14वीं भारत - रूस वार्षिक शिखर बैठक : वैश्विक शांति एवं स्थिरता के लिए सामरिक साझेदारी को गहन करने पर संयुक्त वक्तव्य
अक्तूबर 21, 2013
- भारत गणराज्य के प्रधान मंत्री महामहिम डा. मनमोहन सिंह ने रूसी परिसंघ के राष्ट्रपति महामहिम श्री ब्लादिमीर वी पुतिन के निमंत्रण पर 20 से 22 अक्टूबर, 2013 के दौरान रूसी परिसंघ का आधिकारिक दौरा किया। रूसी परिसंघ के राष्ट्रपति महामहिम श्री ब्लादिमीर पुतिन
तथा भारत के प्रधान मंत्री महामहिम डा. मनमोहन सिंह ने मास्को में वार्ता की।
- रूसी परिसंघ के राष्ट्रपति तथा भारत के प्रधान मंत्री ने उच्च स्तर के द्विपक्षीय संपर्कों तथा गहन वार्ता की सतत गति का स्वागत किया जो दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों, विदेश कार्यालयों तथा विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों के बीच वर्ष के दौरान
आयोजित हुई है। उन्होंने द्विपक्षीय सहयोग के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर विचार - विमर्श किया तथा वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर अपने दृष्टिकोणों में समानता को नोट किया। दोनों पक्षों ने अपनी विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक साझेदारी
को हर संभव तरीके से आगे बढ़ाने एवं सुदृढ़ करने के लिए अपनी सतत प्रतिबद्धता पर बल दिया।
- दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए मंत्री स्तर पर इस साल के दौरान आयोजित अनेक रचनात्मक दौरों को नोट किया। इसमें भारत के विदेश मंत्री महामहिम श्री सलमान खुर्शीद (अप्रैल एवं अक्टूबर, 2013 में), गृह मंत्री महामहिम श्री सुशीलकुमार शिन्दे
(अप्रैल, 2013 में), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री महामहिम श्री आनंद शर्मा (अप्रैल, जून एवं सितंबर, 2013 में) और वित्त मंत्री महामहिम श्री पी. चिदम्बरम (जुलाई, 2013 में) की रूस की यात्राएं शामिल हैं।
- दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संसदीय आदान - प्रदान में वृद्धि तथा विशेष रूप से रूसी परिसंघ की संघीय परिषद की अध्यक्ष सुश्री वालेंटिना आई मतवियंको की फरवरी, 2013 में भारत यात्रा का स्वागत किया।
व्यापार एवं निवेश संबंधों को बढ़ावा देना
- दोनों पक्षों ने 2012 में 11 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक के द्विपक्षीय व्यापार के रिकार्ड स्तर पर संतोष व्यक्त किया।
- दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि निवेश सहयोग आर्थिक सहयोग का एक महत्वपूर्ण घटक है जिससे द्विपक्षीय निवेश एवं व्यापार में वृद्धि में भी सहायता मिलनी चाहिए। उन्होंने प्राथमिकता वाली निवेश परियोजनाओं पर भारत - रूस कार्य समूह की पहली बैठक के परिणाम के रूप
में दोनों पक्षों की ओर से प्राथमिकता वाली निवेश परियोजनाओं की पहचान किए जाने का स्वागत किया। उन्होंने मास्को में आयोजित आधुनिकीकरण एवं औद्योगिक सहयोग पर भारत - रूस कार्य समूह के दूसरे सत्र के सफल परिणामों को नोट किया, जहां दोनों पक्षों ने नागर विमानन, रसायन
एवं उर्वरक उद्योग, खनन तथा आटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को और सुदृढ़ करने की अपनी परस्पर इच्छा को व्यक्त किया।
- दोनों पक्षों ने व्यावसायिक अंत:क्रियाओं में वृद्धि का स्वागत किया, जैसा कि 20 जून, 2013 को 17वें सेंट पीर्ट्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच की रूपरेखा में आयोजित ''रूस - भारत व्यवसाय वार्ता’’ के सफल परंपरागत गोलमेज के आयोजन से प्रदर्शित हुआ तथा 20
सितंबर, 2013 को सेंट पीर्ट्सबर्ग में व्यापार एवं निवेश पर 7वें भारत - रूस मंच का आयोजन किया गया। उन्होंने पुनर्गठित मुख्य कार्यपालक अधिकारी परिषद की 2013 में आयोजित दो बैठकों का भी स्वागत किया, जो अधिक व्यावसायिक सहयोग के लिए सेक्टरों एवं अवसरों का पता
लगाने पर काम कर रही है।
- दोनों पक्षों ने तेल एवं गैस, भेषज पदार्थ एवं चिकित्सा उद्योग, अवसंरचना, खनन, आटोमोबाइल, उर्वरक, विमानन जैसे क्षेत्रों में तथा दोनों देशों में स्थित औद्योगिक सुविधाओं के आधुनिकीकरण में सहयोग के लिए महत्वपूर्ण संभावनाओं को रेखांकित किया।
- दोनों पक्षों ने व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी तथा सांस्कृतिक सहयोग पर भारत - रूस अंतर्सरकारी आयोग (आई जी सी) के महत्व पर बल दिया, जो आर्थिक एवं निवेश के लिए क्षेत्रों में द्विपक्षीय अंत:क्रिया के विकास के लिए एक प्रमुख तंत्र के रूप में काम कर रहा
