भारत – आसियान दिल्ली वार्ता दो पड़ोसियों के बीच राजनीतिक, सामरिक, आर्थिक एवं सभ्य समाज की अंत:क्रिया को विस्तृत एवं गहन करने के ढंग के बारे में विचार – विमर्श करने के बारे में आसियान देशों के राजनीतिक एवं आर्थिक रहनुमाओं, अधिकारियों, शिक्षाविदों एवं राय
निर्माताओं का अपने भारतीय समकक्षों के साथ एक वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है। यह मंच भारत की पूरब की ओर देखो नीति के शब्दकोष में न केवल शामिल हुआ है अपितु दो साझेदारों के बीच व्यापक वार्षिक वार्ता की आवश्यकता की दिशा में आसियान क्षेत्र का ध्यान भी
आकृष्ट किया है। इसी भावना के साथ, नई दिल्ली में 19 – 20 फरवरी, 2013 को ''भारत – आसियान : साझेदारी एवं समृद्धि के लिए विजन'' शीर्षक से भारत – आसियान दिल्ली वार्ता V का आयोजन किया जा रहा है।
इस वार्ता का आयोजन भारतीय विश्व मामले परिषद (आई सी डब्ल्यू ए) तथा फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की)
के साथ मिलकर विदेश मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया जाता है तथा इसके लिए एस ए ई ए समूह अनुसंधान, सिंगापुर तथा आसियान और पूर्वी एशिया आर्थिक अनुसंधान संस्थान (ई आर आई ए), जकार्ता की सहायता प्राप्त है।
भारत – आसियान क्षेत्रीय सुरक्षा एवं सहयोग पर केंद्रित वार्षिक द्वितीय ट्रैक सम्मेलन के रूप में आशयित दिल्ली वार्ता I का उद्घाटन तत्कालीन विदेश मंत्री श्री प्रणब मुखर्जी तथा आसियान के महासचिव डा. सुरीन पित्सुवान द्वारा 21 - 22 जनवरी, 2009 को किया गया। इस
वार्ता के दूसरे संस्करण का आयोजन 21 - 22 जनवरी, 2010 को ‘एशिया के बदलते क्षेत्रीय आर्थिक परिवेश में भारत और दक्षिण पूर्व एशिया : साझे हित एवं सरोकार’ विषय पर किया गया। इस श्रृंखला में तीसरी वार्ता अर्थात दिल्ली वार्ता III का आयोजन 3 - 4 मार्च, 2011 को हुआ
जिसमें भारत – आसियान संबंध को 20 वर्ष से आगे ले जाने के लिए सहयोग के तरीकों पर विचार – विमर्श किया गया । दिल्ली वार्ता IV, जिससे आसियान – भारत संस्मारक वर्ष समारोह की शुरूआत हुई, का आयोजन 13-14 फरवरी, 2012 को हुआ जिसका विषय था भारत और आसियान : शांति, प्रगति
एवं स्थिरता के साझेदार।
नई
दिल्ली में दिल्ली वार्ता IV के उद्घाटन के अवसर पर आसयिान देशों के अपने समकक्षों के तत्कालीन विदेश मंत्री श्री एस एम कृष्णा (13 फरवरी, 2012)इस साल के सम्मेलन में पांच सत्र हैं जिनमें प्रतिभागी भारत – आसियान सुरक्षा सहयोग : शांति एवं स्थिरता
की दिशा में; गैर परंपरागत सुरक्षा चुनौतियां : खाद्य सुरक्षा, जल प्रबंधन एवं महामारियां; वैश्विक ऊर्जा बाजार का भविष्य : संपोषणीय विकास में नई एवं नवीकरणीय ऊर्जा की भूमिका; सी एल एम वी देशों तथा उत्तर पूर्वी भारत के बीच सहयोग : अवसर एवं चुनौतियां; तथा संयोजकता
के माध्यम से नेटवर्क का विस्तार : भूमि, समुद्र एवं वायु आदि जैसे मुद्दों पर बोल सकेंगे तथा विचार – विमर्श कर सकेंगे। इन सत्रों के माध्यम से, आसियान देशों के साथ भारत की बढ़ती भागीदारी को उजागर किया जाएगा तथा आने वाले वर्षों में उनके संबंध को सुदृढ़ करने
के लिए एजेंडा का पता लगाया जाएगा। दिल्ली वार्ता ऐसे मुद्दों एवं परिप्रेक्ष्यों का मूल्यांकन करने एवं समाविष्ट करने का भी प्रयास करेगी जो भारत – आसियान संस्मारक शिखर बैठक, 2012 से उत्पन्न हुए हैं ताकि भारत एवं आसियान देशों के बीच अधिक भागीदारी के क्षेत्रों
की पहचान करने में सहायता की जा सके।
पिछले वर्षों में, आसियान एक जीवंत संस्था के रूप में उभरा है तथा क्षेत्रीय सरोकार के मुद्दों से निपटने के लिए एक मजबूत रूपरेखा विकसित हुई है। भारत क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता में तथा इस क्षेत्र की आर्थिक समृद्धि में भी आसियान द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान
के महत्व को स्वीकार करता है। भारत आसियान का दृढ़ समर्थक एवं साझेदार रहा है तथा ऐसी उम्मीद है कि दिल्ली वार्ता V के माध्यम से यह साझेदारी और सुदृढ़ होगी।