लेखक : मनीष चंद
यह एक ऐसी यात्रा है जो सदियों पुराने भारत-नेपाल संबंधों में नए क्षितिज की तलाश करने में नया मार्ग प्रशस्त
करने वाली साबित हो सकती है। दक्षिण एशिया में एक पड़ोसी देश की अपनी अकेले दूसरी यात्रा के रूप में, भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 25 से 27 जुलाई तक काठमाण्डू का दौरा करेंगी, जो एक महत्वपूर्ण यात्रा है और भूगोल, प्रकृति, इतिहास और संस्कृति के गहरे रिश्तों
में बंधे दो भ्रातासम पड़ौसियों के बीच एक नए अध्याय की शुरूआत करने की उम्मीद जगाती है। यह यात्रा नई दिल्ली की नई सरकार की विदेश नीति में दक्षिण एशिया की प्राथमिकता को पुन: रेखांकित करती है और यह यात्रा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने शपथ-ग्रहण समारोह
के लिए सार्क देशों के नेताओं की मेजबानी किए जाने के लगभग दो माह बाद और श्रीमती सुषमा स्वराज के ढाका की यात्रा किए जाने के एक माह बाद होने जा रही है।
घनिष्ठ और अंतरंग संबंध
संभवत: अन्य किसी दो पड़ौसियों के बीच इतने घनिष्ठ और अंतरंग संबंध नहीं हैं, इनकी जड़ें अतीत में हैं और हजारों अलग-अलग तरीकों से दैनंदिन अस्तित्व में उजागर होते हैं। तथ्य और आंकड़े अपनी कहानी कहते हैं, और व्यापार तथा निवेश, संस्कृति तथा सुदृढ़ व्यक्तिगत
संपर्कों से बने संबंधों की एक नयनाभिराम चित्र यवनिका सामने लाते हैं। भारतीय और नेपाली इतनी सहजता से अनायास घुल-मिल जाते हैं कि उन्हें एक दूसरे के देश में मुश्किल से ही विदेशी के रूप में देखा जाता है। भारत में छह मिलियन नेपाली काम कर रहे हैं और ऐसे 600,000
भारतीय हैं जिन्होंने नेपाल को अपना घर बना लिया है। नेपाली भारत में बिना किसी कार्य परमिट के काम कर सकते हैं, बैंक खाता खेल सकते हैं और अपनी संपत्ति रख सकते हैं।
मुक्त सीमा ने दोनों देशों के बीच लोगों का निर्बाध आवागमन सुनिश्चित किया है। इसके अलावा, देनों देशों के बीच प्रति सप्ताह 60 उड़ानें होती हैं। नेपाल जाने वाले सभी पर्यटकों में बीस प्रतिशत भारतीय होते हैं, और नेपाल जाने वाले पर्यटकों में से लगभग 40 प्रतिशत
भारत होते हुए जाते हैं।
अंतर्संबंधित आर्थिक संयोग
भूगोल एवं इतिहास की अनिवार्यताओं के परिणामस्वरूप दोनों पड़ौसियों की आर्थिक नियति का अंतर्गुम्फन हुआ है। नेपाल के विदेश व्यापार का दो तिहाई भारत के साथ होता है, जिसमें द्विपक्षीय व्यापार अनुमानत: लगभग 4.7 बिलियन डॉलर का है। नेपाल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
का 47 प्रतिशत भारत से है। 1996 में संशोधित व्यापार संधि दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों की केंद्र बिंदु साबित हुई है। 1996 के बाद से, भारत में नेपाल के निर्यात में ग्यारह गुणा वृद्धि हुई है और द्विपक्षीय व्यापार सात गुणा से अधिक बढ़ गया है। भारतीय फर्में
नेपाल में सबसे बड़ी निवेशक हैं जिन्होंने कुल अनुमोदित प्रत्यक्ष विदेशी निवेशों का लगभग 40 प्रतिशत निवेश किया है। नेपाल में लगभग 150 से अधिक भारतीय उपक्रम कार्य कर रहे हैं जिनमें विनिर्माण, सेवाओं (बैंकिंग, बीमा, शुष्क बंदरगाह, शिक्षा और दूरसंचार), ऊर्जा
क्षेत्र एवं पर्यटन उद्योग जैसे विविध क्षेत्रों के उपक्रम शामिल हैं। नेपाल में निवेशकर्ताओं में अन्य के साथ-साथ आईटीसी, डाबर इंडिया, टाटा पावर, हिंदुस्तान यूनीलिवर, वीएसएनएल, टीसीआईएल, एमटीएनएल, भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, भारतीय जीवन बीमा निगम
और एशियन पेंट्स शामिल हैं।
संयुक्त आयोग
बहु-स्तरीय संबंधों की इस पृष्ठभूमि में, भारत की विदेश मंत्री 26 जुलाई को काठमाण्डू में