है। उन्होंने 4 अक्टूबर, 2013 को मास्को में आयोजित आईजीसी के 19वें सत्र के सकारात्मक परिणामों को नोट किया।
- दोनों पक्ष भारत तथा बेलारूस, कजाकिस्तान एवं रूसी परिसंघ की कस्टम यूनियन के बीच एक व्यापक आर्थिक सहयोग करार (सी ई सी ए) पर हस्ताक्षर होने की संभावना का अध्ययन करने के लिए एक संयुक्त कार्य समूह के गठन की दिशा में काम करने पर सहमत हुए। उन्होंने इस बात
को नोट किया कि यह मामला इस समय यूरेशियाई आर्थिक आयोग के विचाराधीन है।
ऊर्जा सहयोग
- दोनों पक्षों ने 21 दिसंबर, 2010 को निष्पादित तेल एवं गैस क्षेत्र में सहयोग में वृद्धि पर रूसी परिसंघ की सरकार तथा भारत गणराज्य की सरकार के बीच करार को लागू करने की अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की।
- दोनों पक्षों ने रूस से भारत को हाइड्रो कार्बन की दीर्घावधिक आपूर्ति की व्यवस्था करने के लिए सहयोग के महत्व को नोट किया जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करने तथा भारत को एलएनजी की आपूर्ति के माध्यम से रूस से ऊर्जा निर्यात में विविधता लाने के लिए महत्वपूर्ण
है। दोनों पक्षों ने गैसप्रोम ग्रुप पोर्टफोलियो से भारत को एलएनजी की दीर्घावधिक आपूर्ति की व्यवस्था के लिए जेएससी गैसप्रोम तथा भारतीय कंपनियों के बीच सहयोग के गतिशील विकास पर संतोष व्यक्त किया।
- दोनों पक्ष भूमि मार्ग से रूस से भारत को हाइड्रो कार्बन के सीधे परिवहन की संभावनाओं का पता लगाने पर भी सहमत हुए। दोनों पक्ष इस संबंध में एक संयुक्त अध्ययन समूह का गठन करने पर सहमत हुए।
- भारतीय पक्ष ने आर्कटिक क्षेत्र में हाइड्रो कार्बन के अन्वेषण में रूस की कंपनियों के साथ भागीदारी करने संबंधी ओवीएल की रूचि को व्यक्त किया।
- दोनों पक्षों ने रूस के ऊर्जा मंत्रालय के एफ एस बी ओ रूसी ऊर्जा एजेंसी तथा भारत के ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के बीच ऊर्जा दक्षता पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया।
- दोनों पक्षों ने कुडानकुलम परमाणु विद्युत संयंत्र की यूनिट-1 के चालू हो जाने के संबंध में प्रगति पर संतोष व्यक्त किया तथा वे यूनिट-2 को पूरा करने की गति तेज करने के लिए आवश्यक कदम उठाने पर सहमत हुए। दोनों पक्ष कुडानकुलम परमाणु विद्युत संयंत्र की यूनिट-3
एवं 4 के लिए सामान्य रूपरेखा करार तथा तकनीकी - वाणिज्यिक प्रस्ताव को जल्दी से अंतिम रूप देने के लिए भी सहमत हुए। दोनों पक्षों ने कुडानकुलम साइट पर अतिरिक्त परमाणु विद्युत संयंत्र की इकाइयों का निर्माण करने तथा भारत गणराज्य में अन्य स्थानों पर रूसी डिजाइन
वाले परमाणु विद्युत संयंत्रों के निर्माण में सहयोग पर भारत गणराज्य की सरकार तथा रूसी परिसंघ की सरकार के बीच करार, जिसे 5 दिसंबर, 2008 को किया गया था; शांतिपूर्ण प्रयोजनों के लिए परमाणु ऊर्जा के प्रयोग में सहयोग पर भारत गणराज्य की सरकार तथा रूसी परिसंघ की
सरकार के बीच करार और भारत गणराज्य में रूस की डिजाइन वाले परमाणु विद्युत संयंत्रों के क्रमिक निर्माण के लिए रोड मैप, जिसे 12 मार्च, 2010 को तैयार किया गया था, को लागू करने की अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की।
- दोनों पक्षों ने विद्यमान विद्युत संयंत्रों के आधुनिकीकरण तथा भारत में नए विद्युत संयंत्रों के निर्माण के लिए दोनों देशों की विद्युत क्षेत्र की कंपनियों के बीच सहयोग में सुविधा प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया।
- दोनों पक्षों ने एशिया एवं प्रशांत में अधिक ऊर्जा सहयोग तथा ऊर्जा के संपोषणीय प्रयोग के लिए क्षेत्रीय सहयोग पर कार्य योजना 2014-2018 तथा व्लाडिवोस्टक मंत्री स्तरीय घोषणा पर हस्ताक्षर किए जाने पर संतोष व्यक्त किया।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग
- दोनों पक्षों ने पहले से जारी विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्रों में प्रगति पर संतोष व्यक्त किया, जिसमें डीएसटी - आरएफबीआर कार्यक्रम तथा एकीकृत दीर्घावधिक कार्यक्रम (आई एल टी पी) के तहत बुनियादी विज्ञानों में सहयोग शामिल है।
- दोनों पक्षों ने रूसी परिसंघ के शिक्षा एवं विज्ञान मंत्रालय तथा भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा नए संस्थानिक तंत्रों के सृजन का स्वागत किया। ये तंत्र नई बौद्धिक संपदा के विकास एवं प्रौद्योगिकी सृजन के लिए क्षमता के साथ भारत - रूस आर एंड
