबर से दिसंबर 2012 तक सोमालिया के समुद्री तट पर जलदस्युता पर संपर्क समूह (सी जी पी सी एस) की अध्यक्षता भी कर रहा है तथा हम अपने सरोकारों
को उजागर करने के लिए इस अवसर का प्रयोग करने तथा जलदस्युता के विरूद्ध वैश्विक संघर्ष में संयुक्त राष्ट्र में प्रगति प्राप्त करने का प्रयास करेंगे।
नवंबर 2012 में भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता ग्रहण करेगा। उल्लेखनीय है कि पिछली बार हम अगस्त 2011 में सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष थे। इस अवधि के दौरान हमारी योजना है कि हमारी अध्यक्षता के दौरान जलदस्युता पर एक विषय परक विचार विर्मश तथा
सुरक्षा परिषद की काम करने की विधियों पर एक बैठक आयोजित हो।
विदेश मंत्री महासभा के इस सेगमेंट के दौरान उच्च स्तर की अनेक घटनाओं में भाग लेंगे जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं : (i) 28 सितंबर को भारत – खाड़ी सहयोग परिषद की मंत्री स्तरीय बैठक; (ii) 29 सितंबर को राष्ट्रमंडल के विदेश मंत्रियों की वार्षिक बैठक; (iii) 1 अक्टूबर
को रासायनिक हथियारों के विरूद्ध अभिसमय के 15 साल पूरा होने की याद में एक उच्च स्तरीय बैठक; और (iv) 2 अक्टूबर को सार्क के विदेश मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक। 1 अक्टूबर को अमरीका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन से उनकी बैठक का कार्यक्रम है।
विदेश मंत्री अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के अवसर पर भारत की पहल पर संयुक्त राष्ट्र संघ में 2 अक्टूबर को आयोजित हो रहे कार्यक्रमों में भी भाग लेंगे। अमरीका में होने के दौरान विदेश मंत्री भारत – अमरीका संबंधों पर व्याख्यान देने के लिए 28 सितंबर को ब्राउन
विश्वविद्यालय जाएंगे। वह 4 अक्टूबर को मिलवाउकी भी जाएंगे तथा विस्कोंसिन में सिक्ख मंदिर के दर्शन करेंगे जहां वे पिछले महीने गुरूद्वारे पर हुए हमले के पीडि़तों के रिश्तेदारों से मुलाकात करेंगे।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 67वें सत्र के लिए विदेश मंत्री की न्यूयार्क यात्रा से भारत इस महत्वपूर्ण निकाय में, जहां विश्व के अनेक अन्य नेता भी उपस्थिति हो रहे हैं, अपनी आवाज उठाने तथा अपनी बात सुनाने में समर्थ होगा। यह विदेश मंत्री को औपचारिक एवं अनौपचारिक
दोनों ढंग से अपने अनेक समकक्षों के साथ विचारों का आदान - प्रदान करने में भी समर्थ बनाएंगी।
धन्यवाद।
प्रश्न : संयुक्त राष्ट्र महासभा के अपने संबोधन में पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा जम्मू एवं कश्मीर के उल्लेख पर प्रतिक्रिया।
विदेश सचिव : पकिस्तान के राष्ट्रपति के वक्तव्य में निश्चित रूप से हमने जम्मू एवं कश्मीर का उल्लेख देखा है। आप जानते हैं कि इस मुद्दे पर सिद्धांतों पर आधारित हमारा दृष्टिकोण अटल है तथा सर्व विदित है। जम्मू एवं कश्मीर,
जो भारत का अभिन्न अंग है, के लोगों ने शांति से लोकतांत्रिक प्रथाओं के अनुसार अपने भाग्य का चयन किया है तथा वे ऐसा करना जारी रखेंगे।
प्रश्न : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की उम्मीदवारी के लिए रूस की सहायता तथा क्या यह कुल मिलाकर जी 4 की सहायता करता है।
विदेश सचिव : आप जानते हैं कि जी 4 प्रक्रिया पर, हमने कल अपनी बैठक के बाद एक वार्ता ... एक प्रेस वक्तव्य जारी किया है। मेरी समझ से यह आपको उपलब्ध होना चाहिए। मेरी समझ से, यह स्पष्ट करता है कि जी 4 प्रक्रिया के अंग के
रूप में हम कहां जा रहे हैं। मैं जिस बात का उल्लेख कर रहा था वह ब्रिक्स के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान, जिसमें मैंने भारत की और से भाग लिया था, रूस के विदेश मंत्री द्वारा दिए गए हवाले से संबंधित है।
वहां पर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार के सामान्य विषय पर इस मुद्दे पर विचार विर्मश करते समय, जो वैश्विक अभिशासन की संस्थाओं के सुधार पर वृहद चर्चा का अंग था, हमने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की।
अपने वक्तव्य में, रूस के विदेश मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करते हैं। इस प्रकार इस संदर्भ में वह वक्तव्य दिया गया।
न्यूयार्क
27 सितंबर 2012