1. मुझे आप सभी से मिलकर अत्यंत प्रसन्नता हुई। मैं आपको गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए धन्यवाद देता हूं। मैं आपका भारत में मौजूद आपके परिवार और दोस्तों की ओर से अभिवादन करता हूं।
2. मैं नए सम्राट के राज्याभिषेक समारोह में शामिल होने जापान आया हूं। मैंने आज रॉयल सेरेमनी में भाग लिया और जापान में मौजूद भारत के लोगों तथा भारतीय समुदाय के लोगों की ओर से सम्राट को शुभकामनाएं दीं। जापान के शाही परिवार का भारत के साथ घनिष्ठ संबंध है। वे हमारी
दोस्ती को बहुत अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं। एक राष्ट्र के रूप में, हमने इस गर्मजोशी भरे और नज़दीकी संबंध को हमेशा बनाए रखने की पूरी कोशिश की है। 1990 में, जब सम्राट अकिहितो का राज्याभिषेक हुआ था, तब पूर्व राष्ट्रपति आर. वेंकटरम ने इस समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व
किया था।
देवियो और सज्जनों,
3. भारत के विदेशी संबंधों में पिछले कुछ वर्षों में काफी बदलाव हुआ है। इसी दृष्टिकोण के तहत, हमने प्रवासी भारतीयों को अपने कार्यों तथा सहभागिता के केंद्र में शामिल किया है। अपनी विदेशी यात्राओं में, मैंने विदेश में अपने भाइयों और बहनों के साथ मुलाकात को प्राथमिकता
दी है। यह मेरे लिए बहुत ही खास अनुभव रहा है और मैं खुश हूं कि मुझे ऐसा करने का अवसर मिला।
4. इस यात्रा पर, जापान आने से पहले, मैंने फिलीपींस की राजकीय यात्रा की। अपनी आधिकारिक बैठकों के अलावा, मुझे भारतीय समुदाय से मिलने तथा महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण करने का अवसर मिला। इस वर्ष, जैसा कि आप जानते हैं, हम दुनिया भर में महात्मा गांधी की 150वीं
जयंती मना रहे हैं। आपने जापान में भी उनके जीवन और बलिदान को याद किया है। यह वर्ष हमारे लिए इस लिहाज से भी खास है कि हम इस वर्ष गुरु नानक देवजी की 550वीं जयंती भी मना रहे हैं। इस अवसर पर, मैं आप सभी को, विशेष रूप से हमारी सिख बहनों और भाइयों को अपनी शुभकामनाएँ
देता हूँ।
5. जापान में हमारा समुदाय काफी बड़ा है और पूरे देश में फैला हुआ है। आपकी कड़ी मेहनत और सफलता की वजह से आपकी और भारत की ख्याति दुनिया भर में बढ़ी है। आप में से कुछ दशकों से यहां हैं, जबकि कुछ हाल ही में यहां आए हैं। लेकिन, सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि आप
एक समुदाय, अच्छी तरह से जुड़े हुए और एक साथ-एक जुट हैं। मुझे खुशी है कि घर से दूर रहते हुए भी आपने अपनी संस्कृति और अपने पारिवारिक मूल्यों को बनाए रखा है। मैं समझता हूं कि आपने कई सांस्कृतिक संघ और संगठन बनाए हैं। इससे आपको अपने त्योहारों और परंपराओं को मनाने,
और आपके बच्चों को अपनी मूल भाषाओं को सीखने तथा भारत के साथ जुड़ाव गहरा करने का अवसर मिलता है।
6. मुझे बताया गया है कि जापान के लोग काफी स्नेही प्रवृति के होते हैं, लेकिन इससे भी कही ज्यादा वो अच्छे दोस्त होते हैं। आपके साथ उनका सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध सहज रहा होगा, क्योंकि हमारे बीच सदियों से बातचीत और संबंध रहे हैं। यह आश्चर्य की बात नहीं है कि
जब आप रथयात्रा निकालते है तो आपके जापानी दोस्तों को ओमीकोशी की याद आती है और जब आप आप गरबा करते हैं तो यह उनके ओडोरी उत्सव के जैसा ही लगता है।
7. जापान के साथ हमारे सांस्कृतिक संबंध अत्यंत गहरे और ऐतिहासिक हैं। हम बौद्ध धर्म से लेकर हिंदू धर्म तक तथा उससे भी परे आध्यात्मिक एवं धार्मिक जुड़ाव को साझा करते हैं। ये जुड़ाव इतने सुस्पष्ट हैं, इतने गहरे हैं कि अगर मैंने 752 ईस्वी में नारा में भिक्षु बोधिसेना