डी परियोजनाओं की सहायता करेंगे। ये परियोजनाएं दोनों देशों की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप होंगी, जैसा कि भारत की 12वीं पंचवर्षीया योजना तथा संघीय लक्षित कार्यक्रम "2014 से2020 के दौरान रूस के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों
में अनुसंधान एवं विकास" के तहत चिह्नित किया गया है।
शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग
- दोनों पक्ष सामान्यतया शैक्षिक दस्तावेजों तथा शैक्षिक डिग्रियों की मान्यता तथा अध्ययन के चिकित्सा क्षेत्रों पर अंतर्सरकारी करारों को जल्दी से अंतिम रूप देने पर सहमत हुए। उन्होंने चिकित्सा डिग्री के मुद्दे पर अक्टूबर, 2013 में मास्को में आयोजित
रचनात्मक विचार - विमर्श को नोट किया।
सांस्कृतिक सहयोग
- दोनों देश, जहां समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है तथा सदियों पुराने मैत्री के परंपरागत संबंधों के आधार पर चल रहे हैं, एक दूसरे की कला एवं संस्कृति का बड़े पैमाने पर प्रयोग करने के लिए सहमत हुए तथा इनमें परस्पर रूचि व्यक्त की। दोनों पक्षों ने भारत गणराज्य
के संस्कृति मंत्रालय तथा रूसी परिसंघ के संस्कृति मंत्रालय के बीच सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रम 2013-15, जिस पर 24 दिसंबर, 2012 को हस्ताक्षर किया गया था, के कार्यान्वयन पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में और सहयोग बढ़ाने का
समर्थन किया जिसमें दोनों देशों के प्रमुख संग्रहालयों के बीच अंत:क्रिया शामिल है।
- दोनों पक्षों ने जन दर जन संपर्क के स्तर पर उच्च स्तर की सद्भावना तथा एक दूसरे की संस्कृति की परस्पर समझ की सराहना की। उन्होंने दोनों देशों के बीच निरंतर बढ़ रहे जन दर जन संपर्कों का स्वागत किया जिसमें पर्यटकों का प्रवाह शामिल है जिसमें पिछले दो वर्षों
में से प्रत्येक वर्ष में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
- दोनों पक्षों ने 2012 में भारत में रूसी सांस्कृतिक महोत्सव के आयोजन तथा 2013 में रूस में चल रहे भारतीय सांस्कृतिक महोत्सव की प्रशंसा की। वे भारत में रूसी सांस्कृतिक महोत्सव तथा रूस में भारतीय सांस्कृतिक महोत्सव नियमित रूप से आयोजित करना जारी रखने
पर भी सहमत हुए।
अंतर्क्षेत्रीय सहयोग
- दोनों पक्षों ने भारत और रूस के राज्यों एवं क्षेत्रों के बीच सहयोग के लिए करार (2000) को याद किया तथा दोनों देशों के क्षेत्रों के बीच आदान - प्रदान बढ़ाने के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया। दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच उप क्षेत्रीय स्तर पर अर्थव्यवस्था,
संस्कृति, स्वास्थ्य, शिक्षा तथा सार्वजनिक नीति में बहुपक्षीय भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शहर दर शहर / सिस्टर सिटी सहयोग को भी प्रोत्साहित किया।
बाह्य अंतरिक्ष का अन्वेषण
- दोनों पक्षों ने आपसी हित की अंतरिक्ष से जुड़ी गतिविधियों में सहयोग बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।
- दोनों पक्षों ने बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण प्रयोगों पर यूएन समिति के अंदर रूस और भारत के बीच सहयोग का समर्थन किया तथा इसे व्यावहारिक एवं मजबूत ढंग से आगे बढ़ाने पर सहमत हुए। विशेष रूप से, उन्होंने बाह्य अंतरिक्ष की गतिविधियों की दीर्घावधिक संपोषणीयता
सुनिश्चित करने से संबंधित दिशानिर्देश तैयार करने के लिए समिति के वर्तमान प्रयास के संदर्भ में कार्रवाइयों के समन्वय में अपना परस्पर हित व्यक्त किया।
सैन्य एवं तकनीकी सहयोग
- दोनों पक्षों ने इस बात पर बल दिया कि दोनों देशों के बीच परंपरागत रूप से घनिष्ठ सैन्य एवं तकनीकी सहयोग सामरिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण घटक है तथा यह दोनों देशों के बीच उच्च स्तर के विश्वास में प्रतिबिंबित हुआ।
- इस साल के उत्तरार्ध में, मास्को में होने वाली सैन्य - तकनीकी सहयोग पर भारत - रूस अंतर्सरकारी आयोग की 13वीं बैठक के संदर्भ में दोनों पक्षों ने नियमित द्विपक्षीय संपर्कों तथा सैन्य एवं तकनीकी सहयोग के अलावा अक्टूबर, 2013 में दोनों देशों की सेनाओं द्वारा
संचालित संयुक्त इंद्रा अभ्यास की सराहना की। दोनों पक्षों ने अपने - अपने सशस्त्र बलों के बीच सेना दर सेना आदान - प्रदान, प्रशिक्षण सहयोग तथा नियमित अभ्यास का दायरा बढ़ाने पर जोर दिया।