अपने नेपाली काउंटरपार्ट महेंद्र बहादुर पाण्डे के साथ संयुक्त आयोग की अध्यक्षता करेंगी। बैठक का महत्व इसी बात से पता चल सकता है कि 23 वर्षों में यह प्रथम संयुक्त मिशन होगा और इसमें i) राजनैतिक, सुरक्षा एवं सीमा संबंधी मुद्दे, ii) आर्थिक सहयोग एवं अवसंरचना,
iii) व्यापार एवं ट्रांजिट, iv) ऊर्जा एवं जल संसाधन, v) संस्कृति, शिक्षा एवं मीडिया संबंधी मुद्दों के पांच क्षेत्र शामिल होंगे। वार्ता के महत्व की ओर इशारा करते हुए और बैठक में चर्चा के व्यापक स्वरूप के मुद्दों के चलते, विदेश, ऊर्जा, जल संसाधन, वाणिज्य,
सड़क परिवहन, रेलवे, मानव संसाधन विकास, संस्कृति मंत्रालयों के अधिकारी मंत्री के साथ रहेंगे। संयुक्त आयोग की बैठक की अध्यक्षता करने के साथ-साथ, मंत्री महोदया नेपाल के राष्ट्रपति राम बरन यादव, प्रधान मंत्री सुशील कुमार कोइराला और नेपाल के संपूर्ण परिदृश्य
में राजनैतिक नेतृत्व के साथ भी बैठक करेंगी।
संयुक्त आयोग के क्षेत्र के चलते, कोई भी सहजता से यह कह सकता है कि वार्ता के दौरान द्विपक्षीय मुद्दों के संपूर्ण परिदृश्य पर चर्चा की जाएगी। 1950 की शांति एवं मित्रता संधि, जो भारत-नेपाल संबंधों का मूल सिद्धांत हैं, में संशोधन के मुद्दों पर भी चर्चा के दौरान
बात की जाएगी। इस संधि को नेपाली राजनीतिक संस्थापन के एक वर्ग द्वारा अवैध माना जाता है, परंतु भारत ऐसा नहीं मानता है, फिर भी नई दिल्ली ने संकेत किया है कि वह नेपाली पक्ष से प्राप्त होने वाले ठोस सुझावों को स्वीकार करने का इच्छुक है।
सुरक्षा को बढ़ाना और आतंकवाद से लड़ने में सहयोग करना भारत की अन्य महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। इस संदर्भ में, दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियां विस्तृत क्षेत्रों में अतिसक्रिय रूप से सहयोग कर रही हैं, जिसमें गैर कानूनी स्मगलिंग, हथियारों की तश्करी और नकली
मुद्रा के मुद्दे शामिल हैं। खुली सीमाओं और भारत नेपाल सीमाओं को आतंकवादियों द्वारा वाहक के रूप में उपयोग किए जाने की रिपोर्टों के चलते, आने वाले दिनों में संबंधों के सुरक्षा आयाम को अवश्य सहारा प्राप्त होगा।
जल-विद्युत: मिलकर खुशहाली लाना
सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि जलविद्युत सहयोग की क्षमता का लाभ प्राप्त करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा,
जो अलग-अलग मान्यताओं के कारण बहुत अधिक अछूता रहा है। वार्ता से भारत को उम्मीद है कि एक नया ऊर्जा करार संभव होगा जो इस क्षेत्र में दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद अवसरों के नए द्वारा खोलेगा। यदि करार हो जाता है तो, यह नेपाल में बार-बार पैदा हो जाने वाले ऊर्जा
संकट का समाधान करेगा, और भारत भी करार के भाग के रूप में अतिरिक्त बिजली प्राप्त करेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, नेपाल में 40,000 मेगा वॉट हाइडल पावर है जो तकनीकी और वित्तीय रूप से व्यवहार्य पाई गई है। कुल हाइडल क्षमता 80,000 मेगा वॉट होने का अनुमान लगाया गया
है। यदि नेपाल की जल-विद्युत क्षमता का अभीष्ट दोहन किया जाए, तो यह दक्षिण एशिया का सबसे संपन्न देश बनने की क्षमता रखता है।
विकास भागीदारी
एक दोमंजिला स्कूल भवन के निर्माण हेतु 40 मिलियन नेपाली रूपये की भारतीय अनुदान सहायता प्रदान
किए जाने के लिए ई/।, काठमाण्डू, जिला विकास समिति, मोरंग और श्री जनता माध्यमिक विद्यालय के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।विकास भागीदारी के क्षेत्र को विस्तृत करना वह अन्य मूहत्वपूर्ण क्षेत्र होगा जिस पर वार्ता के दौरान बल