के मंदिर की यात्रा को याद नहीं किया, जिसने इस पवित्र भूमि पर बौद्ध धर्म की जड़ों को पोषित किया, तो यह अधुरा रहेगा। इन संबंधों को गहरा करने के लिए मैंने कल टोक्यो में त्सुकजी होंगवानजी बौद्ध मंदिर में एक बोधि का पौधा लगाया है। मैं गोटेम्बा पीस पगोडा के एक प्रतिनिधिमंडल
से भी मिला। प्रसिद्ध फूजी गुरुजी द्वारा स्थापित इस संगठन ने गांधी शताब्दी वर्ष-1969 में राजगीर में विश्व शांति स्तूप का निर्माण किया था। बिहार के राज्यपाल के रूप में, मैंने भगवान बुद्ध का आशीर्वाद लेने अक्सर राजगीर में इस स्तूप को देखने आया करता था। 25 अक्टूबर
को, अब से कुछ दिनों के बाद, मैं स्तूप की 50वीं वर्षगांठ के समारोह में भाग लेने राजगीर जाऊँगा।
8. धर्म और अध्यात्म के साथ-साथ भारतीय कला और भाषा का प्रभाव जापान तक पहुंच गया है। भारत-जापान बौद्धिक जुड़ाव तब से जारी है। रबींद्रनाथ टैगोर ने भी कई बार जापान की यात्रा की। स्वामी विवेकानंद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने हमारी आपसी समझ को और मजबूत किया। यह बताने
की जरूरत नहीं है कि, जापान में भारतीय अध्ययन और भारत में जापानी छात्रवृत्ति की बहुत मांग रही है। 2017 में, मैं प्रोफेसर हिरोशी मारुई को हमारे प्रतिष्ठित इंडोलॉजिस्ट पुरस्कार से सम्मानित किए जाने को लेकर खुश हूं।
देवियो और सज्जनों,
9. जापान के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंध आज हमारे सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में गिने जाते हैं। हमारे रणनीतिक, राजनीतिक, सुरक्षा और आर्थिक सहयोग नए मुकाम पर पहुंच गए हैं। जापान हमारी अर्थव्यवस्था में व्यापक बदलाव लाने में हमारे लिए एक प्रमुख साझेदार है। मुम्बई
से अहमदाबाद तक हाई स्पीड रेल परियोजना में जापान की साझेदारी हमारे गहरे पारस्परिक विश्वास एवं मित्रता का एक प्रतीक है। पारस्परिक तकनीकी सहयोग बढ़ाने के लिए हमने भारत-जापान डिजिटल साझेदारी कायम की है। इससे आपके उच्च डिजिटल कौशल और क्षमता की बेहतर अभिमूल्यन
और समझ में मदद मिलेगी, विशेष रूप से ऐसे समय में जब दोनों देश एक दूसरे की चौथी औद्योगिक क्रांति की खोज और उसकी ओर आगे बढ़ने में मदद कर रहे हैं।
10. भारत और जापान पुरानी सभ्यताएं हैं। हम दोनों को प्राचीन विज्ञान और परंपरा की गहरी समझ है। मैं इस देश में स्वस्थ जीवन के लिए आयुर्वेद और योग को बढ़ावा देने वाले विभिन्न संगठनों के प्रयासों की सराहना करता हूं। आपने समुदाय के रूप में इस प्रयास में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाई है। आप प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को उत्साह और जोश के साथ मनाते हैं। हम भारत के ज्ञान और विरासत को बढ़ावा देने में आपकी प्रशंसा करते हैं।
11. मुझे खुशी है कि जापान के लोगों के साथ आपके कई तरह के जुड़ावों में, आपने खेल को भी शामिल किया है। क्रिकेट अब टोक्यो के खेल के मैदानों तक पहुंच गया है। कबड्डी की कहानी भी ऐसी ही उत्साहवर्धक है। यह लोकप्रिय भारतीय खेल यहां के कई स्कूलों और कॉलेजों में खेला
जाता है। इससे भी अधिक आकर्षक और खुशी की बात ये है कि अब भारतीय कबड्डी लीग में जापानी खिलाड़ी भी खेलने आते हैं। मुझे उम्मीद है कि जैसे आपने अपने जापानी दोस्तों को कबड्डी और क्रिकेट खेलना सिखाया है, वैसे ही आप सूमो में भी हाथ आजमाएंगे, या मैं आपको कुछ अधिक करने
के लिए कह रहा हूँ!