- दोनों पक्षों ने 2013 में, भारत को रूस द्वारा निर्मित फ्रीगेट त्रिकंद की सुपुर्दगी, सुखोई-30 एमकेआई एयरक्राफ्ट तथा टी-90 एस टैंक के भारत में लाइसेंस के तहत उत्पादन तथा एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रमादित्य के ट्रायल के सफलतापूर्वक पूरा होने का धन्यवाद किया।
दोनों पक्षों ने उच्च प्रौद्योगिकी वाले सैन्य उपकरणों की संयुक्त डिजाइन, उत्पादन एवं विकास तथा 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों, बहुउद्देश्यीय परिवहन विमान तथा ब्रह्मोस सुपर सोनिक मिसाइल के उत्पादन जैसी परियोजनाओं के कार्यान्वयन के क्षेत्र में हुई प्रगति
का जायजा लिया। दोनों पक्ष राकेट, मिसाइल, नौसैन्य प्रौद्योगिकी तथा हथियार प्रणालियों के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए।
अंतर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर समन्वय
- दोनों पक्षों ने राज्यों के बीच समान साझेदारियों, अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुपालन तथा यूएन चार्टर के प्रयोजनों एवं सिद्धांतों के सम्मान के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की अधिक स्थिर, सुरक्षित एवं निष्पक्ष प्रणाली निर्मित करने की अपनी इच्छा की फिर
से पुष्टि की। वे अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने तथा मजबूत सामाजिक एवं आर्थिक विकास सुनिश्चित करने में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से अंत:क्रिया जारी रखने पर सहमत हुए। दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र के अंदर
अपने सहयोग के दायरे का स्वागत किया तथा वे व्यापक श्रेणी के क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर अपने दृष्टिकोणों में आगे भी समन्वय स्थापित करने पर सहमत हुए।
- दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता की फिर से पुष्टि की ताकि इसे उभरती चुनौतियों से निपटने में अधिक कारगर तथा प्रतिनिधिमूलक बनाया जा सके। वे इस बात पर सहमत हुए कि सुरक्षा परिषद के किसी विस्तार में समकालीन सच्चाइयां प्रतिबिंबित
होनी चाहिए। इस संबंध में, रूसी परिसंघ ने संशोधित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के भारत के प्रति अपने प्रबल समर्थन को दोहराया।
आतंकवाद से निपटना
- दोनों पक्षों ने 6 नवंबर, 2001 को हस्ताक्षरित अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर रूसी परिसंघ तथा भारत गणराज्य के बीच मास्को घोषणा को याद किया तथा दोहराया कि अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद शांति एवं सुरक्षा के लिए खतरा है तथा मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन और मानवता
के विरूद्ध अपराध है। दोनों पक्षों ने आतंकवाद को मात देने के लिए सभी देशों द्वारा संयुक्त रूप से प्रयास करने की आवश्यकता की पुष्टि की। उन्होंने सभी रूपों एवं अभिव्यक्तियों के आतंकवाद की निंदा की तथा वे इस बात पर सहमत हुए कि आतंवादियों का पनाह देने, हथियार
मुहैया कराने, प्रशिक्षण देने या वित्त पोषण करने के लिए शून्य सह्यता होनी चाहिए।
- भारत एवं रूसी परिसंघ जैसे बहुजातीय एवं लोकतांत्रिक समाजों में भ्रामक स्लोगन के तहत प्रेरित आतंकी कृत्य वास्तव में हमारे समाजों की आजादी तथा लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हैं तथा इनका उद्देश्य हमारे राष्ट्रों की भौगोलिक एकता को कमजोर करना है। ऐसे कृत्यों
के अंतर्राष्ट्रीय संबंध हो सकते हैं जो सीमाओं से परे होते हैं। जो देश इस तरह की आतंकी गतिविधियों के लिए पनाह देते हैं, सहायता प्रदान करते हैं और प्रलोभन देते हैं वे स्वयं भी आतंकवाद के वास्तविक कर्ताओं जितना ही दोषी हैं।
- दोनों पक्षों ने अपने नियंत्रणाधीन भूभागों एवं क्षेत्रों से आतंकवाद को समाप्त करने के लिए सभी देशों की बाध्यता की फिर से पुष्टि की। उन्हें अनिवार्य रूप से आतंकी नेटवर्कों, संगठनों एवं अवसंरचना को समाप्त करने की जरूरत है तथा आतंकवाद की कृत्यों के लिए
जिम्मेदार सभी लोगों को शीघ्रता से दंडित करने तथा ऐसे कृत्यों की जांच में मूर्त प्रगति प्रदर्शित करने की जरूरत है।
- दोनों देश इस बात पर भी सहमत हुए कि आतंकवाद के कृत्यों के लिए कोई वैचारिक, धार्मिक, राजनीतिक, नस्लीय, जातीय या कोई अन्य औचित्य नहीं हो सकता है। मुंबई आतंकी हमला या बेसलन आतंकी हमला जैसी घटनाओं को किसी भी आधार पर उचित नहीं ठहराया जा सकता, जिनसे असंख्य