दिया जाएगा। भारत ने इस हिमालयन राज्य के समावेशी विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता को अनेक बार रेखांकित किया है और नेपाल सरकार को 100 मिलियन अमरीकी डॉलर तथा 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर के दो आर्थिेक ऋण पहले ही प्रदान कर दिए हैं।
विकास भागीदारी व्यापक क्षेत्रों में हुई है, इनमें भारत राजमार्गों, पुलों, ऑप्टिकल फाइबर लिंकों, मेडिकल कॉलेजों, ट्रॉमा सेंटरों, पॉलीटेक्नीकों, स्कूलों, अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण कर रहा है। नदी प्रशिक्षण एवं तटबंध विनिर्माण के लिए, भारत
सरकार ने उदारता से निधियां और विशेषज्ञ सहायता प्रदान की है ताकि लालबकेया, बागमती और कमला नदियों के तटबंधों का सुदृढ़ीकरण और विस्तार हो सके। इसके अलावा, विद्युत पारेषण लाइनों के स्तरोन्नयन के लिए एक 250 डॉलर का और दूसरा 125 डॉलर का एक्सिम बैंक ऋण प्रदान
किया गया है। नेपाल के विभिन्न जिलों में चल रही लगभग 450 लघु विकास परियोजनाओं ने साधारण नेपाली जनता के लिए खुशियों का संसार बनाया है। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन का कहना है- ‘‘इनमें से कई परियोजनाओं की सफलता की कहानियां उल्लेखनीय हैं।
जब हमने घेंघा परियोजना को शुरू किया था, तब उसे नेपाल को घेंघा से मुक्त करने के लिए शुरू किया गया था। 1985 में नेपाल में घेंघा लगभग 44 प्रतिशत लोगों को हो जाता था। वर्ष 2007 में जब हमने इस परियोजना को समाप्त किया तब यह आंकड़ा घट कर 0.4 प्रतिशत रह गया।’’ प्रशिक्षण
के क्षेत्र में, भारत द्वारा 3000 नेपालियों को वार्षिक रूप से छात्रवृत्तियां प्रदान की जा रही हैं।
नए क्षितिज
संयुक्त आयोग की बैठक नेपाल के राजनैतिक पटल पर बदलाव के मध्य तब होने जा रही है जब संविधान-निर्माण की प्रक्रिया नया स्वरूप ले रही है। भारत ने नेपाल के आंतरिक मामलों से स्वयं को अलग रखने की सुविचारित नीति को बनाये रखा है, परंतु हिमालयन राज्य में, जो आधुनिकता
और राष्ट्रीय नवीकरण की अपनी यात्रा को स्वयं की शर्तों पर तय कर रहा है, चिर शांति और स्थायित्व लाने के लिए एक समावेशी राजनैतिक प्रक्रिया की निरंतर रूप से मैत्री भाव से वकालत की है। 27 मई को नई दिल्ली में प्रधान मंत्री कोइराला के साथ अपनी बैठक में प्रधान
मंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल को ‘‘एक पुराने और बहुत ही सम्मानित मित्र’’ के रूप में वर्णित किया और ईमानदारी से उम्मीद जताई कि नेपाल द्वारा संविधान को एक वर्ष की उस समय-सीमा में अंगीकार कर लिया जाएगा जो उसने अपने लिए तय की है।
अत: भारत की विदेश मंत्री की 25-27 जुलाई की यात्रा प्रचुर संभावनाओं से प्रदीप्त है और यह भारत के प्रधान मंत्री की शीघ्र ही होने वाली महत्वपूर्ण काठमाण्डू यात्रा के लिए आधार तैयार कर सकेगी। प्रधान मंत्री का दौरा, जब भी होगा, भारत-नेपाल संबंधों को नए मार्ग
पर लाने और दोनों पक्षों के लिए बहुआयामी लाभदायक अवसरों के असंख्य नए द्वार खोलने के लिए निर्णायक पल साबित हो सकता है, जिससे दोनों पड़ौसी देश खुशहाली के लिए मिलकर काम करते हुए और अधिक निकट आएंगे।
(मनीष चंद अंतरराष्ट्रीय मामलों पर केंद्रित एक वेब पोर्टल और ई-पत्रिका इंडिया राइट्स नेटवर्क,www.indiawrites.org तथा इंडिया स्टोरी के मुख्य संपादक हैं।)
- इस लेख में व्यक्त किए गए विचार पूरी तरह लेखक के निजी विचार हैं।
संदर्भ
फैक्ट शीट: भारत-नेपाल भागीदारी
नेपाल के विदेश एवं गृह मंत्री की आधिकारिक
भारत यात्रा के समय दिया गया संयुक्त प्रैस वकतव्य (14-16 जनवरी, 2014)
नेपाल के साथ एक नई शुरूआत
नेपाल के माननीय प्रधान मंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला
की 6 से 9 जून 2006 तक आधिकारिक भारत यात्रा के समय दिया गया संयुक्त प्रैस वक्तव्य