12. 125 से अधिक साल पहले, स्वामी विवेकानंद शिकागो के रास्ते जापान गए थे। उन्होंने तब कहा था कि भारतीय युवाओं को इस गौरवपूर्ण देश में आना चाहिए और इससे अपने विचार साझा करना चाहिए और इससे सीखना चाहिए। उनके भविष्यसूचक शब्द हमें भारतीय और जापानी संस्थानों तथा युवाओं
को शामिल करने की हमारी भागीदारी का मार्गदर्शन हैं।
देवियो और सज्जनों,
13. भारत परिवर्तनकारी दिशा में आगे बढ़ रहा है। हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। हम नए इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहे हैं। हम डिजिटल अर्थव्यवस्था, नई प्रौद्योगिकियों, जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई पर और ज्ञान समाज के रूपांतरों पर दुनिया का नेतृत्व करने के प्रयास
कर रहे हैं। भारत आपको हमारी प्रगति और समृद्धि में भाग लेने के अपार अवसर देता है। भारत दरअसल भारतीय समुदाय के सहयोग एवं प्रतिबद्धता की आशा रखता है, ताकि हमारे सपनों के भारत का निर्माण किया जा सके। यह एक ऐसा भारत होगा जो अपनी प्रगति एवं समृद्धि से लाखों घरों
को रोशन करेगा। यही नहीं, यह एक ऐसा भारत होगा जो सभी की आवश्यकताओं का ख्याल रखेगा।
14. हम आपकी जरूरतों को पूरा करने तथा आपसे जुड़ाव के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें आपको बेहतर सेवा देने के लिए नियमित रूप से एक-दूसरे से बात करनी चाहिए। इस संबंध में, मुझे खुशी है कि हमने विचारों को जानने और आपके साथ सहयोग बढ़ाने हेतु प्रवासी भारतीय पैनल चर्चा शुरू
की है। हमने आपके लिए कई अन्य प्रवासी कार्यक्रम भी शुरू किए हैं। हमने अपनी ओसीआई कार्ड प्रक्रियाओं और कांसुलर सेवाओं को सुव्यवस्थित तथा सरल बनाया है। जहां तक सार्वजनिक सेवा वितरण का संबंध है, हमारी कार्य प्रणाली में बड़े स्तर पर संपरिवर्तन हुआ है। हमारे दूतावास
आज आपके लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध हैं और जरूरत पड़ने पर आपकी सहायता व समर्थन करने के लिए तैयार हैं। यह दक्षता हमारे घरेलू क्षेत्र में अधिक परिलक्षित होती है। नतीजतन, हमारे देश में नया आत्मविश्वास और एक नई ऊर्जा विकसित हुई है। हम आपको हमारी आशाजनक यात्रा में
शामिल होने हेतु आमंत्रित करते हैं।
देवियो और सज्जनों,
15. आपसे मिलकर मुझे काफी प्रसन्नता हुई। मैं आपकी सफलता, स्वास्थ्य और खुशी की कामना करता हूं। मैं आपको अभी से ही दिवाली की शुभकामनाएं देता हूं। और इससे पहले कि मैं अलविदा कहूं, मैं आपको दिल्ली आने पर राष्ट्रपति भवन आने के लिए आमंत्रित करता हूं। भले ही, यह मेरा
आधिकारिक निवास है, लेकिन यह सभी भारतीयों का है। हम आपके स्वागत के लिए हमेशा तत्पर हैं।
धन्यवाद!
टोक्यो
अक्टूबर 22, 2019