निर्दोष नागरिकों की जानें चली गईं।
- दोनों पक्षों ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से निपटने में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका की फिर से पुष्टि की तथा संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में आतंकवाद से निपटने में सक्रिय योगदान करने की अपनी मंशा व्यक्त की। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर
प्रारूप यूएन व्यापक अभिसमय पर वार्ता को शीघ्रता से पूरा करने का भी आह्वान किया। दोनों पक्ष अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद की खिलाफत पर द्विपक्षीय संयुक्त कार्य समूह की रूपरेखा में इन मुद्दों का समाधान करना जारी रखने पर भी सहमत हुए।
अंतर्राष्ट्रीय सूचना सुरक्षा
- दोनों पक्षों ने आपराधिक एवं आतंकी प्रयोजनों के लिए तथा यूएन चार्टर से असंगत प्रयोजनों के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों के प्रयोग के बढ़ते खतरे पर चिंता व्यक्त की। इस संदर्भ में, दोनों पक्षों ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी
के प्रयोग में सभी देशों द्वारा जिम्मेदार प्रभार के अंतर्राष्ट्रीय नियमों, मानदंडों एवं सिद्धांतों के अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा अंगीकरण की आवश्यकता को नोट किया। वे सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के प्रयोग से संबंधित वैश्विक मुद्दों पर अपने द्विपक्षीय परामर्श
एवं सहयोग को गहन करने पर सहमत हुए। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सूचना सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग पर प्रस्तावित अंतर्सरकारी करार पर तेजी से विचार करने का निर्णय लिया। दोनों पक्षों ने अंतर्राष्ट्रीय मामलों में तथा इंटरनेट के मामले में मानवाधिकारों तथा संबंधित
घरेलू कानून के अनुसरण में निजता के अधिकार में दखल न देने के सिद्धांत का पालन करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
निरस्त्रीकरण एवं अप्रसार के क्षेत्र में सहयोग
- रूस और भारत ने व्यापक विनाश के हथियारों के प्रसार तथा उनकी सुपुर्दगी के साधनों पर रोक लगाने के अपने साझे कार्य पर विचार किया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए सभी हितधारकों की भागीदारी से निरस्त्रीकरण के क्षेत्र में
चरण दर चरण प्रगति के महत्व पर बल दिया।
- दोनों पक्षों ने हथियारों के नियंत्रण तथा अप्रसार पर द्विपक्षीय परामर्श का स्वागत किया, जो इस साल मई में नई दिल्ली में आयोजित किए गए थे तथा जिन्होंने इस मुद्दे के संपूर्ण आयाम पर विचारों का आदान - प्रदान करने का अवसर प्रदान किया। वे वैश्विक अप्रसार व्यवस्था
के महत्वपूर्ण घटकों के रूप में बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने पर सहमत हुए। रूस ने एम टी सी आर तथा वासेनर व्यवस्था में पूर्ण सदस्यता में भारत के हित पर सकारात्मक रूप से विचार किया। रूसी पक्ष ने एनएसजी में भारत की पूर्ण सदस्यता
पर परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में चर्चा तथा सकारात्मक निर्णय में मदद करने तथा बढ़ावा देने के लिए अपनी तत्परता को दोहराया तथा पूर्ण सदस्यता प्राप्त करने के लिए भारत की मंशा का स्वागत किया। भारत ने परमाणु अप्रसार व्यवस्था को सुदृढ़ करने से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय
प्रयासों में सक्रियता से योगदान करने में अपने दृढ़ निश्चय पर बल दिया।
- शांतिपूर्ण प्रयोजनों के लिए परमाणु ऊर्जा का प्रयोग करने संबंधी सभी देशों के अपरकीय अधिकारों को स्वीकार करते हुए भारत और रूस ने इस बात पर बल दिया कि सभी देशों को अप्रसार संबंधी अपने दायित्वों का पालन करने की जरूरत है। दोनों पक्षों ने राज्यों के संबंधित
कानूनन बाध्यकारी सुरक्षोपायों तथा इस संगठन की संविधि की अपेक्षाओं के अनुसरण में शांतिपूर्ण प्रयोजनों के लिए परमाणु ऊर्जा के प्रयोग के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों में आईएईए तथा विशेष रूप से इसकी सुरक्षोपाय प्रणाली की केंद्रीय भूमिका की वकालत की।
- दोनों पक्षों ने यह सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन किया कि बाह्य अंतरिक्ष का प्रयोग शांतिपूर्ण प्रयोजनों के लिए किया जाए। कानूनी लिखत तथा उपयुक्त एवं समावेशी विश्वासोत्पाद उपाय दोनों ही इस संबंध में योगदान कर सकते हैं।
एशिया एवं एशिया प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग बढ़ाना
- दोनों पक्षों ने नोट किया कि अंतर्राष्ट्रीय मामलों में एशिया प्रशांत की भूमिका बढ़ रही है तथा उन्होंने संपोषणीय वैश्विक विकास के लिए क्षेत्रीय एकीकरण एवं सहयोग में वृद्धि का समर्थन किया।
- दोनों पक्ष अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत सिद्धांतों तथा अंतर्राष्ट्रीय कानून, खुलेपन, पारदर्शिता एवं समानता के मानदंडों के आधार पर एशिया प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग सुदृढ़ करने के रूपरेखा सिद्धांतों पर विचार - विमर्श करने के लिए निकटता से अंत:क्रिया
करने पर सहमत हुए। वे ब्रुनेई दारूस्सलम में 9-10 अक्टूबर, 2013 को आयोजित पूर्वी एशिया शिखर बैठक (ई ए एस) में हुई सहमति के अनुसरण में एशिया प्रशांत क्षेत्र में परस्पर लाभप्रद सहयोग विकसित करने तथा समान एवं अखंडित सुरक्षा पर अधिक वार्ता को प्रोत्साहित करने
के लिए बहुपक्षीय मंचों में सक्रिय भूमिका निभाने पर सहमत हुए।
- दोनों पक्षों ने माना कि पूर्वी एशिया शिखर बैठक महत्वपूर्ण मुद्दों पर सदस्य देशों के नेताओं के बीच सामरिक वार्ता के लिए तथा एशिया प्रशांत क्षेत्र में राजनीतिक एवं आर्थिक सहयोग के लिए एक प्रमुख मंच है।
- दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि शंघाई सहयोग संगठन (एस सी ओ) ने यूरेशिया में शांति एवं स्थिरता, आर्थिक विकास एवं खुशहाली सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रूसी परिसंघ ने प्रेक्षक देश के रूप में एस सी ओ में भारत की सक्रिय भागीदारी की सराहना
की तथा एस सी ओ में पूर्ण सदस्यता के लिए भारत की बिड के लिए अपने प्रबल समर्थन को दोहराया।
- दोनों पक्ष चीन, भारत और रूस के बीच राजनीतिक अंत:क्रियाओं को और गहन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस संदर्भ में, वे तीन देशों के विदेश मंत्रियों की अगली बैठक को बहुत महत्व देते हैं, जो इस साल नवंबर में नई दिल्ली में होने वाली है। दोनों पक्ष भारत, चीन एवं
रूस के उच्च प्रतिनिधियों के स्तर पर क्षेत्रीय सुरक्षा के संबंध में परामर्श जारी रखने के लिए भी इसे आवश्यक समझते हैं।
- दोनों पक्षों ने एक महत्वपूर्ण तंत्र के रूप में एशिया - प्रशांत आर्थिक सहयोग मंच (ए पी ई सी) की भूमिका को नोट किया, जिसका उद्देश्य एशिया प्रशांत क्षेत्र में व्यापार एवं निवेश सहयोग के लिए अनुकूल परिस्थितियां सृजित करना तथा क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देना
है। रूस ने इस बात की फिर से पुष्टि की कि ए पी ई सी में भारत की संभावित सदस्यता से क्षेत्रीय एवं वैश्विक व्यापार के प्रमुख मुद्दों से निपटने पर वार्ता के विकास में और सहायता प्राप्त होगी। रूस ने ए पी ई सी की सदस्या के विस्तार पर ए पी ई सी के अंदर सर्वसम्मति
प्राप्त करके ए पी ई सी में भारत के शामिल होने के संबंध में अपने समर्थन को दोहराया।
- दोनों पक्षों ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने में व्यावहारिक सहयोग के लिए एक प्रमुख साधन के रूप में आसियान क्षेत्रीय मंच को और सुदृढ़ करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की ताकि आई सी टी के क्षेत्र में इसकी भूमिका समेत आतंकवाद
तथा सीमापारीय अपराधों से निपटने के लिए वैश्विक प्रयासों में इसके योगदान में वृद्धि हो सके1 दोनों पक्षों ने उपायों को समन्वित करने के लिए इस क्षेत्र में बहुपक्षीय सैन्य सहयोग के विकास को और बढ़ावा देने तथा परस्पर आधार पर आसियान रक्षा मंत्री बैठक प्लस (ए
डी एम एम प्लस प्रारूप) के अंदर सहायता प्रदान करने की अपनी मंशा व्यक्त की।
- दोनों पक्षों ने एशिया - यूरोप बैठक मंच, एशिया में अंत:क्रिया तथा विश्वासोत्पादक उपायों पर सम्मेलन तथा एशिया सहयोग वार्ता समेत इस क्षेत्र में विद्यमान अंतर्राज्यीय संगठनों के अंदर सहयोग एवं समन्वय में और वृद्धि करने की अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि
की ताकि एशिया प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता एवं समृद्धि का सुनिश्चय हो सके।
ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग
- भारत और रूस ने 27 मार्च, 2013 को डरबन में आयोजित ब्रिक्स की 5वीं शिखर बैठक के परिणाम की सराहना की। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों में ब्रिक्स द्वारा निभाई गई भूमिका में वृद्धि को नोट किया जिसका उद्देश्य विश्व अर्थव्यवस्था को मजबूत, संपोषणीय
एवं संतुलित विकास के पथ पर लाना है। भारत और रूस अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक एवं आर्थिक मुद्दों की बढ़ती रेंज पर सदस्य देशों द्वारा संपन्न की जा रही गतिविधियों में सामरिक एवं सतत समन्वय के लिए एक तंत्र के रूप में ब्रिक्स के सुदृढ़ीकरण के लिए कृत्य संकल्प
हैं।
- दोनों पक्षों ने 2013 में ब्रिक्स की शिखर बैठक में अपनाई गई ई-थेकविनी कार्य योजना के लिए अपने पूर्ण समर्थन की पुष्टि की तथा इसके कार्यान्वयन में सक्रिय रूप से योगदान करने के लिए अपने दृढ़ निश्चय को व्यक्त किया।
- भारत और रूस ने इसके सदस्यों के बीच विविध संबंधों को और सुदृढ़ करने के लिए सबसे ठोस आधार के रूप में ब्रिक्स के अंदर बहुपक्षीय सहयोग के सभी पहलुओं को विकसित करने के महत्व पर बल दिया। दोनों ही देश ब्रिक्स विकास बैंक स्थापित करने तथा ब्रिक्स देशों के
बीच आकस्मिक रिजर्व व्यवस्था स्थापित करने की परियोजनाओं का समर्थन करते हैं। भारतीय पक्ष ब्रिक्स के सदस्य देशों के बहुपक्षीय आर्थिक सहयोग की रणनीति विकसित करने संबंधी रूस के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए सहमत हुआ। दोनों पक्षों ने विश्वास व्यक्त किया
कि ब्राजील में होने वाली ब्रिक्स की आगामी शिखर बैठक अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ब्रिक्स की भूमिका को सुदृढ़ करने में सहायता प्रदान करेगी।
सीरिया में स्थिति
- दोनों पक्षों ने दृढ़ विश्वास व्यक्त किया कि सीरिया संकट का समाधान बल प्रयोग से नहीं होना चाहिए तथा इसका समाधान केवल राजनीतिक माध्यमों से हो सकता है। दोनों देशों ने जून, 2012 में अपनाए गए जिनेवा-1 घोषणा पत्र को आगे बढ़ाने के लिए ''सीरिया पर अंतर्राष्ट्रीय
सम्मेलन’’ (जिनेवा-2) जल्दी से बुलाए जाने के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया, जो संघर्ष में शामिल सभी पक्षों को वार्ता की मेज पर लाएगा। भारतीय पक्ष ने सीरिया संघर्ष के राजनयिक समाधान की दिशा में काम करने में रूस की भूमिका की सराहना की। रूसी पक्ष ने बताया कि
वह जिनेवा-2 में भारत की भागीदारी का स्वागत करेगा। भारत और रूस सीरिया के रासायनिक हथियारों को अंतर्राष्ट्रीय नियंत्रण में रखने तथा 27 सितंबर, 2013 के रासायनिक हथियारों के निषेध के लिए संगठन (ओ पी सी डब्ल्यू) के निर्णय के अनुसरण में उनके विनाश की प्रक्रिया
का समर्थन करते हैं तथा यूएन सुरक्षा परिषद संकल्प संख्या 2118 इस संबंध में संगत है।
अफगानिस्तान में स्थिति का स्थिरीकरण
- दोनों पक्षों ने सशस्त्र विरोधी ताकतों के साथ सामंजस्य पर अफगानिस्तान के नेतृत्व में वार्ता शुरू करने के लिए अफगानिस्तान इस्लामी गणराज्य द्वारा किए गए प्रयासों का अनुमोदन किया, बशर्ते कि ये गुट अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा अपनाए सिद्धांतों का सम्मान
करें, उदाहरण के लिए अफगानिस्तान इस्लामी गणराज्य के संविधान को मानना, हिंसा को त्यागना तथा अलकायदा एवं अन्य आतंकी संगठनों के साथ अपने संबंधों का विच्छेद करना। दोनों पक्षों ने आतंकवाद से निपटने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपायों में से एक के रूप में तालिबान
के विरूद्ध संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को जारी रखना आवश्यक माना।
- दोनों पक्ष यह नोट करते हुए बहुत प्रसन्न थे कि अफगानिस्तान इस्लामी गणराज्य के पड़ोसी देशों द्वारा तथा इस क्षेत्र के देशों एवं संगठनों द्वारा निभायी गई आवश्यक भूमिका के बारे में विश्व में समझ बढ़ रही है। दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय सहयोग की विद्यमान रूपरेखाओं,
जैसे कि शंघाई सहयोग संगठन (एस सी ओ), सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (सी एस टी ओ), दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) तथा आर आई सी के अंदर वार्ता और इस्तांबुल प्रक्रिया के अंदर अंत:क्रिया के विकास एवं सुधार के लिए जोरदार शब्दों में आह्वान किया।
- दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान की सुरक्षा एवं स्थिरता के लिए आतंकवाद को प्रमुख खतरे के रूप में माना, जो इस क्षेत्र की तथा समूचे विश्व की शांति भंग कर रहा है। इसलिए, उन्होंने आतंकवाद एवं अतिवाद के क्षेत्रीय पहलुओं पर बल दिया तथा इस क्षेत्र के देशों के बीच
संयुक्त एवं समवेत प्रयासों एवं सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया, विशेष रूप से 2014 में अंतर्राष्ट्रीय सैनिकों की संख्या अपेक्षित कमी को ध्यान में रखते हुए ताकि सभी रूपों एवं अभिव्यक्तियों के आतंकवाद से निपटा जा सके, जिसमें आतंकियों के सुरक्षित आश्रयों का
सफाया तथा आतंकवाद के वित्तीय समर्थन की जड़ काटना शामिल है।
- दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान में दवाओं के बड़े पैमाने पर अवैध उत्पादन के बारे में चिंता व्यक्त की तथा रेखांकित किया कि दवाओं की तस्करी से प्राप्त राजस्व आतंकी संगठनों के वित्त पोषण के प्रमुख स्रोतों में से एक है। दोनो पक्ष अफगान मूल की दवाओं की अवैध
तस्करी से निपटने तथा पेरिस संधि पहल के लिए सक्रिय एवं स्थायी समर्थन पर बल देने के लिए कारगर कदम उठाना जारी रखने के लिए सहमत हुए।
ईरान का परमाणु कार्यक्रम
- दोनों पक्षों ने ईरान तथा इसके परमाणु कार्यक्रम से संबंधित स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की। उन्होंने एक वार्ता की स्थापना करके राजनयिक एवं राजनीतिक चैनलों के माध्यम से इस स्थिति के व्यापक एवं स्थायी समाधान के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की। वे इस
बात को स्वीकार करते हैं कि ईरान को अपनी अंतर्राष्ट्रीय बाध्यताओं के अनुसरण में शांतिपूर्ण संयोजन के लिए परमाणु ऊर्जा का प्रयोग जारी रखने का अधिकार है। दोनों पक्षों ने ईरान से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद तदनुरूपी संकल्पों के प्रावधानों का अनुपालन करने
तथा आई ए ई ए के साथ सहयोग करने का आग्रह किया।
बहुपक्षीय आर्थिक सहयोग तथा वित्तीय सुधार
- दोनों पक्षों ने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था के विकास से संबंधित असंख्य चुनौतियां अभी भी मौजूद हैं। उन्होंने इन मुद्दों से निपटने के लिए बहुपक्षीय सहयोग में तेजी लाने की आवश्यकता का समर्थन किया। वे अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए एक प्राथमिक मंच
के रूप में जी-20 को विशेष महत्व देते हैं। भारत ने रूस द्वारा जी-20 की अध्यक्षता तथा सेंट पीर्ट्सबर्ग जी-20 शिखर बैठक के परिणामों की जोरदार शब्दों में सराहना की। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि वैश्विक आर्थिक विकास, मध्यावधि राजकोषीय सुदृढ़ीकरण, अधिक रोजगार,
व्यापार के उदारीकरण को गति देने वाले तथा आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाले निर्णयों के संबंध में इसकी सिफारिशों के निरंतर कार्यान्वयन से प्रमुख वैश्विक आर्थिक मुद्दों के समाधान में सहायता प्राप्त होगी। रूस ने सेंट पीर्ट्सबर्ग शिखर बैठक की सफलता में भारत
के महत्वपूर्ण योगदान के लिए भारत के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।
- भारत और रूस ने अधिक प्रतिनिधिमूलक तथा वैध अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय वास्तुशिल्प का सृजन करने की आवश्यकता पर बल दिया। वे इस बात सहमत हुए कि इस संबंध में प्राथमिक कार्य अधिक से अधिक जनवरी, 2014 तक आई एम एफ कोटा की 15वीं सामान्य समीक्षा को पूरा करना है।
- दोनों पक्षों ने इस बात पर जोर दिया कि जी-20 नीति समन्वय प्रक्रिया में रिजर्व कंट्री करेंसी में मौद्रिक नीति पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की रक्षा की जा सके और वित्तीय बाजारों को अस्थिर होने से बचाया जा सके।
पर्यावरण एवं संपोषणीय विकास
- दोनों पक्षों ने संपोषणीय विकास पर यूएन सम्मेलन ''रियो*20’’ (इसका आयोजन 20 से 22 जून, 2012 के दौरान रियो डि जेनेरियो, ब्राजील में हुआ था) के परिणाम का स्वागत किया तथा कहा कि इसके निर्णयों को लागू करने के लिए निरंतर काम करना आवश्यक है। उन्होंने जलवायु
परिवर्तन की वैश्विक समस्या का समाधान सोद्देश्यपूर्ण ढंग से करने पर अधिक महत्व दिया तथा 2015 तक एक नए व्यापक एवं संतुलित जलवायु परिवर्तन करार का प्रारूप तैयार करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को तेज करने के महत्व पर जोर दिया।
- भारत - रूस वार्षिक शिखर बैठक का आयोजन परंपरागत मैत्री एवं परस्पर सूझ-बूझ के माहौल में हुआ। भारत गणराज्य के प्रधान मंत्री ने मास्को में अतिथि सत्कार तथा गर्मजोशीपूर्ण स्वागत के लिए रूसी परिसंघ के नेताओं का आभार व्यक्त किया तथा रूसी परिसंघ के राष्ट्रपति
को भारत आने का निमंत्रण दिया। निमंत्रण को सहर्ष स्वीकार कर लिया गया।
मास्को
अक्टूबर 21, 2013